RE: Mastram Kahani खिलोना
अपनी चाह पूरा करने के लिए उसने स्लिप को 1 ही झटके मे उठा कर रीमा के बदन से अलग कर दिया,इस काम मे रीमा ने भी अपने हाथ उठाकर उसकी पूरी मदद की.चूचियाँ नंगी होते ही शेखर उनपे टूट पड़ा.उसकी गोलैईयों को अपने हाथो तले दबा & मसल कर उसने अपने होंठो से उन्हे जम कर चूमा & चूसा.रीमा मस्ती मे आँहे भरने लगी.शेखर उसके निपल्स को अपनी उंगलियो मे मसल जब उसकी पूरी चूची को अपने मुँह मे भरने की कोशिश करता तो वो पागल हो उसके सर को पकड़ अपनी कमर उसकी गोद मे और दबा कर हिलने लगती.कोई 15 मिनिट तक उसकी चूचियो से खेलने के बाद शेखर ने रीमा से खड़े होने को कहा.
बैठे हुए उसने अपनी ट्रॅक पॅंट निकल दी & नंगा हो गया,"अपनी पॅंटी उतारो."
रीमा ने धीरे से अपनी पनटी उतार दी,अब उसकी चिकनी,गीली चूत ठीक उसके जेठ के चेहरे के सामने थी.शेखर ने उसकी गंद को हाथो मे भर अपने होठ उसकी चूत पे लगा दिए,"..आआआअहह....",रीमा कराह कर उसके सर को पकड़ च्चटपटाने लगी.
उसकी च्चटपटाहत से बेपरवाह शेखर उसकी चूत को चाटता रहा,उसकी जीभ किसी साँप की तरह रीमा के बिल मे आना-जाना कर उसे तडपा रही थी.रीमा की टाँगो मे तो जैसे जान ही नही बची थी.जैसे ही शेखर की जीभ ने उसके दाने को छेड़ा,वो झाड़ गयी & बस उसकी गोद मे गिर पड़ी.मुस्कुराते हुए शेखर ने उसकी गंद को उठाया & उसे अपने लंड पे बिठा लिया.
अब रीमा पानी चूत मे शेखर का लंड लिए उस से लिपटी बैठी थी,"आप बहुत बदमाश हैं.",उसने उसके कंधे पे हल्के से काट लिया.शेखर ने नीचे से हल्के-2 धक्के लगाने शुरू कर दिए.
"ऊन्णंह...",रीमा ने कराह कर उसके कंधे से सर उठाया & उसके चेहरे को हाथो मे ले उसकी आँखो मे झाँकने लगी,"कल फिर चले जा रहे हैं?यहा अकेले मैं कैसे रहती हू,पता है?",उसने बनावटी नाराज़गी से कहा.
"उम्म्म्म........बस यही सब कर मुझे चुप करा देते हैं..आनन्न..हह..",शेखर ने नीचे से थोड़े तेज़ धक्के लगा उसकी गंद मे 1 उंगली घुसा दी थी & साथ ही उसकी छाती को मुँह मे भर ज़ोर से चूस लिया था.
"जल्दी वापसा आऊंगा.",उसकी चूचिया दबाते हुए वो अभी भी उसकी गंद मे उंगली कर रहा था.
"1 बार भी मुझे यहा घुमाया नही है.बस घर मे पड़ी बोर होती रहती हू..कोई दोस्त भी तो नही है यहा मेरा.",उसने उसकी पीठ पे नाख़ून गाड़ते हुए उसके गाल को चूम लिया,"आपके तो यहा बहुत दोस्त होंगे ना?बचपन से आप & रवि यही रहे हैं."
"हां,बहुत दोस्त हैं.",शेखर का 1 हाथ उसके चेहरे को सहला रहा था.
"ह्म्म्म......",शेखर ने उसके गुलाबी होटो पे उंगली फिराई,"आप रवि के भी सभी दोस्तो को जानते होंगे?"
"हां...यहा तो सभी को जनता हू.",वो उसकी गर्दन सहलाता हुआ नीचे आ रहा था दूसरे हाथ की 1 उंगलीरीमा की गंद छेड़े जा रही थी.
"किसी शंतु को जानते थे?",1 पल को शेखर के बदन ने हरकत बंद कर दी पर वो तुरंत होश मे आया & फिर से उसके बदन से खेलने लगा.
"नही तो.क्यू?कौन है ये?",उसके लंड & उंगली की रफ़्तार बढ़ गयी थी.
"ऊऊ...हह.....पता नही.यू ही रवि की टेली....फोन डाइयरी पल..अट रा..आहह....रही थी की ये ना..आम..आअन्न्णणन्...न्नह...दिखा...अंजान नाम था...अभी ओईईईई....ख़याल आया तो आपसे ऐसे ही पूच्छ लिया....ऊऊुउउइईईईईई...!",शेखर के धक्के बहुत तेज़ हो गये थे & उसकी उंगली का छेड़ना भी,रीमा जोश मे पागल हो गयी.अपने जेठ को अपनी बाहो मे कस कमर हिला उसकी गोद मे उच्छलते हुई उसने अपने नाख़ून उसकी पीठ मे गढ़ा दिए & होठ उसकी गर्दन मे.शेखर भी उसे अपने आगोश मे भींच बस उसकी चूत & गांद को चोदे जा रहा था...रीमा के बदन मे बिजली दौड़ गयी & वो शेखर से चिपेट जोश मे पागल हो उसके कान मे जीभ फिराती हुई,बेचैनी से कमर हिलाती झाड़ गयी..तभी शेखर ने भी आह भरी & उसके सीने पे होंठ दबाए उसकी चूत मे अपना विर्य छ्चोड़ दिया.
|