RE: Kamukta Kahani कलियुग की सीता—एक छिनार
बशीर ख़ान शायद मेरी मम्मी का दर्द समझ गये …..उस ने मम्मी की नंगी चूत पर चुम्मि ले कर चेहरा हटाया तो पहली बार मैने मम्मी की चूत देखी ,सच कहूँ ,मैं सन्न रह गयी थी…मम्मी की चूत भी मेरी तरह चिकनी थी और उस पर एक वैसा ही सोने का रिंग भी था जैसा अब्दुल ख़ान ने मेरी चूत मे पहनाया था…हां डाइमंड उसमे ज़रूर नही था और घूँघरू थोड़ा बड़ा था..अब समझ मे आया था मुझे कि मम्मी जब चलती है तो झन्न् झन्न् की आवाज़ क्यों होती है…मैं सोच मे पड़ गयी थी मम्मी की चूत पर रिंग देखकर…अब्दुल ख़ान की बात याद आ गयी..तो क्या मम्मी के चूत की सील भी बशीर ख़ान ने ही तोड़ी है???अचानक मैं चौंक उठी बशीर ख़ान की आवाज़ से..सावित्री डार्लिंग,सीता तो एक बच्चे की मा बन ने के बाद और गदरा गयी है,उसकी मचलती जवानी का मज़ा हमे भी तो लेने दो…मेरी तो चूत ही सनसना उठी.
मम्मी ने गुस्सा दिखाते हुए मूह बिचकाया तो बशीर ख़ान ने अपना लंड मेरी मम्मी की चूत पर रख दिया और धक्का मार के चूत के अंदर घुस्सा दिया .वो धीरे धीरे चोदने लगे उनका पूरा लंड मेरी मम्मी की चूत के अंदर बाहर हो रहा था और मम्मी आआआआ औहह इउईई ओफफफफ्फ़ माआ माआआआआ औहह कर रही थी. बशीर ख़ान धीरे धीरे अपनी स्पीड बढ़ा कर मेरी मम्मी को चोद रहे थे. मम्मी दर्द से सिसकारिया ले रही थी और बशीर ख़ान मम्मी को चोदते हुए कह रहे थे सावित्री डार्लिंग तू बहुत चोदास माल है,ऐसे ही तुझे सारे मुहल्ले के लड़के तुझे अपने बिस्तर पे ले जाना नही चाहते हैं
.मम्मी शायद ये सुनकर इठला उठी और बशीर ख़ान को नीचे कर चुदने लगी….बशीर ख़ान मम्मी की दूधारू चूचियो को मसल्ते हुए नीचे से जोरदार थप पे ठप लगाए जा रहे थे….इस वक़्त कमरे मे 3 आवाज़े सुनाऐ दे रही थी…मम्मी की चीखे, फ़चफ़च-फ़चफ़च-फ़चफ़च और मम्मी की चूत पर बँधे घूंघुरुओं की झनझाँ झन्झन…चीख से लग रहा था जैसे कोई सील बंद लड़की की चूत फटी हो,फ़चफ़च फ़चफ़च से लग रहा था जैसे कोई सूपरफास्ट ट्रेन चल रही हो और घूंघुरुओं की झन्झन से लग रहा था जैसे को रंडी मुज़रा कर रही हो.इतनी चुदाई के बाद मम्मी झाड़ चुकी थी लेकिन बशीर ख़ान का लंड अभी भी मम्मी की चूत को गोल गप्पे खिला रहा था…
अचानक बशीर ख़ान ने मम्मी को पलट के डॉग्गी पोज़िशन मे कर दिया,पीछे आए और एक ही बार मे अपना पूरा 7 इंच का लंड मम्मी की चूत मे पेल दिया…मम्मी चीखी उई माआआआ,चिथड़ा उड़ा दिया मोलवी ने….मुझे मम्मी की हालत देख कर रहम आने लगा…मन हुआ कि मैं भी तेल लेकर जाउ और मम्मी की चूत मे लगा डू..आख़िर मेरे भाई ने भी तो मेरी चूत मे तेल लगाया था जब मैं अब्दुल ख़ान से चुदि थी,तेल से मुझे बड़ी राहत मिली थी चुदने मे……….फिर सोचा ना बाबा ना कही मम्मी के साथ मैं भी ना चुद जाउ बशीर ख़ान से……
देखा तो मम्मी के मक्खनदार चूतड़ उभरे हुए है और बशीर ख़ान मम्मी के चूतडो पर तमाचे लगाते हुए बेरहमी से चोद रहे हैं…..कुछ ही देर मे बशीर ख़ान झाड़ के मम्मी से लिपट गये ….लिपट ते हुए बशीर ख़ान ने मम्मी के गाल पर पप्पी ले ली
सारी रात बशीर ख़ान मेरी मम्मी को चोदते रहे और मम्मी की चीखे गूँजती रही….इन्ही चीखो की आवाज़ सुनकर पूरा मोहल्ला मेरी मम्मी को शायद रंडी कहता था…सारी रात मैं अब्दुल ख़ान की याद मे तड़पति रही,पता ही नही चला कब नींद आ गयी.
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