RE: Mastram Kahani खिलोना
खिलोना पार्ट--11
"क्या?!",हैरत के मारे रीमा शेखर के मुँह से अपनी छाती खींचते हुए उठ बैठी.
"हा ये सुन के मेरी भी ऐसे ही हैरानी से आँखे फॅट गयी थी.",उसने अपने हाथो से रीमा के उभरो को मसलना शुरू कर दिया तो रीमा मस्त हो पीछे को झुक गयी & उसकी जाँघो पे हाथ रख अपनी कमर हिला कर उसे चोदने लगी.
"मुझे शक़ तो शादी के फ़ौरन बाद ही हो गया था,जब भी मैं मीना के साथ हुम्बिस्तर होता तो कभी भी उसके प्यार मे वो शिद्दत,वो गर्मी नही महसूस करता जो अभी मैं तुम्हारे साथ महसूस कर रहा हू.",उसने अपनी उंगलियो & अंगूठो के बीच उसके गुलाबी,कड़े निपल्स को मसला.
"ऊनन्न...न्नह...!",रीमा के मुँह से मस्ती भरी आह निकली,"तो इसीलिए आपने उन्हे छ्चोड़ दिया?"
"नही.उसने छ्चोड़ा मुझे.वो समझती थी कि शादी करने के बाद 1 मर्द के साथ सोने से वो अपनी लेज़्बीयन टेंडेन्सीस से छुट कारा पा जाएगी.",उसके हाथ उसकी चूचियो छ्चोड़ उसके पेट से होते उसकी कमर पे आ गये & वाहा सहलाने लगे,"..पर शादी के बाद उसे पता चला कि वो 1 पक्की लेज़्बीयन थी & 1 लड़की के साथ ही उसे सच्ची खुशी मिल सकती थी.तब उसने मुझे पूरी बात बताई & अलग होने की बात कही."
"ये बात बाहर आ जाती तो उसके पिता की बदनामी तो होती ही& उसका मज़ाक उड़ता सो अलग.",शेखर का 1 हाथ अब उसके चूत के दाने को छेड़ने लगा तो दूसरा उसकी गंद मसालने लगा,"हमने कोर्ट मे ये कहा की हमारी नही बनी & अलग हो गये."
रीमा अपनी चूत पे हो रहे दोहरे हमले से और जोश मे आ गयी.शेखर की जाँघो मे नाख़ून गाड़ते हुए उसकी कमर और तेज़ी से हिलाने लगी.तभी शेखर ने अपना हाथ उसकी गंद से हटा 1 उंगली उसकी गंद के छेद मे डाल दी & अंदर-बाहर करने लगा.ये रीमा के लिए बहुत था & आहें भरती हुई अपनी चूत अपने जेठ के लंड पे कस्ति वो झाड़ गयी.
उसके झाड़ते ही शेखर ने उसकी चूचिया पकड़ उसे अपनी ओर खींचा,"औच्च..!",रीमा कराही.शेखर ने उसकी कमर को जाकड़ लिया & उचक कर उसकी चूची चूसने लगा & अपने घुटने मोड़ नीचे से अपनी कमर उचका कर धक्के मार उसकी चूत चोदने लगा.
रीमा अपने जेठ के सर को बाहों मे भरे उसके सर को चूमते उसके धक्के सहने लगी.कोई 5 मिनिट तक ज़ोरदार धक्के लगाने के बाद शेखर उसकी चूत मे झाड़ गया.रीमा प्यार से उसके चेहरे को चूमने लगी.
"आपने सही कहा था,हम दोनो ही तन्हा हैं & जिनसे हमने प्यार किया उन्हे शायद हम ठीक से समझ नयी पाए."
"क्या मतलब?रवि & तुम तो बहुत खुश थे."
"हां,पर उसकी मौत के बाद 1 बात जो सामने आई उसने मुझे भी सोचने पे मजबूर कर दिया."
"कौन सी बात?"
रीमा ने उसे रवि के बॅंक से धोखे से लिए गये लोन से जुड़ी सारी बात बता दी.
"क्या?!और पिता जी ने 4 लाख रुपये चुप-चाप दे दिए?",रीमा अपने जेठ के उपर से उतर उसके बगल मे बैठ उसके सीने & माथे को सहलाने लगी.
"हां."
"हो ना हो,पिताजी कुच्छ जानते हैं.",रीमा उठ कर दरवाज़े तक गयी & वाहा गिरी नाइटी उठा पहनने लगी.
"लगा तो मुझे भी कुच्छ ऐसा ही था पर क्या पुछ्ति उनसे?"
"कोई फयडा भी नही होगा पुच्छने से.वो कुच्छ बताएँगे भी नही.ऐसे ही हैं वो बस खुद से मतलब है.",शेखर 1 अपमान भरी हँसी हंसा.
"आपको नही लगता कि इस बात का & रवि की मौत का कोई ताल्लुक हो सकता है?",रीमा ने नाइटी का ज़िप बंद किया.
"नही रीमा.वो तो 1 हादसा था.अगर ज़रा भी शक़ की गुंजाइश होती तो पोलीस ज़रूर हमे कुच्छ बताती,पर पोस्ट मॉर्टेम रिपोर्ट्स &पोलीस के अनुभवी अफसरो का भी यही कहना था कि वो 1 आक्सिडेंट था."
"ओह्ह.",रीमा ने ठंडी आह भरी & शेखर के कमरे से निकल गयी.
|