RE: Mastram Kahani खिलोना
खिलोना पार्ट--10
दोनो कार पार्किंग मे आ गये थे.जब हवा रीमा की बिना पनटी की गीली चूत को छुति तो रीमा के बदन मे सिहरन दौड़ जाती.दोनो जैसे ही गाड़ी के अंदर बैठे वीरेन्द्रा जी ने उसे बाहों मे खीच कर चूमना शुरू कर दिया.
"पागल हो गये हैं क्या?!थोड़ी देर मे घर पहुँच जाएँगे फिर जो मर्ज़ी आए करिएगा."
"घर पहुँचने तक कौन सब्र करेगा!",विरेन्द्र जी ने उसकी कमर मे हाथ डाल कर अपने उपर खींच लिया.उसकी दाई जाँघ पकड़ उसे उन्होने अपनी गोद मे बैठा लिया.अब रीमा अपने दोनो घुटने विरेन्द्र जी के दोनो तरफ उनकी सीट पे टिकाए उनकी ओर चेहरा किए बैठे थी.
"क्या कर रहे हैं?घर चलिए ना!कोई देख लेगा!",पर वो मन ही मन जानती थी की कार के काले शीशो से किसी को कुच्छ भी नज़र नही आएगा.
जवाब मे खामोश विरेन्द्र जी ने उसकी स्कर्ट उसकी कमर तक उठा उसकी गंद को नंगा कर दिया & उसे मसल दिया.
"ऊव्वव..!,"रीमा चिहुनक के पीछे हुई तो उसकी गंद से दब के हॉर्न बज उठा.वो चौंक के आगे को हुई तो उसका सीना उसके ससुर के मुँह पे दब गया.विरेन्द्र जी ने हाथ उसकी गंद से हटा उसकी शर्ट के बटन खोल दिए & उसके ब्रा कप्स नीचे कर उसकी छातिया नुमाया कर दी.वो अपने होंठो मे उसका निपल लेने ही जा रहे थे की आँखो के कोने से उन्हे कोई गाड़ी की ओर आता दिखा.उन्होने सर घुमाया तो देखा पार्किंग अटेंडेंट शायद हॉर्न सुन कर वाहा आ रहा था,"अब तो जाने दीजिए,वो देख लेगा."
उन्होने रीमा का सर अपने बाए कंधे पे लगा दिया तो उसने शर्म & डर से उनकी गर्दन मे मुँह च्छूपा लिया.विरेन्द्र जी ने कार स्टार्ट कर अपनी बगल का शीशा 1 इंच नीचे सरकया & अपनी जेब से पार्किंग स्लिप निकल कर बाहर कर दी.जैसे ही अटेंडेंट ने स्लिप ली उन्होने शीशा वापस बंद किया & कार गियर मे डाल वाहा से निकल गये.
रीमा उनकी गर्दन से लगी उनके बालो को चूमती उनके कान तक आ गयी & वाहा जीभ फिराने लगी.विरेन्द्र जी का 1 हाथ स्टियरिंग संभाले था & दूसरा उसकी गंद.गंद मसल्ते हुए वो बीच-2 मे अपनी उंगलिया उसकी पहले से ही गीली चूत मे घुसेड उसे और मस्त कर देते.कार 1 लाल बत्ती पे रुकी तो उन्होने उसका सर अपनी गर्दन से उठाया & उसकी गर्दन चूमने लगे & उसकी नंगी छातिया दबाने लगे.अपनी बहू के जिस्म से खेलते वक़्त भी उनकी 1 नज़र ट्रॅफिक सिग्नल पे थी.
जब बत्ती हरी होने 4 सेकेंड बाकी थे उन्होने रीमा को वापस अपने कंधे पे झुका दिया & हाथ स्टियरिंग व्हील पे जमा दिए.थोड़ी देर बाद कार 1 सुनसान रास्ते के किनारे खड़ी थी.अंदर विरेन्द्र जी अपनी पॅंट की ज़िप खोल अपने तने लुंड को आज़ाद कर रहे थे.जैसे ही लंड बाहर आया उन्होने रीमा की कमर पकड़ उसे थोडा उपर उठाया तो रीमा को अपना सर,छत से टकराने से बचाने के लिए,मोड़ना पड़ा.रीमा को इतनी सी जगह मे तकलीफ़ तो हो रही थी पर अब वो इतनी मस्त हो चुकी थी कि उसका भी पूरा ध्यान इसी पे था की लंड जल्द से जल्द उसकी चूत मे उतर जाए.
"ऊवन्न्नह...!",उसकी कमर पकड़ विरेन्द्र जी उसकी चूत को नीचे अपने लंड पे बिठा रहे थे.रीमा आँखे बंद किए जन्नत का मज़ा ले रही थी.धीरे-2 विरेन्द्र जी ने उसकी गीली,कसी चूत मे अपना पूरा लंड घुसा दिया था.जैसे ही लंड उसकी चूत मे उतरा रीमा हौले-2 अपनी कमर हिला अपने ससुर को चोदने लगी.अपनी बाहो मे उनका सर थामे वो उनके चेहरे को चूम रही थी & वो उसकी जाँघो & गंद की फांको को सहला & मसल रहे थे.
"औउईई...."!,विरेन्द्र जी ने उसकी गंद की फांको को पकड़ फैलाया & नीचे से 1 धक्का मार लंड को थोड़ा & अंदर पेल दिया.रीमा ने मज़े मे अपना सर पीएच्छे झुका लिया तो विरेन्द्र जी का मुँह उसकी चूचियो से आ लगा.अपने बड़े-2 हाथो मे उन गोलैईयों को दबाते हुए जब उन्होने उसके निपल्स को चूसना शुरू किया तो रीमा मस्त हो ज़ोर-2 से आँहे भरने लगी.
हॉल मे उसके ससुर की हर्कतो ने तो उसे पहले से ही गरम कर दिया था & अब तो वो बस मस्ती मे सब कुच्छ भूल गयी थी.उसका तो अब 1 ही मक़सद था,ससुर के लंड का पूरा लुत्फ़ उठाते हुए झड़ना.वो झुक कर अपने ससुर का गाल चूमने लगी& उसकी कमर हिलाने की रफ़्तार बढ़ गयी.विरेन्द्र जी ने आखरी बार उसकी चूचियो को चूसा & फिर उसका चेहरा अपनी गर्दन मे च्छूपा दिया.
उन्होने कार स्टार्ट की & अपनी बहू से चुदवाते हुए घर की ओर बढ़ चले.रीमा तो पागल ही हो गयी थी.उसे कोई होश नही था की उसके ससुर ड्राइव कर रहे हैं,वो तो बस पागल हो उनके कभी उनके होंठ चूमती तो कभी गाल,मस्ती मे उसने उनका चेहरा अपने सीने मे दबाना चाहा तो बड़ी मुश्किल से उन्होने उसे ऐसा करने से रोक रास्ते पे आँखे लगाई.
|