RE: Mastram Kahani खिलोना
खिलोना पार्ट--14
"आननह...आननह..आननह...!",रीमा अपने ससुर के बिस्तर पे उनके नीचे पड़ी,उनके तेज़ धक्को का मज़ा ले रही थी,"हा..आन..हा..अन्न..ऐसे ही कर...इए..आहह.....पी..ताआआजीी..!",अपनी बाहो मे उन्हे भीच,उनसे चिपक कर वो झाड़ गयी & उसके साथ ही तेज़ साँसे भरते हुए वीरेन्द्रा जी ने भी उसकी चूत मे अपने लंड को खाली कर दिया. थोड़ी देर बाद अपनी बही की चूत से लंड निकाल उन्होने पलंग से उतार उसकी बगल मे रखी साइड टेबल से पानी की बॉटल उठा का अपने मुँह से लगा ली. रीमा करवट लेकर उनकी ओर देखने लगी,उस से कुच्छ ही दूरी पे उसके & उसके ससुर के रस से गीला विरेन्द्र जी का सिकुदा लंड लटक रहा था,उसने हाथ बढ़ा कर उसे थाम लिया & झांतो मे अपनी उंगलिया फ़िराने लगी,"आप रवि के जान-पहचान के किसी शंतु नाम के आदमी को जानते थे. "हा,क्यू?",विरेंड्रा जी अपनी बहू की इस गरम हरकत पे मुस्कुराए. "बस यू ही.रवि की टेलिफोन डाइयरी मे उसका नाम दिखा तो आपसे पुच्छ लिया.कौन है वो?",उसने उनके अंदो को अपने हाथो मे दबा लिया. "प्रशांत चौधरी.",विरेन्द्र जी पलंग पे चढ़ घुटनो के बल खड़े हो गये तो रीमा भी कोहनी पे उचक कर उठी & अपनी जीभ से लंड पे लगे पानी को सॉफ करने लगी.विरेन्द्र जी उसके बालो मे प्यार से हाथ फिराने लगा,"..रवि का सबसे अच्छा दोस्त.बचपन से ही शंतु बड़ा कमज़ोर & चुप-2 रहने वाला लड़का था.",रीमा ने लंड को मुँह मे भर उसे हिलाते हुए चूसना शुरू कर दिया,"..इस वजह से बाकी बच्चे उसे शांति कह के चिढ़ाते थे...उसकी कुच्छ हरकते भी लड़कियो जैसी थी." वीरेंद्र जी ने बिना लंड मुँह से निकाले रीमा को लिटाया & उसके उपर चढ़ 69 पोज़िशन मे आके,उसकी टाँगो के बीच अपना चेहरा दबा दिया,"उम्म्म...!",चूत पे ससुर की जीभ महसूस करते ही रीमा ने मस्ती मे अपने ससुर की गंद को भींच लिया & अपनी टाँगो मे उनके चेहरे को. "..पता नही कैसे रवि & उसकी दोस्ती हो गयी & उसके बाद रवि ने किसी को भी उसे शांति कह के नही चिढ़ाने दिया.शंतु नाम भी रवि ने ही उसे दिया था.",उसकी चूत से जीभ हटा वो उसकी अन्द्रुनि जाँघो को चूमने लगे तो रीमा बेचैन हो उनकी जीभ फिर से चूत के अंदर लेने के लिए अपनी कमर हिलने लगी. "..यही पार्क के कोने वाला मकान मे रहता था वो & अक्सर रवि & शेखर के साथ खेलने आया करता था.",वो अपनी बहू का इशारा समझ फिर से उसकी चूत मे अपनी ज़ुबानफिराने लगे,"..रवि और शंतु तो हमेशा साथ-2 नज़र आते थे,जब रवि पुणे गया तभी उनकी जोड़ी टूटी.",जीभ की जगह अब उंगली ने ले ली थी,"..फिर तो पता नही वो कहा गायब हो गया.मैने तो उसे पता नही कब्से नही देखा." अपने ससुर के साथ जिस्म का खेल खेलती रीमा अब पूरी तरह से मदहोश हो चुकी थी पर उस मदहोशी मे भी उसके दिमाग़ मे सवाल घूम रहे थे कि अभी थोड़ी देर पहले शेखर ने उस से झूठ क्यू बोला?..और ये शंतु आख़िर कौन था? पर उस रात वो इन सवालो के बारे मे और नही सोच पाई क्यूकी उसके ससुर अब 1 बार फिर उसके उपर चढ़ कर उसकी चूत मे अपना लंड घुसा रहे थे. "क्या कर रहे हैं?!छ्चोड़िए नही तो आपकी फ्लाइट छूट जाएगी.",ड्रॉयिंग रूम के सोफे पे बैठी रीमा शेखर की बाहो मे कसमसा रही थी.सुबह के 10 बज रहे थे & कोई आधे घंटे पहले वीरेंद्र जी दफ़्तर जा चुके थे & थोड़ी देर मे शेखर को भी दिल्ली की फ्लाइट पकड़नी थी. "छूट जाने दो,अगली पकड़ लूँगा.",शेखर ने उसकी कमर को भींचते हुए उसके नर्म होटो पे अप[ने होंठ रख दिए.रीमा जानती थी कि उसके जिस्म की हवस मे अँधा हो शेखर बड़े आराम से ऐसा कर सकता है,पर इस से उसका मीना से मिलने का प्लान खटाई मे पड़ जाता & वो ये बिल्कुल नही चाहती थी. "पागल मत बानिए.चलिए छ्चोड़िए.",रीमा ने किस तोड़ उसकी छाती पे हाथ रख उसे परे धकेलने की कोशिश की. "इसके शांत हुए बिना कैसे जाऊं?",शेखर ने उसका हाथ पकड़ पॅंट मे क़ैद अपने लंड पे रख दिया.रीमा उसकी आँखो मे झाँक बड़ी अदा से मुस्कुराइ,उसे शेखर को भागने का रास्ता मिल गया था.उसने उसकी आँखो मे देखते हुए उसकी पॅंट की ज़िप खोली & उसका लंड निकाल अपने हाथ मे जाकड़ लिया. "आहह..!",शेखर ने आँखे बंद कर सोफे पे अपना सर टीका दिया.रीमा झुकी & उसके सूपदे को हौले से चूम लिया,शेखर के हाथ उसके बालो से खेलने लगे.कुच्छ देर तक वो सूपदे को हल्के-2 चूमते रही,फिर लंड को चूमते हुए उसकी जड़ तक आ गयी.उसने बारी-2 से उसके अंदो को अपने मुँह मे ले चूसना शुरू किया,साथ ही साथ वो अपने हाथ से लंड को हिला रही थी. शेखर तो पागल सा हो गया,रीमा का सर पकड़ उसने अपनी गोद मे दबा दिया & बेचैनी से अपनी कमर हिलाने लगा.रीमा ने उसके आंडो को आज़ाद किया & फिर जड़ से चूमते हुई सूपदे तक पहुँची & अपनी जीभ से लंड के छेद को छेड़ने लगी.शेखर का तो जोश से बुरा हाल था.उसने कमर उचका कर रीमा को लंड मुँह मे लेने का इशारा किया. रीमा ने नज़रे उठा कर शेखर की नज़रो से मिलाई & अपने होटो को लंड के गिर्द कस दिया.उसके मुँह के अंदर क़ैद शेखर के लंड पे कभी वो अपनी जीभ से वार करती तो कभी चुस्ती,उसकी उंगलिया उसकी झांतो मे घुस उसके आंडो को मसल रही थी.वो जानती थी की शेखर अब ज़्यादा नही रुक सकता,उसने 1 हाथ को आंडो पे बनाए रखा & दूसरे को लंड पे ला उसे हिलाते हुए चूसने लगी.शेखर इस तिहरे हमले को नही झेल पाया & उसके सर को जाकड़ अपनी कमर हिलाता हुआ उसके मुँह मे अपना विर्य छ्चोड़ने लगा.रीमा ने तुरंत उसका सारा पानी पी लिया & फिर लंड को मुँह से निकाल बचे हुए पानी को उसके सूपदे को चाट कर सॉफ कर दिया. शेखर उसे देखा मुस्कुराया & उठ कर बाथरूम चला गया.रीमा भी सोफे से टेक लगा के बैठ गयी.अपने जेठ के साथ खेले इस वासना के खेल ने उसे भी गरम कर दिया था पर उसने अपने जज़्बातो पे किसी तरह काबू किया हुआ था.तभी उसकी नज़र पास रखे शेखर के मोबाइल पे गयी,वो उसे उठा यू ही उलटने-पलटने लगी कि तभी उसके दिमाग़ मे 1 ख़याल कौंधा. उसने मोबाइल ऑन कर कॉंटॅक्ट्स लिस्ट मे जा सर्च ऑप्षन खोला & नाम एंटर किया 'प्रशांत चौधरी'-पर इस नाम से कोई भी नंबर सेव्ड नही था.उसने फिर कोशिश की & नाम डाला 'शंतु'.इस बार वो चौंक कर सोफे से खड़ी हो गयी.उसकी आँखो के सामने मोबाइल स्क्रीन पे शंतु का नाम & नंबर दिख रहे थे.तभी बाथरूम फ्लश करने की आवाज़ आई,रीमा जैसे नींद से जागी.उसने दौड़ के लॅंडलाइन फोन के बगल मे रखे पॅड पे कलाम से वो नंबर लिखा & उसे उल्टा रख दिया ताकि किसी की नज़र उस पे ना पड़े.फिर मोबाइल बंद किया & भाग कर सोफे पे आके अपनी जगह पे बैठ गयी & मोबाइल भी उसकी जगह पे रख दिया. -------------------------------------------------------------------------------
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