RE: Mastram Kahani खिलोना
खिलोना पार्ट--5
दूसरे दिन से ही रीमा अपने ससुर & जेठ को शीशे मे उतारने मे लग गयी.काम करते वक़्त पल्लू ढालका के अपने क्लीवेज का दर्शन करवा & कसे & झीने कपड़े पहन कर उनके सामने आकर उसने दोनो मर्दो के दिलो मे हलचल मचा दी.पर उसने इस बात का भी पूरा ध्यान रखा कि दोनो उसे कोई बाज़ारु लड़की ना समझे जो चुदाई के लिए मरी जा रही है.उसका प्लान था कि उसकी जिस्म की नुमाइश से गरम होकर दोनो खुद उसे अपने बिस्तर मे ले जाएँ.
2-3 दीनो तक ऐसा ही चलता रहा.जहा वीरेन्द्रा साक्शेणा बस चोर निगाहो से उसके जिस्म को घूरते रहते थे वही शेखर तो मौका पाते ही उसे छु लेता था,पानी का ग्लास लेते वक़्त उसकी उंगलिया दबाना तो बात करते वक़्त उसके कंधे पे वाहा हाथ रखना जहा ब्लाउस नही होता था तो अब उसकी आदत बन गयी थी.
नाश्ते की टेबल पे उसने उसकी प्लेट बढ़ाई तो उसने फिर से उसका हाथ दबा दिया.सीने से आँचल फिसल कर उसकी बाँह मे अटका था & दोनो मर्दो की नज़रे उसके सीने की वादी मे अटकी थी,"रीमा."
"जी.",पल्लू संभाल रीमा अपने ससुर से मुखातिब हुई.
"तुम यहा के बॅंक मे भी अपना 1 अकाउंट खुलवा लो,तुम्हे ही आराम होगा.मैं फॉर्म ले आया हू,आज ही जाके जमा कर आओ."
"ठीक है,बॅंक कहा पे है,बता दीजिए?मैं दिन मे जाके फॉर्म जमा कर आऊँगी."
"मुझे थोड़ी देर से ऑफीस जाना है,तुम्हे रास्ते मे छ्चोड़ता चला जाऊँगा.",शेखर ने नीवाला मुँह मे डाला.विरेन्द्र जी ने उसके उपर 1 गंभीर नज़र डाली & फिर नाश्ता करने लगे.
"ठीक है,भैया."
थोड़ी देर बाद शेखर की कार मे दोनो बॅंक की तरफ जा रहे थे,"कभी-2 घर से बाहर भी निकला करो रीमा.थोडा घुमो-फ़िरोगी तो मन बहला रहेगा."
"जी,बगल के पार्क मे चली जाती हू."
"वो तो ठीक है.पर कभी भी शॉपिंग या कोई और काम हो तो मुझसे बेझिझक कहना,मैं तुम्हे ले चलूँगा."
"थॅंक यू,भाय्या.",रीमा अपने जेठ की दरिया दिली का मक़सद समझ रही थी.चलो,इसमे इतनी हिम्मत तो थी उसके ससुर तो बस नज़रो से ही उसके बदन को छुने की कोशिश करते थे.जब से रीमा ने अपने पति की मौत का राज़ पता लगाने का ये तरीका सोचा था उसके जिस्म ने उसे तड़पाना शुरू कर दिया था.रात को अपने बिस्तर पे जब तक वो 2 बार अपनी उंगली से अपनी गर्मी को शांत नही करती उसे नींद नही आती.
शेखर ने कार रोक दी,हड्सन मार्केट आ गया था.रोड पार कर दोनो बॅंक की ओर जाने लगे.शेखर का हाथ ब्लाउस & सारी के बीच रीमा की नंगी कमर पे आ गया,दुनिया के लिए तो बस वो अपने साथ आई लड़की की सड़क पार करने मे मदद कर रहा था पर रीमा जानती थी कि इसी बहाने वो उसके रेशमी बदन का एहसास ले मज़ा उठा रहा है.उसे भी ये अच्छा लग रहा था,कितने दीनो बाद तो किसी ने उसे ऐसे च्छुआ था.
बॅंक मे भीड़ थी & फॉर्म सब्मिट करने के लिए उसे लाइन मे लगना पड़ा तो शेखर भी उसके पीछे खड़ा हो गया,"आपको देर हो जाएगी,भाय्या.आप जाइए."
"कोई बात नही,तुम परेशान मत हो.बस थोड़ी देर मे काम हो जाएगा तो मैं निकल जाऊँगा."
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