RE: Mastram Kahani खिलोना
खिलोना पार्ट--9
"मा जी की ऐसी हालत के कारण आप काफ़ी परेशान रहते है ना."
"हा,वो तो है पर मैं उसे बहुत चाहता हू.",उन्होने उसके नर्म होंठो पे अपनी 1 उंगली फिराई,"अभी हम दोनो ने जो किया उसके बाद तुम्हे लग रहा होगा कि मैं यू ही कह रहा हू पर ऐसा नही है,मैं सच मे सुमित्रा को बहुत चाहता हू."
रीमा को होतो मे सिहरन महसूस हुई तो उसने आँखे बंद कर ली,"ऐसा मत सोचिए,मैं समझती हू आपकी बात."उसने वीरेन्द्रा जी की हथेली चूम ली.उन्होने उसे उपर खींच उसका चेहरा अपने चेहरे के करीब कर लिया.अब रीमा की छातिया उसके ससुर के सीने पे दबी थी & वाहा के बालो का गुदगुदाता एहसास उसे बहुत भला लग रहा था.
"मा जी की बीमारी का कारण तो डॉक्टर साहब ने मुझे समझाया था पर उन्हे कोई तनाव भी था क्या जिसकी वजह से बीमारी ने ये रूप इकतियार कर लिया?",वो अपनी उंगलियो से उनके निपल के गिर्द दायरा बना रही थी & विरेन्द्र जी 1 हाथ उसके बदन के गिर्द लपेट उसकी गंद सहला रहे थे & दूसरे से उसके मासूम चेहरे को.
"पता नही,रीमा मेरे सुखी परिवार को किस की नज़र लग गयी!लोग कहते थे कि मेरे 2 बेटे हैं & मैं कितना किस्मतवाला हू.पर तक़दीर का खेल देखो 1 बेटा जो मेरे साथ रहना चाहता था,उसे मैने खुद अपने से दूर कर दिया & दूसरा खुद हमसे दूर चला गया."
"आप शेखर भाय्या की बात कर रहे हैं क्या?पर वो तो यही हैं,कहा दूर हैं आपसे?",उसने अपने ससुर के गाल पे बड़े प्यार से चूमा,उनके हाथ अब उसकी गंद को थोड़ा और ज़ोर से दबा रहे थे.
"मैं दिलो की दूरी की बात कर रहा हू.इस लड़के को हमने इतना प्यार दिया,जहा तक हो सका इसकी हर ख्वाहिश पूरी की पर ना जाने क्यों ये इतना मतलबी हो गया.",उन्होने उसकी गंद की दरार मे 1 उंगली घुसा के फिराया तो रीमा ने चिहुनक के अपनी जाँघ उनके उपर चढ़ा दी.
"1 आम इंसान इंसान के पास गैरत की दौलत होती है & मेरे पास भी वही है,रीमा.बाप-दादा की थोड़ी बहुत दौलत है पर मैने तो सिर्फ़ इज़्ज़त कमाई है जिसे शेखर ने धूल मे मिलाने की पूरी कोशिश की है."
"क्या?!ऐसा क्या किया है भाय्या ने?"
"उसे बिज़्नेस करना था,मैं पैसे देने को तैय्यार था पर उसे केवल पैसा नही मेरे ओहदे का ग़लत इस्तेमाल भी चाहिए था.मैने इस के लिए मना कर दिया तो आए दिन घर मे हम दोनो के बीच बहस होने लगी.शायद इसी बात ने सुमित्रा को तनाव पहुँचाया & वो आज ऐसे पड़ी है."
"भाय्या को देख कर तो ऐसा बिल्कुल नही लगता कि वो इतने मतलबी हैं."
"मैं जानता हू,रीमा.पर तुम्ही बताओ कि अगर शेखर 1 शरीफ लड़का है तो आख़िर मीना ने,जिसने अपनी पसंद से शेखर से शादी की थी,उसे क्यू छ्चोड़ दिया?"
"क्यू छ्चोड़ा?",रीमा फिर से मस्त होने लगी थी,उसके ससुर जितनी संजीदा बातें कर रहे थे उनके हाथ उतनी ही संजीदगी से उसकी भारी गंद को मसल रहे थे.उन्होने ने उसका हाथ अपने चेहरे से हटाया & पकड़ कर अपने लंड पे रख दिया तो शर्मा के रीमा ने अपना हाथ खींच लिया.उन्होने दुबारा उसका हाथ अपने लंड पे दबा दिया & तब तक दबाए रखा जब तक रीमा ने अपने हाथ से लंड को पकड़ कर हिलाना शुरू नही कर दिया.पहली बार उसने रवि के अलावा किसी और मर्द का लंड अपने हाथो मे लिया था,शर्म से उसने अपना चेहरा विरेन्द्र जी की गर्दन मे च्छूपा लिया.
"मीना & शेखर 1 दूसरे को कॉलेज के दीनो से जानते था.उसके पिता एस.के.आहूजा इस शहर के बहुत जाने-माने बिज़्नेसमॅन हैं.आहूजा साहब ने जब सुना की उनकी लड़की शेखर से शादी करना चाहती है तो वो फ़ौरन तैय्यार हो गये,केवल इसलिए क्यूंकी शेखर मेरा बेटा था,उस इंसान का जिसकी ईमानदारी & ग़ैरतमंदी की लोग मिसाल देते हैं."
"..पर इस नालयक ने शादी के बाद मीना को परेशान करना शुरू कर दिया,उस से कहने लगा कि अपने बाप से उसके लिए पैसे माँग के लाए.मीना 1 खुद्दार लड़की थी,फ़ौरन तलाक़ दे दिया इसे."
"ओह्ह..",तो ये बात थी.उसका जेठ इतना दूध का धुला नही था जितना वो खुद को दिखाता था.
विरेन्द्र जी ने उसका चेहरा अपनी गर्दन से उठाया & अपनी 1 उंगली को अपने होटो से चूम कर पहले उसके होटो पे रखा & फिर उसके हाथो मे क़ैद अपने लंड की नोक पे.रीमा उनका इशारा समझ गयी,वो चाहते थे कि वो उनके लंड को अपने मुँह मे ले.शर्म से 1 बार फिर उसने अपना चेहरा उनके सीने मे दफ़्न कर दिया.विरेन्द्र जी ने उसका चेहरा उपर उठाया & मिन्नत भरी नज़रो से उसे देखा पर रीमा ने शर्म से इनकार मे सर हिला दिया.
|