RE: Mastram Kahani खिलोना
रीमा अब झड़ने के बहुत करीब थी & उसकी कमर तेज़ी से हिलने लगी थी & उसकी कसी चूत ने सिकुड-2 कर विरेन्द्र जी के लंड को भी बेकाबू कर दिया.कार सिविल लाइन्स मे दाखिल हो चुकी थी & जैसे ही घर के सामने रुकी,रीमा ने अपने ससुर को ज़ोर से अपनी बाहो मे भींच लिया & बेचैनी मे कमर हिलाने लगी.विरेन्द्र जी ने भी उसकी कमर को अपनी बाहो मे जाकड़ लिया & उसकी छातियो बीच अपना चेहरा घुसा अपनी जोश मे सिसकती हुई बहू के साथ झाड़ गये.
उन्होने उसे धीरे से अपनी गोद से उठाया & उसकी सीट पे बिठाया,अपनी पॅंट की ज़िप बंद की & कार से उतर कर गेट खोला & फिर वापस कार मे आ गये.कार घर के अंदर आ गयी तो वो फिर कार से उतरे & घूम कर आए & रीमा की साइड का दरवाज़ा खोला.अंदर रीमा सीट पे ऐसे पड़ी थी जैसे अभी-2 बेहोशी से जागी हो.वो अधखुली आँखो से अपने ससुर की ओर देख कर मुस्कुराइ तो उन्होने झुक कर उसे गोद मे उठा लिया.
थोड़ी ही देर बाद वो अपने ससुर के कमरे मे उन्ही के बिस्तर पे पड़ी थी.वो अपने कपड़े उतार उसकी बगल मे आए & उसे नंगी करने लगे.रीमा ने गर्दन घुमा कर देखा उसकी सास बेख़बर सो रही थी.वो अब पूरी नंगी थी & सुके ससुर उसके जिस्म से खेल रहे थे.उसने अपनी सास से नज़रे हटाई & अपने ससुर को बाहो मे भर उनकी गरम हर्कतो का मज़ा लेने लगी.
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सुबह रीमा की आँख खुली तो वो कल रात ही की तरह अपने ससुर के बिस्तर मे नंगी पड़ी थी पर आज वो वाहा नही थे.बाथरूम से पानी गिरने की आवाज़ आ रही थी,शायद वो नहा रहे थे.रात उसके ससुर ने उसे 2 बार जम के चोद कर उसका बुरा हाल कर दिया था,पर उसे मज़ा भी बहुत आया था.उसे ख़याल आया की कल शायद पहली बार वो चुदाई से इतना संतुष्ट हुई थी.
वो अंगड़ाई लेते हुए उठी,अपने कपड़े समेटे & अपने कमरे मे चली गयी.उस दिन सवेरे दफ़्तर जाने से पहले & दोपहर को खाने के वक़्त उसके ससुर को उसे चोदने को मौका नही मिला क्यूकी गणेश वाहा था.उन्हे बस उसे बाहों मे भर कुच्छ किस्सस से ही संतोष करना पड़ा.
रीमा ने मन ही मन गणेश का शुक्रिया अदा किया,आख़िर उसकी चूत को थोडा आराम भी तो चाहिए था.आज उसने रवि के समान का बक्सा खोला & उन्हे ठीक करने लगी.समान मे उसे 1 आल्बम मिला,ये शेखर की शादी का आल्बम था.उसने आल्बम पलट के देखा तो उसमे उसे मीना & उसके परिवार वालो की भी तस्वीरे दिखी.तभी ड्रॉयिंग रूम मे रखा फोन घनघना उठा.
रीमा को परसो की ब्लॅंक कॉल्स याद आ गयी.वो डरते हुए ड्रॉयिंग रूम मे पहुँची,"हे..हेलो."
उधर से कोई आवाज़ नही आई,बस रोड पे जाते ट्रॅफिक की हल्की आवाज़.
"हेलो,कुच्छ बोलते क्यू नही?"
अभी भी बस किसी की सांसो की आवाज़ & बस ट्रॅफिक का शोर.
"देखो ये फोन करना बंद करो वरना पोलीस मे कंप्लेंट कर दूँगी!",रीमा चीखी& तुरंत फोन काट दिया गया.शायद जो भी था वो डर गया...रीमा के माथे पे पसीने की बूंदे छल्छला आई थी.सारी के पल्लू से उसने उसे पोच्छा & वापस अपने कमरे मे आ गयी & रवि का समान ठीक करने लगी.अभी भी उसका आधा ध्यान फोन पे ही लगा हुआ था.
पर उस रोज़ वो बल्न्क कॉल दुबारा नही आई.रीमा ने चैन की साँस ली,ज़रूर कोई बदतमीज़ इंसान शरारत कर रहा होगा...तभी तो पोलीस की धमकी से डर गया..पर आख़िर था कौन वो?उसने सर झटक कर रवि के समान से खाली बक्सा लॉफ्ट मे डाल & स्टूल से उतार बिस्तर पे रखी उन चीज़ो को देखने लगी जो उसे काम की लगी थी.
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