RE: Mastram Kahani खिलोना
कमरे मे जाते हुए उसने सोचा कि 1 बार सुमित्रा जी को देख ले.उनके कमरे मे गयी तो पाया कि वो सो रही थी.बीच का परदा खींचा हुआ था,उसने उसे सरकया तो देखा की उसके ससुर कुर्सी पे बैठे कुच्छ परेशान से अपना पैर सहला रहे हैं.
"क्या हुआ,पिताजी?"
"कुच्छ नही.बस पैर मे थोड़ा दर्द है."
"लाइए मैं दबा देती हू."
"अरे नही,बेटी.परेशान मत हो.ज़्यादा तकलीफ़ नही है.ठीक हो जाएगा.जाओ,जाके सो जाओ.मैं दर्शन को बुला लूँगा"
"दद्दा तो सोने चले गये,लाइए मैं ही दबा देती हू.चलिए लेट जाइए.",उसने उनकी बाँह पकड़ उठने का इशारा किया.विरेन्द्र जी बेड पे लेट गये.
"क्या हुमेशा होता है आपके पैरों मे दर्द?"
"नही,जब ज़्यादा चलता हू तो तब होता है."
"यानी की मेरी वजह से हो रहा है आज दर्द.ना मेरी सॅंडल के चक्कर मे मार्केट जाते ना आपको तकलीफ़ होती."
"अपनो की मदद करने से तकलीफ़ नही होती."
"तो ये दर्द क्या है?"
"अरे ये कुच्छ नही है.इस से ज़्यादा तुम्हारी मदद करने की खुशी है."
रीमा उनके बगल मे बैठ गयी & उनके पैर दबाने लगी.इस बार उसने जान के नही किया पर फिर भी आँचल ढालाक गया.वो पैर दबाते हुए उसे बार-2 संभालती पर वो बार-2 गिर जाता.हार कर उसने उसे गिरा ही रहने दिया.घुटनो पे बैठ वो नीचे से उपर उनकी जाँघो तक आती.झुकी होने के कारण ब्लाउस के गले मे से उसकी चूचिया जैसे छल्कि जा रही थी.विरेन्द्र की नज़रे उसके सीने से चिपकी हुई थी & वो 1 हाथ से अपना सीना सहला रहे थे.
रीमा ने देखा कि उसके ससुर के पाजामे मे हलचल हो रही है.थोड़ी ही देर मे उनका लंड पूरा खड़ा हो गया & पाजामे ने तंबू की शक्ल इकतियार कर ली.पहले जेठ के हाथ की गुस्ताख़ी & अब ससुर का खड़ा लंड,रीमा की भी दिल की धड़कन तेज़ हो गयी,उसकी चूत तो शेखर के कमर सहलाने से ही गीली होने लगी थी,अब तो उसकी पॅंटी उसके रस से उसकी चूत से चिपक गयी थी.घुटनो पे बैठे हुए अपनी भारी जाँघो को आपस मे हल्के-2 रगड़ते हुए अपनी चूत को काबू मे रखते हुए वो थोड़ी देर तक अपने ससुर का पैर वैसे ही दबाते रही.
फिर वो उठी & उनके पैरो के पास आ उनकी ओर मुँह करके बैठ गयी,आँचल अभी भी गिरा हुआ था & अब विरेन्द्र जी सामने से उसकी चूचियो & पेट को घूर रहे थे.उसने उनके तलवो को उठा अपनी गोद मे रख लिया & पैरो की उंगलियो को & तलवे को दबाने लगी.अब उनकी एडी उसकी गोद मे उसकी चूत पे थी & पैर की उंगलिया उसके नंगे पेट पे.
थोड़ी देर तक दबाने के बाद उसके ससुर ने भी अपने बेटे की तरह हिम्मत की & अपने पैर के अंगूठे से उसके नेवेल रिंग को छेड़ने लगे.रीमा के लिए सीधे बैठना मुश्किल हो गया.उसने आँखे बंद कर ली & अपने ससुर का पैर सहलाने लगी.उन्होने ने अंगूठे को उसकी नाभि मे डाल दिया & उसे कुरेदने लगे.उनकी एडी उसकी चूत को हल्के-2 दबा रही थी.
रीमा आँखे बंद किए उनकी हर्कतो का मज़ा उठा रही थी.अब पैर दबाने की जगह सहलाया जा रहा था & विरेन्द्र जी भी अपना दर्द भूल अपनी बहू की नाभि कुरेद रहे थे.रीमा ने आँखे खोली तो देखा कि उसके ससुर उसे घूरते हुए अपने पैर से उसके जिस्म को छेड़ रहे हैं तो उसने शर्म से नज़रे नीची कर ली.पर नीचे करते ही उसकी नज़र उनके पाजामे पे अटक गयी,वाहा 1 धब्बा सा बन रहा था.रीमा समझ गयी की उसके ससुर का प्रेकुं निकल गया है.
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