RE: Mastram Kahani खिलोना
खिलोना पार्ट--16
रीमा नहा कर केवल 1 टवल मे बातरूम से बाहर निकली तो देखा कि वीरेंद्र जी भी केवल 1 टवल कमर पे लपेटे उसके पलंग पे बैठे हैं,ज़ाहिर था कि वो भी बस थोड़ी अर पहले नहाए थे.उन्होने सर से पावं तक अपनी बहू के हुस्न को निहारा & फिर उठ कर उसके पास आ गये.उन्होने उसे अपनी बाहों मे लिए तो रीमा ने अपने होंठ उनके होटो से सटा दिए.थोड़ी ही देर मे दोनो 1 दूसरे को बाहों मे कसे पूरे जोश मे किस्सिंग कर रहे थे.बदनो की रगड़ाहट से दोनो के तौलिए ढीले हो गये & जब साँस लेने को दोनो ने किस तोड़ी तो वो ज़मीन पे गिर गये.अब दोनो नंगे थे,रीमा को लगा कि अब उसके ससुर उसे उसके ही बिस्तर पे चोदेन्गे पर उन्होने ऐसा नही किया. "चलो,पहले खाना खाते हैं.",उसका हाथ थाम वो उसे डाइनिंग टेबल पे ले गये जहा उन्होने पहले ही खाना लगा के रखा था.कुर्सी पे बैठ उन्होने रीमा को अपनी गोद मे बिठा लिया & दोनो 1 दूसरे के हाथो से खाना खाने लगे. "आप जाकर लेटो मैं ये सब सॉफ कर के आती हू.",खाना ख़त्म होते ही रीमा उनकी गोद से उतर गयी. "ठीक है.",विरेन्द्र जी रीमा के कमरे मे चले गये. थोड़ी देर बाद रीमा अपने कमरे मे आई तो लॅंप की बहुत मद्धम रोशनी मे उसने देखा की उसके ससुर बिस्तर पे लेटे गहरी सोच मे डूबे हैं.रीमा उनकी बाई बाँह पे सर रख करवट ले उनसे सॅट कर लेट गयी.काफ़ी देर से बिना कपड़ो के रहने की वजह से उसे थोड़ी ठंड महसूस हुई तो उसने चादर उठा कर दोनो के बदन पे डाल दी & उनके सीने के बालो से खेलने लगी,"अब बताइए क्या बताने वाले थे?" "रीमा,आज मैं तुम्हे मेरी ज़िंदगी का वो राज़ बताउन्गा जो मुझे मिलकर केवल 4 लोगो को पता था & उसमे से 2 अब दुनिया मे नही हैं.ये वो राज़ है जो बाद मे शेखर को भी पता चल गया & शायद उसी वजह से मेरी & मेरे परिवार की पूरी ज़िंदगी बदल गयी.",उनका 1 हाथ अपनी बहू के बालो मे था & दूसरा उसकी गोरी बाँह पे. "कॉलेज पास करते ही मुझे ये सरकारी नौकरी मिल गयी & मेरे माता-पिता मेरी शादी के लिए परेशान हो उठे.कोई 6 महीने बाद सुमित्रा के पिता,जोकि खुद 1 ऊँचे सरकारी ओहदे पे थे,हमारे घर रिश्ता लेके आए.फिर क्या था!बस कुच्छ ही दीनो मे हुमारी शादी हो गयी.",रीमा ने अपनी बाई जाँघ अपने ससुर के उपर चढ़ा दी & दाई कोहनी पे उचक उनकी दास्तान सुनने लगी. "तुमने सुमित्रा को बस 1 बीमार & लचर के रूप मे देखा है,रीमा पर तुम उस वक़्त उसे देखती!कितनी खूबसूरत थी वो..गोरी-चित्ति,भरे बदन की मालकिन..मैं तो उसके रूप का दीवाना हो गया था & वो भिमुझे बहुत प्यार करती थी.शादी के बाद जब भी मौका मिलता हम दोनो बस 1 दूसरे मे खो जाते.शायद ही कोई ऐसी रात हो जब हमने चुदाई ना की हो.",रीमा का हाथ ससुर के सीने से सरक अब पेट पे आ गया था & विरेन्द्र जी भी उसकी अपने उपर रखी मखमली जाँघ सहला रहे थे. "..ऐसे ही 2 बरस बीते गये.हम बहुत खुश थे पर 1 मसला था जो हम दोनो के माता-पिता को परेशान कर रहा था & जिसके बारे मे नाते-रिश्तेदार भी दबी ज़बान मे बात करने लगे थे.सुमित्रा अभी तक मा नही बनी थी.जब उसकी मा ने इस बारे मे उस से पुचछा तो हम दोनो को भी ख़याल आया कि हम कोई सावधानी तो बरत नही रहे थे फिर तो सुमित्रा को इन 2 सालो मे कम से कम 1 बच्चे की मा तो बन ही जाना चाहिए था." "हम दोनो ने अपनी डॉक्टोरी जाँच कराई तो पता चला कि मैं तो ठीक था पर सुमित्रा मे कुच्छ कमी थी & उसके मा बनने के चान्सस किसी भी सूरत मे बस 5% थे.उसके लिए ये बहुत दुख की बात थी,मैने उसे बहुत समझाया कि हम कोशिश करते रहे तो वो प्रेग्नेंट हो जाएगी पर वो मायूस हो गयी थी.फिर मैने उसे कहा कि हम बच्चा गोद ले लेंगे पर वो इसके लिए भी नही मानी." "..माहौल बदलने के लिए मैने अपना तबादला अंबाला करवा लिया.ये जगह नयी थी & पंचमहल से दूर.वाहा जाके सुमित्रा लगभग पहले जैसे ही हो गयी पर मैं जानता था कि बच्चे की चाह उसके अंदर बढ़ती ही जा रही है.",विरेन्द्र जी ने रीमा को पकड़ उसे थोडा अपने उपर कर लिया,अब वो कभी उसकी जाँघ सहलाते तो कभी चूचिया. ".
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