RE: Mastram Kahani खिलोना
उसके कंधे को चूमते हुए उन्होने उसकी पीठ सहलाई & थोड़ी देर सहलाने के बाद उंगलियो की 1 हरकत से उसके ब्रा का हुक खोल दिया.रीमा उनकी गर्दन मे मुँह च्छुपाए उनके गालो को चूमते हुए अपने ब्रा के उतरने का इंतेज़ार कर रही थी.उसके ससुर ने उसे फिर से बिस्तर पे लिटा दिया & उसके दोनो कंधो को चूमते हुए उसके ब्रा को उतारने लगे.जैसे-2 स्ट्रॅप्स उसके कंधो से नीचे उसकी बाँह से नीचे जाते उनके होंठ भी स्ट्रॅप्स के पीछे-2 वही रास्ता तय करने लगे.
रीमा ने अपनी बाहें उचका के ब्रा निकालने मे विरेन्द्र जी की मदद की.अब उसकी छातिया उसके ससुर के सामने नंगी थी."वाह..!",उन्हे देखते ही विरेन्द्र जी के मुँह से तारीफ निकली.रीमा के गुलाबी निपल्स जोश मे बिल्कुल कड़े हो गये थे.विरेन्द्र जी ने अपनी जीभ के सिरे से उन्हे छेड़ना शुरू कर दिया.वो ना तो उसकी चूचियो को च्छू रहे थे ना ही पूरा मुँह मे ले रहे थे,बस अपनी ज़ुबान से रीमा के निपल्स को छेड़ रहे थे.
रीमा तो चाह रही थी कि वो बस उसकी गोलाईओं को अपने हाथो & होंठो तले मसल दे पर वो तो बस उसे तडपा रहे थे.तड़प के उसने उनका सर पकड़ा & उचक कर अपनी बाई चुचि उनके मुँह मे घुसा दी.विरेन्द्र जी ने उसे मुँह मे भर इतनी ज़ोर से चूसा कि रीमा की आह निकल गयी.उसके दाएँ उरोज़ को दबाते हुए वो उसके बाए उरोज़ को चूसने लगे.रीमा 1 बार फिर मस्त होने लगी.
बड़ी देर तक विरेन्द्र जी अपनी बहू की छतियो को सहलाते,मसल्ते & दबाने के साथ चूमते & चूस्ते रहे.जब उन्होने ने उनको छ्चोड़ा तो वो उनके ज़बान के बनाए निशानो से भरी थी.विरेन्द्र जी नीचे उसके पेट पे आए & थोड़ी देर तक उसे वाहा पे प्यार करते रहे.जब उन्होने अपनी जीभ उसकी नाभि मे उतारी तो रीमा बस पागल ही हो गयी.
अब विरेन्द्र जी उसकी टाँगो के बीच घुटनो पे बैठ गये & उसकी दाई टांग को हवा मे उठा लिया & अपने गाल उसपे रगड़ने लगे,उनका 1 हाथ टांग थामे था तो दूसरा रीमा की जाँघ सहला रहा था.रीमा उनकी इस हरकत से और मस्त हो गयी & उसका बदन मछ्लि की तरह तड़पने लगा.विरेन्द्र जी उसकी टाँग को चूमते उसके घुटने से होते हुए नीचे उसकी भारी,मांसल जाँघ तक पहुँच गये.
वाहा पहुँच कर उन्होने वाहा पे ना केवल चूमा बल्कि ज़ोर-2 से चूस कर रीमा की जाँघो पे भी लव बाइट्स छ्चोड़े & उसकी मस्ती को और बढ़ा दिया.चूमते हुए वो उसकी चूत तक आए तो वाहा पे इतने सारे कपड़े देख वो झल्ला गये.उन्होने 1 ही झटके मे रीमा की सारी & पेटिकोट निकाल दिया.अब उनके सामने उनकी बहू की पॅंटी पूरी तरह से गीली हो उसकी चूत से चिपकी थी.जब वो हाथ बढ़ा उसकी पॅंटी उतारने लगे तो रीमा ने तकिये मे मुँह च्छूपा लिया.
अब वो अपने ससुर के सामने पूरी तरह से नंगी थी.विरेन्द्र जी ने उसकी गंद की फांको के नीचे अपने हाथ लगाए & उसकी गंद को हवा मे उठा दिया & घुटनो पे बैठ अपने होंठ उसकी उसी के रस से सराबोर चूत पे लगा दिए.
"आनन्न...न्नह...",रीमा की आह निकल गयी & वो फिर कसमसने लगी.उसने अपने ससुर के सर को पकड़ उसे अपनी चूत पे भींच दिया,उसकी कमर अपने आप हिलने लगी थी.विरेन्द्र जी की जीभ उसकी चूत की गहराइयाँ नापने लगी.उन्होने जम के उसकी चूत को चटा,उसके दाने को कभी वो अपनी उंगली से छेड़ते तो कभी जीभ से.रीमा को होश भी नही था कि वो अब तक कितनी बार झड़ी थी.1 लंबे समय के बाद उसे महसूस हुआ कि उसके ससुर अब उसकी चूत से नही खेल रहे हैं.
उसने अपनी नशे से भारी पलके आधी खोली तो देखा की वो अपना अंडरवेर उतार रहे हैं.अंडरवेर उतरते ही उसकी आँखे हैरत से फैल गयी.उसकी टाँगो के बीच उसके ससुर अपना लंड निकाले बैठे थे.इतना बड़ा लंड & इतना मोटा!रीमा ने अंदाज़ा लगाया कि उसके ससुर का लंड 9 इंच लंबा होगा & मोटा भी कितना था.लंड का मट्ठा प्रेकुं से गीला था.उसके नीचे 2 बड़े-2 झांतो से ढके अंडे लटक रहे थे.
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