RE: Mastram Kahani खिलोना
बाथरूम मे जा उसने अपनी चूत से अपने & अपने जेठ के मिले-जुले पानी को सॉफ किया & उसके बाद अपने कमरे मे जा अपने बिस्तर पे लेट गयी.रवि की मौत की याद ने उसे थोड़ा उदास कर दिया था.थोड़ी देर के बाद जब वो थोडा बेहतर महसूस करने लगी तो उसे अपने ससुर के कमरे मे जाने का ख़याल आया.
ये ख़याल आते ही उसकी आँखो के सामने उनका विशाल लंड घूम गया & वो उसके लिए मचल उठी.शेखर की चुदाई से उसे मज़ा तो काफ़ी आया था पर उसमे वो बात नही थी जो उसके ससुर के लंड की चुदाई मे थी.
वो उठी & अपने ससुर के कमरे मे पहुँच उसे अंदर से बंद कर दिया.उसने देखा कि उसके ससुर केवल 1 पाजामे मे बाई करवट लिए अपनी बाई बाँह फैलाए सो रहे थे.रीमा उनकी बाँह पे गर्दन रख उनके पेट से अपनी पीठ सटा लेट गयी.
"बड़ी देर कर दी आने मे?",उसके ससुर ने अपने बाए हाथ से उसके पेट को दबाया & बाए हाथ से उसके चेहरे को अपनी ओर घुमा के चूम लिया.
"पहले पक्का कर लिया कि भाय्या सो गये हैं फिर आई.",वीरेन्द्रा जी उसकी गर्दन & कान को अपनी जीभ से चाट रहे थे.
"आहह..!",रीमा हाथ पीछे ले जा के उनकी जाँघ सहलाने लगी.उसके पेट पे दबाव बढ़ा उसके ससुर ने उसे अपने से और चिपका लिया.उनका तना लंड उसकी गंद को छेड़ रहा था.उसने हाथ उनकी जाँघ से सरका कर उनके पाजामे के अंदर घुसा दिया & उनके लंड को दबोच लिया.विरेन्द्र जी जोश से भर उठे & उसकेगुलाबी होटो को अपने होटो की गिरफ़्त मे ले लिया.अपने दाए हाथ से उन्होने उसकी नाइटी उसके पेट तक उठा दी & ये देख कर उन्हे बहुत खुशी हुई की उनकी बहू ने पॅंटी नही पहनी है.
वो उसके नर्म पेट कोसेहलाने लगे तो रीमा मस्त हो उठी.थोड़ी देर तक दोनो ऐसे ही लेटे 1 दूसरे से खेलते रहे.फिर विरेन्द्र जी ने ज़िप खोल उसकी नाइटी निकाल दी & साथ ही अपना पाजामा भी.उसके बाद दोनो फिर पहले की तरह ही करवट से लेट गये.विरेन्द्र जी की बाई बाँह रीमा की गर्दन के नीचे थी & वो उसे मोड़ कर उस से उसकी चूचियो दबा रहे थे.उनका दाया हाथ उसके पेट को सहला कर अब उसकी चूत की दरार के अंदर जा चुका था & उसकी चूत मारते हुए उसके दाने से खेल रहा था.
रीमा की मस्त आहें कमरे मे गूँज रही & वो अपना हाथ पीछे ले जाकर लगातार अपने ससुर के लंड को हिला रही थी.विरेन्द्र जी अपने विर्य को यू ही ज़ाया नही करना चाहते थे.उन्होने फ़ैसला किया कि अब बहू की चूत के अंदर लंड पेलने का वक़्त आ गया है.उन्होने रीमा के हाथ को लंड से अलग किया & उसकी जाँघ उठा कर पीछे से उसकी चूत मे लंड को घुसा दिया.
"ऊव्ववव...!",गीली चूत मे 1 ही झटके आधा लंड घुस गया तो रीमा खुशी से करही.विरेन्द्र जी ने 1 ज़ोर का झटका मार लंड को और अंदर घुसा दिया & फिर उसकी कमर थाम उसके कान मे अपनी जीभ फिरते धक्के लगा उसे चोदने लगे.कोई 10 मिनिट तक दोनो ऐसे ही चुदाई करते रहे.
पर इस पोज़िशन मे विरेंड्रा जी को दो मुश्किलो का सामना करना पद रहा था,पहली तो ये की वो अपनी बहू की रसीली,कसी हुई च्चातियो कोचूँ नही पा रहे थे & दूसरी की उनकी बहू की भारी गंद के कारण पीच्चे से लंड पूरा जड़ तक उसकी छूट मे नही उतार रहा था,कोई 2 इंच लंड अभी भी बाहर ही था.
इस उलझन को सुलझाने के लिए उन्होने 2 कदम उठाए.पहले तो उन्होने ने रीमा की दाई बाँह को उठा अपने गले मे डाल दिया,अब वो बड़ी आसानी से कोहनी पे उचक कर उसकी चूचिया चूम सकते थे.दूसरे उन्होने उसकी दाई जाँघ को भी हवा मे उठा घुटने को उपर की तरफ मोड़ दिया.
"या..अहह..!",अगला धक्का पड़ते ही लंड जड़ तक रीमा की चूत मे धँस गया & उनकी झांते उसकी गंद पे गुदगुदी करने लगी.अब विरेन्द्र जी अपनी बहू की टांग हवा मे उठाए उसकी चूचिया चूस्ते हुए उसे चोद रहे थे.तेज़ धक्को से दोनो के बदन टकरा कर ठप-ठप की आवाज़ पैदा कर रहे थे.
चारो तरफ बस रीमा की गरम आहों,विरेन्द्र जी की भारी सांसो,उनके उसकी चूची को चुस्ती ज़ुबान की छाप-छाप & दोनो की जाँघो के टकराने की ठप-ठप की आवाज़े गूँज रही थी.
उसके ससुर का लंड ना केवल उसकी चूत की दीवारो को रगड़ता हुआ उसकी कोख तक उतर रहा था बल्कि साथ ही साथ रीमा के गुलाबी दाने को भी रगड़ रहा था.रीमा खुशी से पागल हो रही थी.उसने अपने ससुर के चेहरे को अपनी चूची पे दबा दिया,उसकी चूत सिकुड़ने-खुलने लगी & उसका बदन जैसे ऐंठ गया,उसके गले से सिसकारियाँ निकलने लगी & वो झाड़ गयी.उसके झाड़ते ही विरेन्द्र जी ने भी अपने लंड का सारा पानी उसकी चूत मे छ्चोड़ दिया.
वो उसकी चूत मे लंड डाले उसे पीछे से थामे थोड़ी दे पड़े सुबक्ती हुई रीमा के बॉल चूमते रहे.जब वो शांत हुई तो उन्होने उसकी चूत से लंड निकाला & उसे अपनी ओर घुमा उसेआपनी बाहों मे भर लिया.रीमा ने भी उनके सीने मे मुँह च्छूपा लिया & हाथ पीछे ले जा उनकी पीठ पे फेरने लगी.
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