vasna kahani बेनाम सी जिंदगी
11-01-2018, 12:28 PM,
#87
RE: vasna kahani बेनाम सी जिंदगी
निशा हँसने लगी..
मे: ट्च..शट अप! ऐसा करेगी तो नही बताउन्गी मैं कुछ..
निशा: अच्छा..सॉरी सॉरी..बता..क्या हुआ?
मे: उस दिन जब मैं राजीव से बात कर रही थी. तब ना…
निशा: अर्रे बताएगी?
मे: तब बात करते करते मुझे कुछ होने लगा था. मेरी साँस बड़ी तेज़ चलने लगी थी..अजीब सा लग रहा था..और ना..मेरे…वो…
मैं अब भी कशमकश मे थी कि कहूँ या ना कहूँ..
मे: एम्म्म…मेरे….
आगे कहती उससे पहले ही;
निशा: निपल्स हार्ड हो गये थे…
मैं शॉक हो गयी निशा की बात सुनके..
मे: ओह्ह माइ गॉड! तुझे कैसे पता? किसने बताया तुझे? किसी ने देखा क्या उस दिन? हे भगवाअनन!!!
मैने अपना चेहरा हाथ मे छुपा लिया..
निशा: अर्रे ओये ड्रामा क्वीन… किसी ने कुछ नही बताया!
मे: नही नही,.तू झूठ कह रही. किसी ने तो बताया ही होगा. वरना तुझे कैसे पता चलता?? 
निशा: मुझे कैसे पता चलता??उम्म्म्म…हेलो????
मे: क्या? यही तो हूँ..
निशा: तू कुछ भूल नही रही?? 
मे: मैं तो खुदका नाम भी नही याद रखना चाहती..माइ लाइफ ईज़ ओवर..
निशा: शट अप!!! तू ये भूल रही हैं कि मैं भी एक लड़की हूँ..
मे: आआआहह….राइट.. तू भी..उम्म्म्म…सूऊओ..उम्म्म..ये जो भी मुझे हुआ..वो तुझे भी???
निशा: ऑफ कोर्स यार! कैसी बात कर रही हैं तू? पागल.. हर लड़की को होता हैं वो. और तुझे याद हैं मैने तुझे कहा था कि अब तेरा बेस्ट टाइम स्टार्ट होने वाला हैं? 
मे: हाँ..याद हैं..
निशा: समझ ले हो गया..
मे: अरे मुझे कुछ अमझ नही आ रहा.
निशा: अरे मेरी भोली भाली दोस्त.. एक बात बता. जब तेरे निपल्स हार्ड हो गये थे..तेरे पेट मे भी कुछ फील हो रहा था?
मे: हाँ..
निशा: क्या?
मे: उम्म्म….गुदगुदी सी होने लगी थी.
निशा: और कही कुछ फील हो रहा था?
मे: नही..
निशा: झूठी… बता सच सच..
मैं इतनी एंबरीस्स हो रही थी.
मे: अर्रे..सच मे ना..
निशा: फिर झूठ..बताती हैं या दूं?
मे: ओके फीनी!!!! हो रहा था.
निशा: कहाँ?
मे: वो...वहाँ पर…
निशा: कहाँ पर??
मे: आररीए!!! वही..लेग्स के बीच मे.
निशा: हहेः…लेग्स के बीच मे.. बच्ची ही हैं तू..
मे: अब इसमे बच्ची का क्या हैं? जहा फील हुआ वही पे बताई तुझे…
निशा: हाँ तो उसे लेग्स के बीच मे नही कहते..नाम हैं उसका कुछ..
मे: वो फीलिंग को??
निशा: नही नही.. उस जगह को.
मे: क्या नाम हैं?
निशा: इंग्लीश मे उसे क्रॉच कहते हैं..मैने अपने पापा की एक बुक मे पढ़ा था..कुछ मेडिकल अनॅटमी की कुछ बुक थी..
मे: क्रॉच? 
निशा: हाँ..
मे: और हिन्दी मे??
निशा: हिन्दी मे क्या कहते हैं मैं नही जानती…
मे: ओह्ह..
निशा: मगर मैने एक बार कुछ सुना था..
मे: क्या??
निशा: तुझे याद हैं क्या मेरे घर के ठीक सामने एक छोटी सी दुकान हैं?
मे: हाँ..पता हैं..जनरल स्टोर ना?
निशा: हां..वोही वोही.. वहाँ ना शाम को लड़के खड़े रहते है टाइमपास करते हुए..अपने से थोड़े बड़े..
मे: हाँ??
निशा: हाँ..तो उनकी बाते एक दिन मैं सुन रही थी बाल्कनी मे खड़ी होकर..कि आख़िर ये इतनी बाते करते हैं और हँसते क्यू हैं?
मे: तो? क्या सुनी तूने?
निशा: सब ठीक से नही सुनी मैने..मगर वो किसी लड़की के बारे मे बात कर रहे थे. दट’स फॉर श्योर.
मे: क्या कह रहे थे?
निशा: पता नही..मगर वो कह रहे थे कि वो लड़की का फिगर कितना अच्छा हैं..और उसके बोहोत ही बड़े हैं कह रहे थे..
मे: क्या बड़े हैं?
निशा: ओहू..वोही जो तेरे अभी बड़े हो रहे हैं..
पहले तो मुझे समझा नही.मगर जब निशा की नज़र वहाँ गयी तो मैं शरमा गयी.
मे: ओह्ह्ह..वो..ओके..
निशा: और एक लड़का कुछ उसके पैरो के बीच मे इशारा करके कह रहा था..एक वर्ड..मैने ठीक से सुना या नही पता नही..
मे: बता ना..क्या सुनी?
निशा: कुछ अजीब सा वर्ड कहा उसने. लंड!!!
मे: लंड???
निशा: हाँ..आइ थिंक हिन्दी मे ना क्रॉच को लंड कहते हैं..
मे: अजीब सा वर्ड हैं..
निशा: मुझे भी ऐसा लगा..लंड…तू आगे बता ना..
मे: हां तो वहाँ भी गुड़गुली होने लगी थी..
निशा: हां. होता हैं ऐसा..
मे: हाँ मगर घर जाके वो फीलिंग और भी बढ़ गयी. मैं जैसे ही रूम मे गयी उस दिन घर जाने के बाद..मुझे रोना आ गया.
निशा: तू तो किसी भी चीज़पे रोती हैं..
मे: नही निशा..उस दिन मैं डर रही थी.. मैं समझ नही पा रही थी कि निपल्स हार्ड कैसे हो गये. मैं देखना चाहती थी कि आख़िर हो क्या रहा हैं? तो…
निशा: क्या?
मे: तो ना..मैने अपना टॉप निकाली और मिरर के सामने खड़ी हो गयी. मैने पहली बार खुदको उस दिन वैसे देखा.. वो फीलिंग बड़ी स्ट्रॉंग होने लगी थी. मेरी साँस बोहोत तेज़ चलने लगी. पेट मे गुदगुदी होने लगी थी. मैने टॉप के अंदर से मॅक्सी पहनी थी..मगर उसमे से भी..
निशा: वेट….मॅक्सी?? तू अब भी मॅक्सी पहनती हैं?
मे: हां..क्यू? तू नही पहनती??
निशा: नही..
मे: हुहह??!!! मतलब तू वैसी ही??
निशा: अर्रे नही उल्लू..आइ मीन ब्रा पहनती हूँ मैं अब.
मे: ब्रा?
निशा: हाँ.ट्रैनिंग ब्रा..
मे: मैं तो मॅक्सी ही पहनती हूँ..
निशा: मगर अब ज़्यादा दिन नही पहन पाएगी ऐसा लग रहा हैं मुझे. 
उसने मुझे छेड़ते हुए कहा..
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RE: vasna kahani बेनाम सी जिंदगी - by sexstories - 11-01-2018, 12:28 PM

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