RE: Mastram Kahani खिलोना
उस शाम वीरेंद्र जी आठ बजे तक घर आ गये & उसके बाद उन्होने सुबह 7 बजे तक उसे कपड़े नही पहनने दिए.पूरे वक़्त वो उनकी बाहो मे क़ैद या तो उनसे चुद्ति रही या उनकी गरम हर्कतो का लुत्फ़ उठाती रही.विरेन्द्र जी ने उसकी चूत मे 3 बार अपना विर्य गिराया & वो तो ना जाने कितनी बार झड़ी-3 के बाद उसने गिनना छ्चोड़ दिया था.कल रात उसने भी पहले से कही ज़्यादा जोश के साथ अपने ससुर का चुदाई मे साथ दिया था.इसकी वजह थी कि कल उसे ये यकीन हो गया थी कि जहा उसका जेठ 1 झूठा इंसान है वही उसके ससुर 1 भरोसेमंद,नेक्दिल शख्स हैं. उनके दफ़्तर जाने के बाद नहा कर रीमा तैय्यार हो घर से निकली.1 बार फिर शेखर की कार निकालने का ख़याल उसे आया पर फिर उसने टॅक्सी करना ही बेहतर समझा.आज उसने हल्के नीले रंग की टाइट जींस & उसके उपर पूरे बाज़ुओं वाली काले रंग की शॉर्ट कुरती पहनी थी & आँखो पे काला चश्मा भी था.कोई 10:45 पे वो पांचाल अपार्टमेंट के गेट पे टॅक्सी से उतर रही थी. चश्मे को अपनी आँखो से उपर अपने सर पे अटका कर उसने गेट पे खड़े गार्ड से कहा,"212 नंबर फ्लॅट की-.." "सीधे जाके दाहिने मूड जाइएएगा & लिफ्ट से दूसरा मंज़िल पे चले जाइए,ओही पे है..आपके बाकी सन्गि-साथी भी वही आपको मिल जावेंगे..",गार्ड ने उसके सवाल को बीच मे ही काटते हुए,खैनि मसल्ते हुए जवाब दिया. रीमा थोड़ा हैरान हो उसके बताए रास्ते पे चल पड़ी,दाए मुड़ते ही उसने देखा कि पोलीस की 2 क़ार्स & टीवी चॅनेल्स की 3-4 अब वॅन्स खड़ी हैं.अपार्टमेंट के कुच्छ लोग भी नीचे खड़े उपर बिल्डिंग की तरफ देखते हुए बाते कर रहे थे. रीमा ने लिफ्ट ली,उसके साथ कुच्छ टीवी कॅमरमेन & उनके साथी भी लिफ्ट मे थे.सारे लोग दूसरी मंज़िल पे उतर गये.रीमा उनके पीछे चल रही थी.इस फ्लोर पे तो बस पोलीस वाले & चॅनेल्स वाले घूम रहे थे & सभी जिस फ्लॅट मे जा रहे थे उसका नंबर था 212. रीमा ने देखा की वाहा 2-3 लड़किया उसी के जैसे कपड़ो मे टीवी न्यूज़ के लिए बाइट रेकॉर्ड करने की तैय्यरी मे थी..तो गार्ड ने उसे रिपोर्टर समझा था.किसी चॅनेल का रिपोर्टर & कॅमरमन 212 नंबर मे घुस रहे थे,रीमा भी धड़कते दिल से उनके पीछे हो ली. अंदर घुसते ही रीमा के मुँह से चीख निकलते-2 रह गयी,उसने बड़ी मुश्किल से अपनी घबराहट पे काबू किया,सामने का नज़ारा था ही ऐसा-पंखे से 1 जवान लड़के की लाश झूल रही थी.कमरे मे चारो तरफ पोलीस वाले फैले हुए थे,"बाहर चलो भाई..आप लोग यहा नही आओ..हमे काम करने दो.",1 हवलदार उनकी तरफ आ रहा था. रीमा बाहर निकल आई,उसकी कुच्छ समझ मे नही आ रहा था क्या यही शंतु था?अगर हा तो उसके साथ ये कैसे हो गया? "सर,प्लीज़.पहले हमे बाइट दीजिए.",शायद इनस्पेक्टर आ गया था. "ओके.आप लोग सब 1 लाइन से खड़े हो जाओ..चलो..हां..अब साहब से पुछो.",उस हवलदार ने सारे रिपोर्टर्स से कहा.रीमा कुच्छ दूर पे खड़ी सब देख रही थी. "सर,हादसे के बारे मे कैसे पता चला & ये आदमी कौन है?",सवालो का सिलसिला शुरू हो गया. "इसका नाम प्रशांत चौधरी है,ये अभी कुच्छ दीनो पहले दुबई से यहा आया था,वाहा ये 1 प्राइवेट कंपनी मे काम करता था & उसी कंपनी ने इसे यहा भेजा था.आज सुबह इसने ना नौकरानी के लिए दरवाज़ा खोला, ना ही दूधवाले से दूध लिया तो उन दोनो ने पड़ोसियो को कहा.फिर हमे खबर दी गयी.हमने ताला तोड़ा तो अंदर इस आदमी की लाश पंखे से लटक रही थी." "सर,आपको क्या लगता है,मौत कैसे हुई है?" "देखो,प्रीमा फेसी तो स्यूयिसाइड का केस लगता है,लाश के पास टेबल पे 1 स्यूयिसाइड नोट भी पड़ा था जिसे पढ़ के हमे लगता है ये डिप्रेशन का मरीज़ था.आगे तो हम पोस्ट मॉर्टेम के बाद ही कुच्छ कह सकते हैं." "सर,मरनेवाला कैसा शख्स था?उसके परिवार को खबर हो गयी है?" "सर..सर,वो यहा अकेला रहता था क्या?" "हां,वो यहा अकेला रहता था,किसी से ज़्यादा बात भी नही करता था,उस से मिलने भी बहुत कम लोग आते थे.उसकी फॅमिली के बारे मे हम पता लगा रहे हैं ,एप्र इसके माता-पिता तो काफ़ी पहले मर चुके हैं,हम इसके किसी और रिश्तेदार का पता ढूंड रहे हैं." रीमा से अब वाहा खड़ा होना मुश्किल था,वो किसी तरह नीचे आई & टॅक्सी मे बैठ घर चली गयी.घर मे घुसते ही उसने फ्रिड्ज खोला & पानी की बॉटल निकल उसे मुँह से लगा लिया & 1 ही साँस मे उसे खाली कर दिया.बाथरूम मे जा उसने अपने मुँह पे पानी के छ्चीनटे मारे-अब भी उसकी आँखो के सामने शंतु की लटकती लाश घूम रही थी & साथ ही ये ख़याल की कही इसके पीछे उसके जेठ का हाथ तो नही.उसने तय कर लिया कि आज वो अपने ससुर को सब बताएगी सिवाय इसके की अपने जेठ से उसके दिल के राज़ जानने के लिए वो उसके साथ भी चुदाई करती रही है. जब वो थोडा शांत हुई तो उसे अपनी सास का ख़याल आया.कमरे मे गयी तो वो सोई हुई थी,उसने उन्हे जगाने की कोशिश की-उनके खाने का वक़्त हो गया था,पर वो नही उठी. "मा जी..मा जी!",रीमा उन्हे हिलाने लगी पर वो वैसे ही पड़ी रही.रीमा ने उनकी साँस,धड़कन & नब्ज़ चेक की-सब चल रहे थे.उसने उन्हे झकझोर दिया पर सुमित्रा जी ने आँखे नही खोली.उसे डॉक्टर साहब की कही बात याद आ गयी-कही सुमित्रा जी कोमा मे तो नही चली गयी.चिंतित हो उसने अपने ससुर को फोन करने की सोची पर तभी उसे बाहर उनकी कार के रुकने की आवाज़ आई. वो भागती हुई बाहर पहुँची & दरवाज़ा खोला,उसके ससुर उसे देख मुस्कुराए पर उसके चेहरे की उड़ी रंगत देख उनके माथे पे शिकन पड़ गयी,"क्या हुआ रीमा?" "मा जी.." -------------------------------------------------------------------------------
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