RE: Mastram Kahani खिलोना
खिलोना पार्ट--15
"हां,अब बोलो.तुम पंचमहल कब आई?..& कब तक हो यहा? "कुच्छ ही दिन हुए हैं यहा आए हुए.मा जी को देखने आई थी.अब देखिए कितने दीनो तक यहा हू.",रीमा ने 1 गहरी साँस भरी,"रवि हमेशा आपकी बातें किया करता था,पिच्छले 1 साल मे कभी मौका ही नही लगा आपसे मिलने का & यहा आई तो आपके & शेखर भाय्या के बारे मे पता चला...पर 1 बार आपसे मिलने को खुद को रोक नही पाई." "कोई बात नही!वैसे भी तुमसे मुझे क्या शिकायत हो सकती है",उसने रीमा का हाथ पकड़ लिया,"..बल्कि अच्छा किया जो आ गयी,मैं भी तुम्हे देखना चाहती थी..रवि ने तुम्हारी तस्वीर दिखाई थी..तुम तो उस से कही ज़्यादा सुंदर हो." "क्या आप भी1",रीमा ने शर्मा के आँखे नीची कर ली,"मैं यहा आने से पहले आपके घर गयी थी,वाहा आंटी-आपकी मा ने यहा का पता दिया.मैने उनसे कहा कि मैं आपकी सहेली हू क्यूकी मुझे पता नही था कि मेरी असलियत जानने पे उन्हे अच्छा लगेगा या नही." "कोई बात नही,रीमा",मीना हँसी,1 लड़का 2 कप कॉफी रख गया था,उसने 1 रीमा को दिया & दूसरे से खुद 1 घूँट भरा,"देखो,हमे अगर किसी से कोई शिकायत है तो शेखर से,और किसी से नही.मेरा भी दिल करता है कि कभी घर आके आंटी को देखु,अंकल से मिलू..मैं बचपन से उस परिवार को जानती हू,रीमा.तुमने आंटी को बस बिस्तर पे पड़े देखा है,मैने उनका वो ख़ुशदील,हँसमुख चेहरा देखा है." "शेखर से शादी के बाद मैने खुद को दुनिया की सबसे किस्मतवाली लड़की समझा था पर उसने मेरा ये गुमान बस 1 महीने मे तोड़ दिया..बहुत ही घटिया & मतलबी इंसान है वो..कहते हैं ना 1 मछ्लि सारे तालाब को गंदा करती है-तो समझ लो शेखर वो मछ्लि है." अपने दिल की भादस निकाल मीना शांत हो गयी. "ये कारण.." "तुम ठीक समझ रही हो.बस दुआ करो कि इस बार मैं ग़लत नही हू." "कैसी बात करती हैं!अब सब कुच्छ ठीक रहेगा.",उसने अपनी घड़ी पे 1 नज़र डाली,"अब मैं चलती हू,बहुत देर हो गयी है.",कॉफी का कप रख वो खड़ी हो गयी. "अरे,मेरे साथ घर चलो ना,वाहा पार्टी है,बड़ा मज़ा आएगा!" "थॅंक्स,पर फिर कभी आऊँगी.आज सच मे देर हो गयी है." "ओके.",मीना खड़ी हुई & रीमा को गले लगा लिया,"पर आना ज़रूर.खूब बातें करेंगे." "ओके,बाइ!" "बाइ!" ------------------------------------------------------------------------------- वापस आ रीमा ड्रॉयिंग रूम के सोफे पे बैठ गयी,वो थोडा तक गयी थी.आज दिन भर की बातें उसके दिमाग़ मे घूम रही थी..शेखर तो पक्का झूठा था!उसेन मीना के बारे मे झूठ बोला था..वो तो 1 आम लड़की थी जिसे मर्द & मर्द के साथ चुदाई पसंद थी...& शंतु..अरे उसका नंबर निकाला था शेखर के मोबाइल से.ख़याल आते ही उसने फोन के पास रखे पॅड को उठाया. ये उस इंसान का नंबर था जिसने रवि से मौत के पहले आख़िरी बार बात की थी.आज वक़्त आ गया था कि वो इस इंसान से सवाल कर पुच्छे कि आख़िर वो उसके पति के बारे मे क्या जानता था.अपना मोबाइल उठा उसने वो नंबर डाइयल किया,घंटी काफ़ी देर तक बजती रही पर फिर किसी ने फोन उठाया. "हेलो." "हेलो,मिस्टर.प्रशांत चौधरी?" "यस,स्पीकिंग." "हेलो,शंतु जी कैसे हैं आप?" "कौन बोल रहा है?",आवाज़ चौकन्नि हो गयी थी. "शंतु जी,आज आप सवाल नही करेंगे सिर्फ़ जवाब देंगे.आख़िर ऐसी क्या बात थी की अपने सबसे जिगरी दोस्त कि मौत पे आप 1 बार भी अफ़सोस जताने नही आए जबकि मौत के दिन आप ही वो शख्स थे जिसने उस से आख़िरी बार बात की थी?" शंतु खामोश था,पर लग रहा था कि वो किसी भीड़ भरे इलाक़े मे है & रीमा के कानो मे वाहा का शोर सुनाई दे रहा था. "क्या हुआ?चुप क्यू हो गये?जवाब दीजिए." "आप रीमा बोल रही हैं ना?" "तो आप मुझे पहचान गये?" "जी.और आपके सभी सवालो का जवाब भी देने को तैय्यार हू.कल 11 बजे दिन मे मेरे घर आ जाइए." "कल क्यू?आज क्यू नही?" "क्यूकी आज मैं दिल्ली मे हू.मेरा यकीन कीजिए,कल मेरे घर..मेरा पता लिखिए..212,पांचल अपार्टमेंट्स,एम.जी.रोड..यहा पे 11 बजे आइए,मैं जो जानता हू आपको बताऊँगा." "ठीक है.",& फोन कट गया.कही शंतु कोई चाल तो नही चल रहा था?कही इसमे रीमा को कोई ख़तरा तो नही था?जो भी हो अब कल वो इस पते ज़रूर जाएगी.रीमा ने पॅड से वो काग़ज़ फाड़ कर अपने हॅंडबॅग मे डाला & अपने कमरे मे चली गयी. -------------------------------------------------------------------------------
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