RE: Kamukta Kahani कलियुग की सीता—एक छिनार
बबलू फ़ौरन किचन से तेल ले आया और पहले अब्दुल ख़ान के मूसल पर चुपड के नहला दिया…फिर जिस हाथ मे मैने राखी बाँधी थी उसी हाथ से मेरी चूत पर भी तेल लगा के मालिश करने लगा…चूत के बहुत अंदर तक मेरे भाई ने तेल लगाया ताकि मुझे दर्द ना हो….राखी का फ़र्ज़ पूरा कर दिया था उसने…उसके हाथ पर राखी चमक रही थी और मेरी चूत पर रिंग….
बबलू ने मेरी चूत की दीवारो को फैला कर अब्दुल ख़ान के मूसल लंड को घुसने को रास्ता दिया..बस फिर क्या था ,अब्दुल ख़ान ने अपना लंड मेरी चूत मे घुसाते हुए ही मेरे पैर अपनी कमर मे फँसा लिए और दौड़ते दौड़ते ही बेरहमी से चोदने लगा..पूरे घर मे फॅक-फॅक की आवाज़ गूँज रही थी….लेकिन मैं अधमरी हो चुकी थी….एक बार फिर मुझे मौका मिला और मैं अब्दुल ख़ान के पंजो से निकलते हुई भागी…सामने एक दूसरा कमरा था जिसमे एक मूर्ति लगी हुई थी…मैं कमरे मे घुसी तो अब्दुल ख़ान भी दौड़ते चले आए .मैं बचने के लिए दुब्कि तो अब्दुल ख़ान ने मेरी ज़ुल्फो को बेरहमी से पकड़ कर सीधा किया,.अब्दुल ख़ान ने मेरा एक पैर उठा कर मूर्ति पे रख दिया और पीछे आकर एक ही बार मे अपना समुचा लंड मेरी चूत मे घुसा दिया,
अब्दुल का लंड मेरी चूत मे परचम की तरह लहरा रहा था….मैं मूर्ति पर हाथ का सहारा लिए तब तक चुदती रही जब तक बेहोश ना हो गयी…होश आया तो कुछ देर मे दर्द ख़त्म हो गया…. रात भर मैं अब्दुल ख़ान से चुदती रही ,10 बार चोदा था अब्दुल ने उस रात मुझे और पति देव सारी रात जाग कर फॅक फॅक की आवाज़ सुनते रहे……खैर उस रात के बाद मुझे चुदने मे तकलीफ़ नही होती,अब्दुल ख़ान ने मेरी चूत का पूर्जा पूर्जा ढीला कर दिया था…अब वो जब भी नमाज़ पढ़ने मस्ज़िद आते तो घर आकर मेरी चुदाई ज़रूर करते.मैने बहुत मिन्नतें की लेकिन अब्दुल ख़ान ने मुझे बेगम का दर्ज़ा देने से इनकार कर दिया,अब मैं उनकी रखैल बन गयी हूँ और उनका जब मन होता है,मेरी चुदाई कर देते हैं….मैने पतिदेव को छोड़ दिया,आज भी पातिदेव अपनी नूनी लेकर मेरी तलाश मे दर-दर भटकते हैं…पूरे 9 महीने बाद मैने मैने जूनियर अब्दुल को जन्म दिया…उसका नाम रखा है मैने चोदुल,पसंद आया????
पर मैने इस कहानी को आगे बढ़ाया है लेकिन जिनको भी माँ-बेहन की स्टोरी नापसन्द हो वो आगे नही पढ़े और जो पढ़े अगर उनका लुल्ला दहकने लगे तो सीता देवी का सुक्रिया अदा करना भी ना भूले…ये सारी मेरी सिर्फ़ फॅंटसीस हैं..लफ़ज़ो का जमाव सिर्फ़ एंटरटेनमेंट के लिए किया गया है….
अब्दुल ख़ान की रखैल बन ने के बाद मेरा भाई बबलू मम्मी पापा के साथ रहने लगा था,मेरे मम्मी पापा दोनो डॉक्टर थे….एक दिन मुझे फोन आया कि पापा ने सुसाइड कर ली है…मैं अपने साथ अपने बेटे चोदुल ख़ान को लेकर मायके निकल पड़ी…वहाँ जा के पता चला कि पापा को मम्मी और बशीर ख़ान के रिलेशन्स के बारे मे पता चल गया था और मुहल्ले के लोग उन पर फबती कसते थे,ये उनसे बर्दास्त ना हुआ और जान दे दी.मेरी मम्मी का नाम डॉक्टर.सावित्री मिश्रा है . देखने में वो बहुत ही सुंदर है,मेरी मम्मी नही, जैसे बड़ी बहन लगती है. उनकी उम्र 42 है लेकिन फिगर बहुत ही हॉट है..मम्मी घर मे नाइटी या साड़ी पहेन्ति है और बाहर जाती है तो सलवार सूट पहेन्ति है, … मम्मी का सलवार सूट बहुत ही टाइट है..पता चला जब भी मम्मी बाहर जाती है तो सारे अंकल उन्हे घूर घूर कर देखते रहते है, उनकी सलवार से उनकी पैंटी की शेप दिखती रहती है.. मेरे मुहल्ले के सारे लड़के मेरी मम्मी के बारे में गंदी गंदी बाते करते रहते है…मैने अपने भाई बबलू से पूरी बात सुनाने को कहा.
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