RE: Mastram Kahani खिलोना
खिलोना पार्ट--8
रीमा की सारी उसकी कमर तक आ गयी थी & उसकी टाँगो के बीच उसकी चूत पे लंड दबाए उसके ससुर उसके उपर चढ़े उसकी आँखो मे झाँक रहे थे.उसके दोनो हाथ उसके सर के दोनो तरफ तकिये को पकड़े हुए थे.वीरेंद्र जी धीरे-2 अपनी बहू के होठों पे झुकने लगे तो रीमा ने मुँह बाई तरफ फेर लिया पर इस से विरेन्द्र जी को कोई फ़र्क नही पड़ा.वो उसके कान & उसके नीचे उसकी गर्दन को चूमने लगे.
गर्दन चूमते हुए उन्होने रीमा के चेहरे को सीधा किया & 1 बार फिर उसके होंठ चूमने की कोशिश की तो रीमा ने अबके दाईं ओर मुँह फेर लिया.उसके दाए कान पे & उसके नीचे गर्दन पे भी विरेन्द्र जी ने अपने होंठो की मुहर लगा दी.जब भी वो रीमा के गाल & गले को चूमते हुए उसके होटो के पास आते वो मुँह फेर लेती.वो उन्हे पूरा यकीन दिलाना चाहती थी की वो अपनी अबला बहू का फ़ायदा उठा रहे हैं.
विरेन्द्र जी भी हार मान ने वालों मे से नही थे.वो नीचे आ उसकी गर्दन को चूमने लगे & उसकी ढँकी चूत पे अपने अंडरवेर मे क़ैद लंड से धक्के लगाने लगे.रीमा मस्त होने लगी थी,उसका दिल कर रहा था की तकिये से अपने हाथ हटा अपने ससुर के सर को भींच उनपे किस्सस की झड़ी लगा दे,उसने बड़ी मुश्किल से अपने अरमानो को काबू मे किया.
विरेन्द्र जी उसके ब्लाउस के गले मे से झँकते,तेज़ सांसो से उपर-नीचे होते क्लीवेज पे झुक गये & उसे चूमने,चाटने लगे,"..आअहह..!",रीमा मज़े मे करही.उसकी मस्ती इतनी बढ़ गयी थी कि नीचे उसकी कमर अपनेआप हिलने लगी.विरेन्द्र जी वैसे ही उसके सीने को चूमते चूत पे चोट करते रहे & आख़िरकार रीमा अपने बदन को कमान की तरह मोदते & अपनी आहो को तेज़ करते हुए झाड़ गयी.झाड़ते हुए वो सब भूल गयी बस उसे ये याद था कि ये गतीले बदन वाला मर्द जो उसके उपर सवार था उसके जिस्म को सुकून पहुँचा रहा है.
उसने तकिये से हाथ हटाए & अपने ससुर के सर को उनमे भर लिया & अपने सीने पे दबा दिया.विरेन्द्र जी समझ गये की उन्होने बाज़ी जीत ली है.उन्होने अपना सर उसके सीने से उपर उठाया & अपनी बहू की मस्त आँखो मे झाँकते हुए उसके हाथ अपने सर से अलग किए & अपनी उंगलिया उसकी उंगलियो मे फँसाकर उन्हे फिर से तकिये की दोनो तरफ बिस्तर पे दबा दिया.
वो 1 बार फिर उसके गुलाबी होटो पे झुकने लगे,रीमा भी अब और इंतेज़ार नही कर सकती थी,जवाब मे उसके होंठ भी खुल गये.विरेन्द्र जी के होठ उसके लबो के बिल्कुल करीब पहुँच गये & रीमा ने जैसे ही उन्हे अपने लबो मे क़ैद करना चाहा,विरेन्द्र जी ने अपने होंठ वापस खींच लिए.रीमा ने हैरत से उन्हे देखतो उनकी आँखो मे शरारत नज़र आई.
1 बार फिर उन्होने वही हरकत दोहराई तो रीमा पागल हो बिस्तर से उठ उन्हे चूमने की कोशिश करने लगी पर उसके हाथ विरेन्द्र जी के हाथो मे दबे होने के कारण नाकाम रही.रीमा अपने ससुर के होटो के लिए पागल हो रही थी,इस बार विरेन्द्र जी फिर झुके & जान बुझ कर उन्होने अपने हाथो की पकड़ भी थोड़ी ढीली कर दी.इस बार उसे छेड़ने के मक़सद से जब उन्होने अपने होंठ वापस खींचे तो रीमा ने अपने हाथ च्छुडा,बिस्तर से उठ कर उनके सर को पकड़ लिया & अपने प्यासे होंठ उनके होटो से मिला दिए.
विरेन्द्र जी ने उसे बिस्तर पे लिटा दिया & उसपे चढ़ अपना बालो भरा सीना उसके सीने पे & अपना लंड उसकी चूत पे दबाते हुए उसकी जीभ को अपनी जीभ से छेड़ने लगे.अपने ससुर को बाहों & टांगो मे जकड़े रीमा बड़ी देर तक उन्हे चूमती रही.साँस लेने को दोनो 1 पल के लिए अलग हुए & फिर से चूमने मे जुट गये.
विरेन्द्र जी ने अपनी बहू को अपनी बाहों मे भर लिया& थोडा करवट लेते हुए हाथ पीछे ले जा उसके ब्लाउस के बटन खोल दिए & उसकी पीठ को सहलाने लगे.रीमा मस्ती मे उन्हे चूमे जा रही थी & अपने बदन पे उनके हाथो का मज़ा ले रही थी.
करीब 15 मिनिट तक दोनो 1 दूसरे के होटो,चेहरे & गले को चूमते रहे.फिर विरेन्द्र जी ब्लाउस मे हाथ घुसा उसकी चूचिया दबाने लगे & रीमा उनके सीने के बालो मे उंगलिया फिराती उनके निपल्स को अपनी उंगली & अंगूठे मे दबा मसल्ने लगी.
विरेन्द्र जी ने उसके ब्लाउस को उसके बदन से अलग कर दिया तो बहुत ही पतले स्ट्रॅप्स वाले गुलाबी ब्रा मे कसी रीमा की छातिया उनकी नज़रो के सामने आ गयी.ब्रा का हुक वाला स्ट्रॅप भी बहुत पतला था & उसमे बस 1 ही हुक था.विरेन्द्र जी अपनी बहू की टाँगो के बीच लेते हुए उसे लिए बाई करवट पे हो गये & उसे अपने सीने मे भींच उसकी मखमली पीठ का जायज़ा लेने लगे.
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