RE: Mastram Kahani खिलोना
रीमा को अपनी चूत बहुत फैली हुई महसूस हो रही थी & लग रहा था जैसे लंड उसकी कोख को छु रहा है.दर्द से उसका बुरा हाल था & उसके ससुर उसके चेहरे पे प्यार कर उसे दिलासा दे रहे थे,"बस थोड़ी देर और रीमा.फिर दर्द नही होगा.",उन्होने उसके होंठ चूम लिए & बालो मे प्यार से उंगलिया फिराई.
थोड़ी देर तक दोनो ऐसे ही पड़े रहे.रीमा को अब चूत मे उतना दर्द महसूस नही हो रहा था.ससुर ने जब उसे चूमा तो उसने भी उनका जवाब दिया.विरेन्द्र जी समझ गये कि उनकी बहू अब तैय्यार है.उन्होने उसके होटो को छ्चोड़ा & अपने शरीर का वज़न अपने हाथो पे लिया & अपनी बहू की चुदाई शुरू कर दी.पहले उन्होने तेज़-2 धक्के लगाए जिसमे लंड को बस 1-2 इंच निकालते & वापस अंदर घुसेड़ते.रीमा को धीरे-2 मज़ा आने लगा.वो अपने ससुर के चेहरे & बालो को सहलाती आहें भरने लगी.
तभी विरेन्द्र जी ने अपना पूरा लंड बाहर खींच लिया,रीमा ने बेचैन होकर उन्हे देखा तो उन्होने 1 ही झटके मे पूरा लंड जड़ तक उसकी चूत मे पेल दिया,"ययय्याअ...अहह.....!"
वो अब वैसे ही उसकी चुदाई करने लगे.लंड पूरा बाहर निकलता & फिर उसकी चूत की दीवारो को रगड़ता पूरा अंदर उसकी कोख पे चोट करता.रीमा को आज चुदाई मे 1 अलग ही मज़ा आ रहा था,उसकी चूचिया उसी की जाँघो से दबी थी & उसकी गंद हवा मे उठी थी,उसकी चूत पूरी तरह से भरी हुई थी & उसके ससुर के लंड ने आज वाहा की अंजनी गहरआीओं की भी थाह पा ली थी.कमरे मे उसकी मस्त आहों & दोनो बदनो के टकराने से होने वाली ठप-ठप का शोर भर गया था.
उसे उनपे बहुत प्यार आ रहा था,उसने उनके कंधे से अपनी टांगे उतारी &उन्हे अपनी बाहो मे भर लिया.विरेन्द्र जी उसके सीने पे आ गिरे & उसकी छातियो को 1-1 कर चूमने,चूसने लगे.रीमा ने उन्हे बाँहो मे भर लिया,उसकी चूत मे फिर से सैलाब आने वाला था.नीचे से कमर हिला के अपने ससुर के धक्को की ताल से ताल मिलाती हुई रीमा ने अपनी टांगे अपने ससुर की कमर पे लपेट दी & उनकी पीठ पे अपने नाख़ून गढ़ा दिए.
उसकी इस हरकत से विरेन्द्र जी की कराह निकल गयी & जवाब मे उन्होने उसके निपल पे हल्के से काट लिया,"..आउच.."रीमा ने 1 हाथ से उनके सर को पकड़ा & उनके बालो को चूमने लगी.उसके अंदर का सैलाब अब बाँध तोड़ने वाला था,वो अपने ससुर से चिपेट गयी & उसकी टांगे भी उनकी कमर पे और कस गयी.विरेन्द्र जी समझ गये कि रीमा झड़ने वाली है.उन्होने भी अपनी रफ़्तार बढ़ा दी.उनके झांतो भरे अंदो हर धक्के के अंत मे उनकी बहू की गंद से टकराते हुए उसे गुदगुदी का एहसास करा रहे थे.
रीमा ने अपनी कोख पे उनके लंड की 2-3 चोटे & और बर्दाश्त की और उसके अंदर उस सैलाब ने बाँध तोड़ दिया,उसकी चूत ने पानी छ्चोड़ना शुरू कर दिया & वो अपने ससुर के बदन से चिपकी बिस्तर से उठाते हुए उनके कानो मे पागलो की तरह जीभ फिराती हुई सिसकते हुए झाड़ गयी.ठीक उसी वक़्त विरेन्द्र जी ने भी अपने उपर से काबू हटाया & 2-3 ज़ोर के गहरे झटको के साथ अपनी बहू की चूत को अपने गाढ़े पानी से भर दिया.
थोड़ी देर तक दोनो वैसे ही पड़े अपनी साँसे संभालते रहे.फिर वीरेंद्र जी ने बड़े प्यार से अपनी बहू के होटो को चूम लिया.वासना का तूफान थम गया था & अब रीमा फिर से होश मे आ गयी थी.उसके ससुर ने उसके होंठ छ्चोड़े तो उसने शरमे से चेहरा घुमा लिया & उसकी नज़र कमरे के दूसरी ओर सो रही अपनी सास पे पड़ी.
रीमा तो शर्म से पानी-2 हो गयी.उसने सपने मे भी नही सोचा था कि वो 1 दिन अपनी सास के उसी कमरे मे होते हुए अपने ससुर से चूड़ेगी.विरेंड्रा जी का लंड सिकुड चुका था पर उनका सिकुदा लंड भी उनके बिटो के खड़े लंड के बराबर था & रीमा को कहीं से भी ये महसूस नही हो रहा था कि उसकी चूत के अंदर 1 झाड़ा हुआ लंड पड़ा है.उन्होने अपना लंड बाहर खींचा तो रीमा को लगा जैसे उसके अंदर कुच्छ खाली सा हो गया है.
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