RE: Mastram Kahani खिलोना
खिलोना पार्ट--12
"मेरे पति का किसी और लड़की के साथ अफेर चल रहा है & मुझे उसके बारे मे जानना है.",रीमा सूबकने लगी.
"आइ'एम सॉरी.",वेर्मा ने अब उसे कंधे से पकड़ अपने थोड़ा और पास कर लिया.
"उस लड़की की वजह से मेरे पति तो मुझे भूल ही गये हैं.जब यहा थे तो घंटो फोन पे उसी से ना जाने क्या-2 बाते करते रहते थे.इसीलिए मैने सोचा की फोन कंपनी से उनके कॉल डीटेल्स चेक करू.अपने मोबाइल से तो सब डेलीट कर देते हैं वो.उपर से अब यहा हैं भी नही,पर वो कामिनी इंडिया मे ही है मुझे पता है.बस 1 बार उसका नंबर मिल जाए फिर उसकी वो खबर लूँगी कि याद रखेगी!",रीमा 1 साँस मे बोलती चली गयी & रुकी तो उसकी आँखो से आँसू बहने लगे.उसे खुद पे हैरत हो रही थी कि वो इतनी सफाई से कैसे झूठ बोले जा रही थी.साथ ही उसे शर्म भी आ रही थी कि उस पे जान च्चिड़कने वाले रवि के बारे मे वो ऐसा झूठ बोल रही थी...पर ये झूठ भी तो उसने रवि की मौत के बारे मे जानने के लिए ही बोला था ना.
"तुम बेफ़िक्र रहो.मैं अभी अपने कंप्यूटर से उनकी कॉल डीटेल्स निकाल देता हू.
"थोड़ा पानी और मिलेगा,प्लीज़.",रीमा सिसकियो के बीच बोली.
"हां,हां!ज़रूर.",वेर्मा उठा & कूलर से दूसरा ग्लास भर पानी ले आ रीमा को थमाया.
"थॅंक्स...ऊप्स!",रीमा के हाथ से ग्लास छूट गया & सारा पानी उसकी शर्ट पे गिर गया.
"आइ'एम सॉरी.",रीमा सोफे से उठ खड़ी हुई.
"इट'स ऑलराइट.पर तुम्हारी शर्ट तो पूरी भीग गयी.अब तुम यहा से बाहर कैसे जाओगी?"
"जी.कोई बात नही.मैं मॅनेज कर लूँगी."
वेर्मा की आँखे गीली शर्ट से झाँकते उसकी ब्रा के गले मे से दिख रहे उसके भीगे क्लीवेज से चिपकी हुई थी,"फिर भी इसे पोंच्छ तो लो.",वेर्मा ने अपना रुमाल निकाला & रीमा के सीने पे फिराने लगा.पोंच्छने के बहाने वो उसकी छातियो को हल्के-2 दबा रहा था.
"चलिए ना.डीटेल्स निकाल दीजिए.",रीमा ने उसके रुमाल वाले हाथ को पकड़ अपने सीने से अलग किया & थाम लिया.
"वो तो हो जाएगा,रीमा.पर मुझे इसके लिए कंपनी के रूल्स तोड़ने होंगे.अब तुम्हारा काम तो हो जाएगा पर बाद मैं कही किसी चक्कर मे फँस गया तो?"
"आपको मुझ पे यकीन नही तो ठीक है मैं जाती हू.कुच्छ और रास्ता निकाल लूँगी.",रीमा उसका हाथ छ्चोड़ अपना हॅंडबॅग उठाने लगी.
"अरे..अरे तुम तो बुरा मान गयी.",उसने उसके बॅग को वापस टेबल पे रख दिया.
"देखो,मेरी बात को समझो.मैं तुम्हारी बात का यकीन करता हू पर इस यकीन को थोड़ा पक्का कर ले तो कैसा रहे?",उसने उसकी उंगलियो मे अपनी उंगलिया फँसा दी.
"मतलब?"
"मतलब की तुम मेरी कोई ज़रूरत पूरी कर दो & मैं तो तुम्हारी मदद कर ही रहा हू."
"क्या ज़रूरत है आपकी?",रीमा ने बड़ी भोली आवाज़ मे पुचछा.1 बार फिर वो खुद पे ही हैरान हो गयी.अपने ससुर & जेठ को अपने रूप के जाल मे फाँसना 1 बात थी & 1 बिल्कुल अंजान मर्द के साथ ऐसी हरकत करना...आख़िर ये कौन सी रीमा छुपि थी उसके अंदर जो आज बाहर आ गयी थी..क्या वो चुदेगि इस वेर्मा से?उसका दिमाग़ उसे ऐसा करने से रोक रहा था पर दिल के किसी कोने मे इस स्मार्ट इंसान का लंड देखने की हसरत भी थी.
"जैसे तुम तन्हा हो,वैसे ही मैं भी.क्यू ना दोनो 1 दूसरे की तन्हाई दूर करे?"
"ये आप क्या कह रहे हैं?मैं शादीशुदा हू,मेरी ससुराल है यहा.किसी को पता चला तो ग़ज़ब हो जाएगा.",रीमा हाथ छुड़ा उसकी तरफ पीठ कर खड़ी हो गयी.
"मैं भी शादीशुदा हू.पर क्या मिला है हमे शादी से?!तन्हाई!दुख!!",उसने उसे घुमा उसकी उपरी बाहे थाम ली,"क्या हमे खुश रहने का कोई हक़ नही,रीमा?क्यू नही?",वो आगे झुक उसे चूमने की कोशिश करने लगा.
"नही!प्लीज़..इतनी जल्दी नही..",रीमा कसमसाते हुए उसकी पकड़ से निकल गयी,"आपकी बात सही है पर मुझे समझ नही आ रहा.."
"क्या समझ नही आ रहा,रीमा?बात पानी की तरह सॉफ है.किस्मत ने आज हमे इसलिए मिलाया है कि हम दोनो 1 दूसरे के घाव पे मरहम लगा अपना दुख बाँट ले."
|