RE: Kamukta Kahani कलियुग की सीता—एक छिनार
मैं हाला की पतिदेव के साथ जाना नही चाहती थी लेकिन क्या करती??एक तो मुझे उनपर तराश आ गया था और दूसरे इतनी ज़ल्दी मुझे कोई घर भी नही मिलता…साथ ही मैं पतिदेव के साथ ऑफीस भी आ सकती थी.इसलिए मैने उन की बात माननी ही ठीक समझी.
अब्दुल की क़ैद से आज़ाद होकर मैं खुश तो थी लेकिन यह खुशी कुछ ही दिन मे प्यास बन गयी…कुछ कम हो जाए तो भी परेशानी,ज़्यादा हो जाए तो भी परेशानी….शेखो के लंड से मुझे डर तो लगने लगा था लेकिन साथ ही मेरी चूत भी लंड के लिए तरस रही थी….मैने महसूष किया था कि हबीब चाचा भी मुझ पर डोरे डालने की कोशिश कर रहे हैं…मैं हमेशा ऑफीस साड़ी मे ही जाती थी…हबीब चाचा को कुछ पेपर्स दिखाते हुए अक्सर मेरी साड़ी का आँचल नीचे गिर जाता…और फिर मैं देखती कि हबीब चाचा की आँखे मेरे ब्लाउस के गले मे ही झाँकती रह जाती…एक तो पहले से ही मेरी चूचियाँ ओवरसाइज़ थी उपर से शेखों ने उसे मसल मसल के गुब्बारा बना दिया था….कभी कभी मेरे दिल मे ख्याल आता कि हबीब चाचा से ही चुद लूँ लेकिन शेखों का लंड याद आते ही मेरी चूत कांप उठती.
पतिदेव से कुछ उम्मीद ही नही थी…ऐसे मे मैने उनके दोस्त को ही काबू मे करने की कोशिश की.जो पड़ोस मे ही रहता था…नाम था विकी,उम्र मे मुझसे 2 साल छोटा था….लेकिन यहाँ भी मेरी चूत प्यासी ही रह गयी….वो मुझे देखते ही मेरे पाँव छूकर कहता,”प्रणाम भाभी.”.उससे रिझाने के लिए मैने कई बार अपने इंटर-चुचियल स्पेस के दीदार कराए उसे लेकिन वो इतना बुद्धू था कि कहता,”भाभी आपका आँचल नीचे गिर गया है….मैं थक गयी उससे राह पर लाने मे,ऐसे मे मुझे हबीब चाचा भी अच्छे लगने लगे…मैने सोचा कोई ज़रूरी तो नही कि हर इंसान अब्दुल और बशीर चाचा जैसा ही हो…वैसे भी चुदाई तो तो वो बहुत ज़ानदार करते थे,ग़लत सिर्फ़ ये करते थे मुझे रंडी बना दिए थे….हबीब चाचा ऐसा क्यों करेंगे???मैने सोच लिया था कि हबीब चाचा को अपनी चूत की सवारी ज़रूर कराउन्गि.
दूसरा दिन महीनो से सुखी आपकी इस सीता देवी की चूत पर रिमझिम बरसात का दिन था..मैं सुबह से चुदासी थी….ब्लू कलर की साड़ी के साथ मॅचिंग ब्लाउस पहन कर मैने खूब मेकप किया था…जानबूझ कर आज मैने ब्रा नही पहनी थी और साड़ी को चूतड़ पर टाइट कर लिया था….इतने दिनो मे हबीब चाचा की भूखी नज़रो से मैं समझ चुकी थी कि वो बड़ी बड़ी चूचियों और चूतड़ के रसिया थे और इस मामले मे आपकी इस नाचीज़ सीता देवी का भी तो कोई जोड़ ही नही है…
पतिदेव के साथ ऑफीस पहुचि तो सब मर्दो को अपनी ही तरफ देखते पाया…उनकी नज़रो ने मुझे बता दिया कि मैं आज कितनी मदमस्त लग रही हूँ….अपने हुस्न पर मुझे गरूर महसूस हुआ.ऑफीस मे बहुत सारे एंप्लायी थे जो मुझे चाहने लगे थे,लेकिन मुझे कोई पसंद नही आता था.उनकी नज़रे तो बदस्तूर मेरी उठान ली हुई चूचियाँ निहारती रह गयी…उनकी हालत देखकर मुझे मज़ा आया..उन्हे क्या पता था कि उनकी जाने जिगर एक शेख से चुदने के लिए जीता जागता बॉम्ब बन कर आई है.
मैं सीधे हबीब चाचा के ऑफीस पहुचि…वो पहले से वहाँ बैठे थे..मुझे देखते ही वो देखते ही रह गये…उनका मूह खुला का खुला रह गया…मैने सोचा अभी ही ये हाल है,अगर और देख लेंगे तो शायद पत्थर मे तब्दील हो जाएँगे…
मैं मन ही मन हंस रही थी तभी हबीब चाचा ने कहा,”ओह्ह मिसेज़. सीता देवी….ज़रा 2012 वाली फाइल लाइए.”
मैं:”ओके सर….अभी लाती हूँ.”
फाइल लेकर मैं आई और फिर उनकी टेबल पर रखकर बताने लगी…वो पढ़ रहे थे और इधर मैने पल्लू नीचे गिरा दिया..और फिर हबीब चाचा की आँखे पेपर से हट के मेरी चूचियों पर आ जमी…आज मैं उन्हे ढँकने की कोशिश भी नही कर रही थी…ये देखकर शायद हबीब चाचा का हौसला बढ़ा होगा क्योकि जो कुछ हुआ इसकी उम्मीद मैने कभी नही की थी…
.हबीब चाचा खड़े हुए और पता नही ये इत्तिफ़ाकन हुआ था या उन्होने जान बुझ के की थी,जो भी हो वो लड़खड़ाते हुए मुझे नीचे लेते हुए फर्श पर गिर पड़े…शायद वो मेरी चुचियाँ देखकर बेकाबू हो गये थे…उनके दोनो हाथो ने मेरी चुचियाँ दबोच ली थी और वो लगातार मेरे गालो पर पप्पी लिए जा रहे थे…
मैं तो चुदने के मूड मे आई ही थी लेकिन नखड़े दिखा रही थी,,बोली”ये क्या कर रहे हैं हबीब चाचा…छोड़ दीजिए मुझे.”
हबीब चाचा:”सीता देवी….तुम चूत की मल्लिका हो…एक बार मुझसे चुद लो…कसम से पति को भूल जाओगी.”
मैने मन ही मन सोचा ,पातिदेव का लंड तो मैं कब का भूल चुकी हूँ..अब तो मुझे ऐसा लंड चाहिए जो अब्दुल का भुला सके..लेकिन सामने मे यही कहा,”लेकिन ये ग़लत है.”
मेरी बात सुने बिना हबीब चाचा ने अपना लंड निकाल कर मेरे हाथ मे थमा दिया…..महीनो बाद इतना लंबा तगड़ा लंड देख कर मेरी चूत कुलबुला उठी…..मैं कुछ देर और नखड़ा दिखाने की सोच ही रही थी कि हबीब चाचा ने मेरी साड़ी कमर तक खिसका दी और बिना देखे मेरी चूत मे लंड घुसा दिया….और ऐसे चोदने लगे जैसे कुबेर का खजाना मिल गया हो..केबिन मे किसी के आ जाने का डर था इसलिए ज़ल्दी ज़ल्दी मुझे चोद कर हबीब चाचा फ्रेश हो गये.
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