RE: Mastram Kahani खिलोना
सुमित्रा जी कोमा मे चली गयी थी & डॉक्टर साहब के कहने पे उन्हे हॉस्पिटल मे भरती करना पड़ा.शाम के 8 बजे थे जब विरेन्द्र जी ने डॉक्टर साहब से रात मे हॉस्पिटल मे रुकने के बारे मे पुचछा. "कोई फयडा नही है,विरेन्द्र जी.देखिए,कोमा से पेशेंट अभी भी निकल सकता है या फिर कुच्छ साल बाद.आप देख ही रहे हैं उन्हे कुच्छ होश भी नही है.उनकी देखभाल के लिए हम यहा हैं,आप जब मर्ज़ी हो यहा आएँ & जितनी देर दिल करे उनके पास बैठें,मैं आपको मना नही करूँगा पर आज मुझे लगता है कि आपको घर जाके आराम करना चाहिए,दोपहर से आप यहा खड़े हैं.ओके." "ओके.डॉक्टर." ------------------------------------------------------------------------------- विरेन्द्र जी &रीमा कोई 1 घंटे बाद घर पहुँचे. "मुझे आपसे कुच्छ कहना है.",रीमा ने उन्हे पानी का ग्लास थमाया. "हां,कहो." "वो शंतु है ना." "हां?" "वो मर गया." "क्या?!" और रीमा ने उन्हे शंतु के बारे मे सब बता दिया,बस ये बातें च्छूपा गयी कि जब शेखर ने उस से शंतु के बारे मे जब झूठ बोला था & जब उसने उसके मोबाइल से उसका नंबर निकाला था तो या तो उसका लंड उसकी चूत मे था,या फिर उसके हाथो मे या फिर उसके मुँह मे. विरेन्द्र जी के चेहरे पे कोई भाव नही था,मानो वो पत्थर के हो गये थे. "आप चुप क्यू हैं?कुच्छ बोलिए ना!आपको नही लगता कि शंतु की मौत के पीछे शेखर भाय्या का हाथ है & हमे पोलीस को खबर करना चाहिए." "अभी नही." "मगर क्यू?माना वो आपका बेटा है पर उसने शायद आपके 1 और बेटे को भी मौत के मुँह पहुँचाया है.हम यहा बाते कर रहहैं & वो ना जाने कहा निकल जाए?",रीमा गुस्से & डर से लगभग चीखती हुई बोली. "मैं तुम्हारी बात समझ रहा हू & यकीन करो,अगर शेखर मुजरिम है तो सबसे पहले मैं उसे क़ानून के हवाले करूँगा.",उन्होने उसकी बाँह थाम प्यार से उसके सर पे हाथ फेरा,"तुम बहुत थक गयी हो.जाओ जाके नहा लो,फिर खाना खाते हैं.मुझे तुम्हे कुच्छ बहुत ज़रूरी बात बतानी है.
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