RE: vasna kahani बेनाम सी जिंदगी
अंकल: यस! बिकॉज़ दुनिया मे तुम अकेले नही हो जो ऐसे सनसेट देखते हुए सोचते बैठो हो. बेटा, बाल सफेद हो गये हैं हमारे ऐसा करके. सो, एक सजेशन देता हूँ. बाल बचाओ अपने.
मे: हहहे! ओके अंकल. थॅंक्स! आइ विल ट्राइ टू चेंज.
इतना कह के मैं वहाँ से उठ गया.
अंकल: यू शुड! वैसे लड़की का नाम क्या हैं?
मे: अंकल अब एक हो तो बताऊ.. बाइ!
अंकल: बुह-बाइ!
मैने बाइक स्टार्ट की और घर की ओर निकल गया. अंकल ने बात तो एक दम सही की हैं. चेंज!
मे: कुछ तो करना पड़ेगा!
ज़िंदगी रास्ते की तरह रहती हैं. इस्पे चलो तो कही लेकर जाएगी.. नही तो बीसी किसी पंक्चर कार की तरह एक ही जगह पे खड़ी रहेगी. अब चलाना या ना चलाना ये अपने हाथ मे होता हैं. नेहा, पायल और मेरे बीच मे जो कुछ हुआ उसके बारे मे जानने के बाद आप लोग आब्वियस्ली ऐसा ही कहोगे कि मैने पायल का साथ देना चाहिए. उसने बुरे वक़्त मे मेरा साथ दिया, जब नेहा मुझे छोड़के चली गयी तब उसने मेरी सबसे अच्छी दोस्त बनके मुझे सहारा दिया. गर्लफ्रेंड ऑर लाइफ-पार्ट्नर मे और क्या चाहिए होता हैं किसी को? ट्रू! सब सही हैं. मगर आप लोग एक बात को भूल रहे हैं और वो हैं प्यार. मैं पायल को चाहता ज़रूर हूँ हम अगर उससे प्यार नही करता. दोनो बातो मे फ़र्क़ हैं. इंसान की चाहत तभी तक रहती हैं जब उसे कोई चीज़ मिल ना जाए. जिस दिन वो उस चीज़ को जिसे वो चाहता हैं, हासिल कर लेता हैं उस दिन वो उसे चाहना बंद कर देता हैं. प्यार मे ऐसा नही होता. अगर वो किसी से प्यार करता हैं तो सारी ज़िंदगी वो उसे संभाल के रखेगा, अपने आप से दूर नही जाने देगा. और चाहे कुछ भी क्यू ना हो जाए, जिससे प्यार किया उसके सामने आखे बंद कर के इंसान घुटने टेक देता हैं. और ये वजह हैं कि मैने नेहा को भी नही चूज़ किया. पायल को चाहता हूँ मगर प्यार नही करता. नेहा से प्यार करता हूँ मगर उसके सामने मैं घुटने नही टेकना चाहता. अगर कोई 1 साल पहले मुझे नेहा के सामने घुटने टेकने को कहता तो मैं 1 सेकेंड के लिए भी ना सोचता और उसे सर-आखो पर रख देता. मगर अब नही!
कुछ ही देर मे मैं घर पहुँच गया. बाइक पार्क की और घर मे चला गया. किसी से बात करने का मूड तो था नही सो मैं सीधा अपने रूम मे जाने ही वाला था कि उतने मे आवाज़ आई मम्मी की;
मम्मी: ओये हीरो!
मे: अर्रे? आज जल्दी.. क्या हुआ? नौकरी से निकाल दिया क्या?
मम्मी: कॉलेज बंद हो जाएगा जिस दिन मुझे नौकरी से निकाल देगे.
मे: यॅ! राइट.
मम्मी: वेट आंड .! एनीवे.. तेरी बात हुई?
मे: किससे?
मम्मी: बराक ओबामा से..
मे: ! शिट यार.. फर्गॉट तो कॉल हिम. करता हूँ थोड़ी देर मे. कुछ मेसेज आया था क्या?
मम्मी: बॅस कर! अर्रे चीक्की से! और किससे बात होने का पूछुगी मैं?
मे: आपकी गाड़ी फिरसे वही पर आ गयी?
मम्मी: अगर मैं ग़लत नही हूँ तो तूने धरती माँ की सौगंध वाला डाइयलोग मारा था और कहा था कि कॉल करूगा.. कहा था या नही?
मे: यस! कहा था. अच्छा अस्यूमिंग कि मैं छिन्धि को कॉल करता हूँ..
मम्मी: छिन्धि नही.. चिकी,उल्लू!
मे: हाँ, हाँ वोही! चीक्की, चिन्धि एक ही बात हैं. एनीवे, अस्यूमिंग कि मैं उसे कॉल करता हूँ, क्या बात करूगा उससे मैं?
मम्मी: अरे?? क्या बात करूगा मतलब क्या?
मे: वोही तो पूछ रहा हूँ.. क्या बात करूगा? मम्मी, ना जान ना पहचान. ज़माना हो गया उससे बात करके मुझे. उसका नाम क्या हैं वो भी याद नही. आंड सिन्स व्हेन आप इतनी पीछे लगने लगी हमारी बुआ के बच्चों से कॉंटॅक्ट रखने मे?
मम्मी: मैने कहा ना तुझे, वो इक लौति हैं जिससे बात की जा सकती हैं. फॅमिली रिलेटिव्स मे किसी से तो बात होती रहनी चाहिए.
मे: अच्छा! आपके पास नंबर हैं उसका?
मम्मी(मुस्कुराते हुए): हाँ हैं ना..
मे: तो कॉल करके बात कर्लो. फॅमिली रिलेटिव्स से बात होती रहनी चाहिए.
मम्मी: सम्राट!!!!!
मम्मी ने पूरा नाम लिया मेरा मतलब साइन हैं कि वो सीरीयस हैं.
मे: ओके! फाइन.. 1 कॉल.. दट’स ऑल.. और मैने कॉल किया तो आप साबूदाने के वडे बनाके खिलाओगी..डील?
मम्मी: खाने का कॉल से क्या लेना देना?
मे: डील ऑर नो डील?
मम्मी: अच्छा ठीक हैं.. कॉल लगा..
मे: अभी?? लाइक राइट नाउ?
मम्मी: क्यूँ? मुहूरत हैं?
मे: अर्रे फ्रेश होने दो. जिम से आया. जैसे फ्रेश हो जाता हूँ, आइ विल कॉल हर. प्रूफ भी दिखा दूँगा कॉल का. नंबर दो.
मम्मी: हाँ.. ये ले! 76********. सेव्ड?
मे: हाँ.. करता हूँ कॉल. आप वडे बनाने की तैयारी करो.
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