RE: Mastram Kahani खिलोना
खिलोना पार्ट--2
जब रवि से वो 2 दिन बाद मिली तो ना चाहते हुए भी उसके दिल की बेताबी & उस लड़की से जलन उसकी बातो मे झलने लगी.,"क्या बात है,रीमा?आज इतने खराब मूड मे क्यू हो,सब ठीक तो है?"
"सब ठीक है.तुम्हे मेरे मूड से क्या?तुम तो जब मर्ज़ी हो मिलो जब मर्ज़ी हो मना कर दो."
"अरे मैने कब मना किया मिलने से?"
"परसो नही किया?सेंट्रल मार्केट घूमने का टाइम था पर मुझसे मिलने का नही.10 दीनो से तुम्हारी राह देख रही थी & तुम्हारे पास तो टाइम ही नही था ना!"
"अरे उस दिन तो मैं अपना प्रॉजेक्ट टाइप करवाने वाहा गया था.पूरा दिन प्रॉजेक्ट प्रिपेर कर सब्मिट करने मे लग गया."
"अच्छा!अपनी गर्लफ्रेंड के साथ घूम रहे थे तुम.मुझे बटन नही चाहते तो मत बताओ पर झूठ तो मत बोलो!"
"गर्लफ्रेंड?..",रवि ने हैरत से देखा.फिर जैसे उसे कुच्छ याद आया,"अच्छा!वो...निकी...मेरी गर्लफ्रेंड...हा...हा..हा!"रवि ज़ोर से हँसने लगा.रीमा उसे कुछ गुस्से,कुछ हैरत से देख रही थी.
"वो निकी है मेरी बचपन & मेरी प्रॉजेक्ट पार्ट्नर & उसका ऑलरेडी बाय्फ्रेंड है-विवेक.तुम भी ना,रीमा!",रवि ने अपनी हँसी पे काबू किया.
रीमा को अपनी बेवकूफी पे बड़ी शर्म & गुस्सा आया.,"सॉरी..वो मैं..."
"कोई बात नही?",चलो कोक पीते हैं."
"..तो तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड नही है,रवि?",रीमा ने स्ट्रॉ से कोक का घूँट भरा.
नही...पर 1 लड़की है जो मुझे बहुत अच्छी लगती है."
"अच्छा...कौन है?",रीमा का दिल धड़कने लगा.
"है कोई.बताऊँगा तुम्हे जब उस से दिल की बात कहूँगा & मान गयी तो मिलवाऊंगा भी.अब छ्चोड़ो ये बातें चलो कुच्छ खाते हैं."
रवि से अगली मुलाकात 2 दिन बाद हुई & इन 2 दीनो रीमा यही सोचती रही कि रवि किस लड़की के बारे मे बात कर रहा था.उस दिन रवि ने उसे उसके मन मे चल रहे इस सवाल का जवाब भी दे दिया.
उस दिन दोनो उस पार्क मे घूमते हुए 1 थोड़े शांत हिस्से मे आ गये थे.
"रीमा."
"ह्म्म."
"तुम अपने जज़्बात चेहरे पे नही आने देती,सब अपने दिल मे दबा के रखती हो.अभी मैं तुमसे कुच्छ पूच्हूंगा तो उसका जवाब फ़ौरन देना,बात बुरी लगे तो मुझे 1 चांटा रसीद कर देना पर कोई ना कोई रिक्षन तुरंत देना प्लीज़!"
"रवि,क्या कह रहे हो?मुझे कुच्छ समझ नही आ रहा."
"रीमा,आज तक मैं तुम्हारे जैसी लड़की से नही मिला.तुम्हारे साथ बातें करने,वक़्त बिताने मे मुझा कितना सुकून मिलता है,तुम सोच भी नही सकती.अब तो तुम्हारे बिना ज़िंदगी के तो अब मैं सोच भी नही सकता.मैं तुमसे प्यार करने लगा हू,रीमा & अपनी सारी ज़िंदगी तुम्हारे साथ बिताना चाहता हू.क्या तुम मेरी ज़िंदगी का हिस्सा बनोगी?,रवि ने उसके दोनो हाथ अपने हाथो मे ले उसकी आँखो मे झाँकते हुए पूचछा.
रीमा के माथे पे पसीना छल्छला आया & दिल ज़ोरो से धड़कने लगा.वो भी तो यही चाहती थी तो अब बोल क्यू नही पा रही थी..."रवि...मैं..."
"बोलो ना,रीमा!"
"तुम...इतने...अच्छे परिवार से हो....तुम्हारे पिता मानेंगे?"
"इसका मतलब तुम हा कह रही हो."
शर्म से रीमा के गाल लाल हो गये.
"1 बार बोलो रीमा.जब तक तुम जवाब नही दोगि मेरे दिल को चैन नही पड़ेगा."
"हा.",रीमा ने सर झुका कर धीरे से कहा.
रवि ने उसका चेहरा अपने हाथो मे भर कर उपर किया तो उसने शर्म से आँखे बंद कर ली.रवि ने उसका माथा चूम उसे बाहों मे भरा तो वो भी उस से लिपट गयी.
पर रीमा का डर सच साबित हुआ,रवि के पिता दोनो की शादी के लिए नही माने.रीमा से प्यार के इज़हार के कोई 6 महीने बाद रवि की नौकरी मेट्रोपोलिटन बॅंक के लोन्स डिविषन मे लग गयी तो उसने अपने पिता को रीमा के बारे मे बताया था पर उन्होने उसे साफ कह दिया कि या तो वो रीमा को चुने या उनको.रवि ने रीमा को चुना.
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