RE: Mastram Kahani खिलोना
उसने अपनी रफ़्तार और तेज़ कर दी,"आअ....आ..इयीयैयियी...ईयीई.........एयेए....हह...ढ़ह...ई...र्रररीई.......करीी...ये...नाआअ.....आआ...आअहह..!",रीमा कराह रही थी पर उस से बेपरवाह शेखर बस अपने झड़ने की ओर तेज़ी से बढ़ा चला जा रहा था.
तभी रीमा ने अपने नाख़ून अपने जेठ की पीठ मे गढ़ा दिए & बिस्तर से उठती हुई उसे चूमते हुई उस से कस के चिपेट गयी.वो झाड़ गयी थी.शेखर ने भी 1 आखरी धक्का दिया & उसके बदन ने झटके खाते हुए अपना सारा पानी रीमा की चूत मे छ्चोड़ दिया & उसकी अरसे से प्यासी चूत की प्यास बुझा दी.
थोड़ी देर तक दोनो वैसे ही पड़े रहे फिर शेखर उठ कर बाथरूम चला गया.कुच्छ देर बाद रीमा उठी,तभी उसने बाथरूम का दरवाज़ा खुलने की आवाज़ सुनी तो उसने पास पड़ी चादर खींच कर अपने बदन के गिर्द लपेट ली.शेखर आकर उसकी बगल मे बैठ गया.दोनो बेड के हेडबोर्ड से टेक लगा बैठे थे.शेखर ने अपनी बाँह के घेरे मे उसे लिया तो रीमा मुँह फेर दूर होने लगी.
शेखर ने उसे और मज़बूती से पकड़ लिया & हाथ से उसकी ठुड्डी पकड़ उसका चेहरा अपनी ओर घुमाया.रीमा की भरी आँखे & चेहरे की परेशानी देख उसे सब समझ मे आ गया,"मुझसे नाराज़ हो?"
"मेरी ऐसी औकात कहा."
"ऐसी बातें क्यू कर रही हो रीमा?"
"1 बेबस लड़की और कैसी बातें करती है.",उसने अपनी आँसू भरी आँखे शेखर की आँखो से मिलाई.
"तुम्हे ये लग रहा है कि मैने तुम्हारा फ़ायदा उठाया?नही,रीमा मैं सच मे तुमसे प्यार करता हू.तुम्हारी कसम ख़ाके कहता हू तुम्हे कभी अपने से दूर नही करूँगा & 1 दिन तुम्हे अपनी बनाऊंगा."
"आप मुझे इतना बेवकूफ़ समझते हैं.छ्चोड़िए मुझे जाने दीजिए.",रीमा उसकी पकड़ से छूटने के लिए कसमसाई लेकिन शेखर ने उसकी कोशिश नाकाम कर दी,"रीमा,देखो मेरी आँखो मे.मैं बाते नही बना रहा.अगर तुम्हारे जिस्म से खेलना ही मेरा मक़सद होता तो क्या मैं ऐसा पहले ही नही कर लेता?शायद आज भी मैं ऐसा नही करता पर अब मुझसे बर्दाश्त करना मुश्किल हो गया था.मेरा यकीन मानो,रीमा.आइ लव यू & जल्द से जल्द मैं तुमसे शादी कर तुम्हे अपनी बीवी बनाऊंगा."
रीमा ने उसकी आँखो मे देखा तो उसे कही भी कुच्छ ऐसा नज़र नही आया जो उसे अपने जेठ के झूठा होने का सबूत दे.वैसे भी सबकुच्छ उसके सोचे मुताबिक हो हो रहा था.अगर उसका जेठ केवल उसके जिस्म के ही नही उसके प्यार मे भी फँस गया था तो ये तो और भी अच्छी बात थी.
उसने खामोशी से सर झुका लिया.शेखर ने उसे अपने करीब खींचा तो उसने उसके सीने पे सर रख दिया.शेखर उसके बालो को सहलाने लगा,"रीमा,तुम्हारे जैसी लड़की किस्मतवालो को मिलती है.मैं अव्वल दर्जे का बेवकूफ़ सही पर इतना भी नही की तुम्हारे जैसे हीरे से पत्थर के जैसे पेश आऊँ."
"मेरे पास आपका भरोसा करने के सिवा अब कोई चारा भी नही है.प्लीज़ मेरे यकीन को मत तोड़िएगा."
"जान दे दूँगा पर ऐसा नही करूँगा,मेरी जान.",शेखर ने उसके सर को उठा उसके चेहरे को हाथों मे भर उसे चूम लिया.चूमने के बाद रीमा फिर उसके सीने से लग गयी.शेखर ने उसका हाथ थाम लिया & दोनो की उंगलिया 1 दूसरे से खेलने लगी.
थोड़ी देर दोनो खामोशी से ऐसे ही पड़े रहे.
"जाती हू.मा जी को देखना है.",रीमा ने शेखर के सीने से सर उठाया तो उसके बदन से लिपटी चादर नीचे सरक गयी & उसकी चूचिया शेखर के सामने छल्छला उठी.
"थोड़ी देर मे चली जाना.",उसने उसे खींच कर अपने से लगा लिया & उसके होंठ चूमने लगा,उसके हाथ उसकी छातियो से जा लगे.
"छ्चोड़िए ना.",रीमा ने अलग होना चाहा.
"नही.",शेखर ने टांगे फैला उसे अपनी टाँगो के बीच मे ले लिया,अब वो शेखर के सीने से पीठ लगा बैठी थी & वो उसकी चूचियो को मसलता हुआ उसे चूम रहा था.मस्त हो रीमा ने बाहे पीचे ले जाके अपने जेठ के गले मे डाल दी और उसकी किस का जवाब देने लगी.उसका बदन शेखर की हर्कतो का लुत्फ़ उठा रहा था पर दिमाग़ अपने मक़सद को नही भुला था.उसने सीधे रवि के बारे मे कोई सवाल करना ठीक नही समझा.बात शुरू करने की गरज से उसने सुमित्रा जी के बारे मे पूच्छने की सोचा.
शेखर ने उसके होटो को छ्चोड़ा उसने पूचछा,"1 बात पूच्छू?"
"ह्म्म.",शेखर उसकी गर्दन चूम रहा था.
"मा जी की बीमारी की वजह से ही पिता जी ऐसे गंभीर हो गये हैं क्या?"
"हुन्ह!",शेखर अब उसकी चूत के दाने को सहला रहा था,"..मा की बीमारी का कारण ही वोही है."
"क्या?",शेखर की चूत मे अंदर-बाहर होती उंगली से कमर हिलाती रीमा चौंक गयी.
"हां.",उसने थोड़ा झुक कर रीमा की 1 चूची को चूस लिया.
"ऊओवव......!..मगर कैसे?",रीमा ने उचक कर अपनी चूची उसके मुँह मे थोड़ा और घुसा दी.
"मा की बीमारी तो 1 नुरलॉजिकल डिसॉर्डर से शुरू हुई पर डॉक्टर ने सॉफ ताकीद की थी कि उन्हे कोई भी तनाव ना हो पर उस आदमी की अय्यशिओ ने उन्हे इस हाल मे ही लाके छ्चोड़ा." ,शेखर ने उसकी चूची मुँह से निकाली & उसके दाने को और तेज़ी से रगड़ने लगा.
रीमा बेचैनी से अपनी कमर हिलाने लगी,उसने रवि के हाथ को अपनी जाँघो मे भींच लिया & कसमसाते हुए झाड़ गयी.झाड़ते हुए उसके मन मे बस 1 ही सवाल था क्या शेखर सच कह रहा था विरेन्द्र जी के बारे मे?ऐसा हो भी तो सकता है...आख़िर पिच्छली 2 रातो से मालिश के बहाने वो उसके साथ क्या कर रहे थे..ऐसा कोई शरीफ मर्द तो नही कर सकता अपनी बहू के साथ...या फिर शेखर चिढ़ कर अपने पिता के बारे मे झूठ कह रहा था.
इन्ही सवालो मे उलझी रीमा ने महसूस किया कि वो फिर से बिस्तर पे लेटी हुई है & उसका जेठ 1 बार फिर उसके उपर चढ़ उसकी चूत मे लंड घुसा रहा है.
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