RE: Mastram Kahani खिलोना
पलंग पे रवि की 2 डाइयरीस पड़ी थी जिसमे उसके सैकड़ो फोन नॉस. & ईमेल आइड्स & ऐसे और उसके काम से संबंधित बाते लिखी थी.साथ मे था रवि का मोबाइल फोन & पर्स.ये दोनो चीज़े पोलीस ने नदी से निकली रवि की लाश से बरामद की थी & बाद मे रीमा के हवाले कर दिया था.मोबाइल फोन तो पानी घुसने से बिल्कुल बेकार हो चुका था.
ये चीज़े देख रीमा उदास हो उठी थी.मोबाइल उलटते-पलटते उसे ख़याल आया कि इस छ्होटी सी चीज़ पे दोनो ने कितनी प्यार & शरारत भरी बातें की थी.रवि तो फोन पे ही ऐसी-2 शरीर बातें करता की वो मस्त हो उठती & अपने बदन से खेलने लगती,जब होश आता तो वो शर्म से दोहरी हो जाती & अपने पति पे उसे गुस्सा आता पर गुस्से से कहीं,कहीं ज़्यादा प्यार.
रीमा की आँखो के कोने से आँसू की 2 बूंदे ढालाक गयी.तभी उसके दिमाग़ मे 1 ख़याल कौंधा.उस दिन रवि ने किस-2 से बात की थी?रवि शहर से बाहर क्यू गया था वो भी उनकी अन्निवेर्सरि के दिन?क्या इसका सुराग उसे फोन की कॉल डीटेल्स से मिल सकता था?पर ये फोन तो बेकार हो चुका था...तो क्या हुआ..मोबाइल फोन सर्विस प्रवाइडर कंपनी से वो ये डेअतिल्स निकलवा सकती थी.हां!मौका मिलते ही वो ऐसा करेगी & आज..आज वो कैसे भी करके अपने ससुर & जेठ से रवि के बारे मे बात करेगी.
तभी बाहर विरेन्द्र जी के कार रुकने की आवाज़ आई,उसने अपनी आँखे पोन्छि & सारा समान उठा कर अलमारी के अंदर बंद किया & दरवाज़े की ओर बढ़ गयी.तभी 1 और कार के रुकने की आवाज़ आई.वो बाहर आई तो देखा कि उसके ससुर अपनी कार लॉक कर रहे हैं & उनके पीछे टॅक्सी से शेखर उतर रहा है.
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पूरी शाम रात के खाने तक उसके ससुर & जेठ 1 दूसरे की नज़र बचा कर उसे बाहो मे भरने की कोशिश करते रहे पर रीमा भी उनकी हर कोशिश नाकाम करती रही.उसे दोनो को तड़पाने मे बड़ा मज़ा आ रहा था.जब वो देखती की दोनो मे से 1 भी उसे तन्हा पा दबोच सकता है तो वो अपने कमरे मे घुस जाती.वो जानती थी की आज दोनो मे से किसी को,1 दूसरे के कारण,उसके कमरे मे घुसने की हिम्मत नही होगी.पर आख़िरकार दोनो ने उस से 1 दूसरे की मौजूदगी मे थोड़ी च्छेद-च्छाद कर ही ली.
हुआ यूँ की रात तीनो खाने की मेज़ पे बैठे थे.मेज़ के 1 सिरे पे जो अकेली कुर्सी थी,उसपे विरेन्द्र जी बैठे थे.उनके दाए हाथ वाली बगल की कुर्सी पे रीमा & रीमा के बगल वाली कुर्सी पे शेखर बैठा था.
सभी खामोशी से खाना खा रहे थे कि तभी रीमा को अपने बाएँ पैर पे कुच्छ महसूस हुआ-ये उसके ससुर का पाँव था.रीमा की तो हालत खराब हो गयी,अगर शेखर ने ये देख लिया तो क्या होगा?!उसने हल्के से अपना पैर अलग किया & उनके पैर पे उस से चपत लगा कर उनके पाँव को दूर कर दिया.पर विरेन्द्र जी कहा मानने वाले थे,उन्होने वही हरकत दोहराई & इस बार उनका पाँव उसके पाँव को सहलाता हुआ उसकी पिंडली पे आ गया & उसकी सारी मे घुस उसकी मखमली टाँग को सहलाने लगा.
रीमा ने आँख के कोने से देखा की शेखर खाने मे मगन है तो उसने मिन्नत भरी नज़र से अपनी ससुर को देखा & पैर अलग करने की कोशिश की पर उन्होने मज़बूती से उसकी टांग पे अपने पाँव का दबाव बनाए रखा & बहुत हल्के से 1 शरारत भरी मुस्कान उसकी तरफ फेंकी.
घबराई रीमा अभी ससुर के हमले से सहमी हुई थी कि तभी उसे अपनी दाई जाँघ पे अपने जेठ के बाए हाथ का एहसास हुआ.उसेन 1 हाथ हल्के से नीचे ले जा अपने ससुर की नज़र बच उसे हटाना चाहा पर शेखर भी बाप की तरह उसके जिस्म को छेड़ता रहा.बल्कि उसने तो हद ही कर दी.खाना खाते हुए बहुत धीरे से उसने उसकी सारी घुटनो तक खेंची & अपना हाथ घुसा उसकी जाँघ सहलाने लगा.
रीमा का तो घबराहट से बुरा हाल था पर उसके जिस्म को दोनो की च्छेद-च्छाद बहुत पसंद आरहि थी & उसकी चूत मे कुच्छ-कुच्छ होने लगा था.दोनो बाप-बेटे 1 दूसरे से अंजान उसकी टाँगो से खेल रहे थे & वो शर्म & डर से पानी-2 हो रही थी.जैसे-तैसे उसने खाना ख़त्म किया & झटके से उठ खड़ी हुई,उसके खड़े होते ही दोनो ने अपना पाँव & हाथ खींच लिया,"मैं पानी लेकर आती हू.",रीमा ने जग उठाया & किचन मे चली गयी.
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