RE: Mastram Kahani खिलोना
विरेन्द्र जी अपनी बहू के बगल मे लेट गये.रीमा उनसे नज़रे नही मिला पा रही थी.उन्होने उसे पशोपेश मे पड़ा देख करवट ली & अपनी कोहनी के बल अढ़लेते हो उसका चेहरा पानी ओर घुमाया,"मैं तुम्हारी मन की हालत समझ रहा हू,रीमा."
उन्होने प्यार से उसके चेहरे पे हाथ फेरा,"हम सब तक़दीर के हाथ के खिलोने हैं, रीमा.अगर सुमित्रा ठीक होती तो शायद आज हम दोनो 1 दूसरे की बाहों मे सुकून नही ढूँढ रहे होते.",वो उसके थोड़ा और करीब आ गये & उसके चेहरे को हाथ मे भर लिया,"तुमने कोई ग़लती नही की है.हम दोनो को सुकून चाहिए था,प्यार चाहिए था जो आज हमने पा लिया है."
उन्होने उसे अपने सीने से लगा लिया.रीमा ने उनके सीने मे मुँह च्छूपौंके बालो से खेलने लगी,"फिर भी मुझे अजीब लग रहा है.मा जी भी इसी कमरे मे हैं & हम दोनो.."
"तुमने सुना था ना आज सवेरे डॉक्टर ने क्या कहा.तुम्हे लगता है उसे कुच्छ पता भी चलता है.",उन्होने उसके चेहरे को अपने सीने से उठाया & उसे उसकी सास की ओर घुमा दिया,"खुद ही देखो & समझो.वो बेख़बर सो रही है.तुम बेकार मे ही इतना सोच रही हो."
उन्होने फिर से उसका चेहरा अपनी ओर घुमा लिया,"मैं तुम्हारे जिस्म के लालच मे ऐसी बातें नही करा रहा,रीमा.अब तो जब तक ज़िंदा रहूँगा तुम्हे खुद से अलग नही करूँगा.",सुनते ही रीमा ने 1 बार फिर उनके सीने मे सर छुपा लिया & अपनी बाहें उनके गिर्द लपेट दी.
कल जेठ ने उस से ऐसा ही वादा किया था.उसे यकीन हो गया कि दोनो बाप-बेटे अब उसके दीवाने हो चुके हैं.अब बस उनसे रवि के बारे मे पुच्छना था पर सीधे रवि के मुद्दे पे पहुँचना ठीक नही था.
विरेन्द्र जी पीठ के बाल लेट गये तो वो उनके सीने पे ठुड्डी रख उनके सीने के बालो मे हाथ फिरते उन्हे देखने लगी,वो भी 1 हाथ से उसकी पीठ सहला रहे थे & दूसरे से उसका चेहरा.
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