vasna kahani बेनाम सी जिंदगी
11-01-2018, 12:26 PM,
#71
RE: vasna kahani बेनाम सी जिंदगी
‘हे सम्राट!!वास्सप?’
मैने कोई जवाब नही दिया और आगे बढ़ गया..
‘और चोदु… कैसा हैं?’
अमर ने मुझे देखते ही कहा.. मगर मैने उसे भी कुछ नही कहा. अमर ने मेरे पीछे नेहा को आते देखा..
अमर: अरे नेहा??
वो मेरे पीछे आने लगा.
अमर: सम्राट? क्या हो रहा हैं? और तू नेहा को इस तरह पकड़ कर कहाँ ले जा रहा हैं?
मैं रुक गया;
मे: वरुण कहाँ हैं??
अमर: अर्रे हुआ क्या?? नेहा? क्या हुआ? और तुम रो क्यू रही हो?? कुछ बताएगा कोई?
मे: वरुण कहाँ हैं??
मैने इस बार चिल्लाकर पूछा. मेरी आवाज़ डिपार्टमेंट के हॉलवे मे घूमने लगी..आस पास के स्टूडेंट्स भी हमारी ओर देखने लगे.. 

मे: दोबारा नही पूछुगा अमर…

अमर: सीसी..आ..कांतीन मे…
मैं कॅंटीन की ओर बढ़ गया. अब अमर के साथ और भी 3-4 लोग हमारे पीछे आने लगे. कॅंटीन पहुचते पहुँचते हम कुछ 10 लोग हो गये थे. किसी लड़की को रोते देख कर तो कोई भी क्यूरियस हो जाए कि आख़िर माजरा क्या हैं तो.. कॅंटीन पहुँच कर मैने एक नज़र घुमाई और देखा तो वो वरुण अपने कुछ दोस्तो के साथ उसी टेबल पर बैठा था जहाँ हम कभी साथ मे बैठा करते थे.. अब नेहा ने मेरा हाथ पकड़ रखी थी. मैं पलटा और उसकी ऑर देखा तो वो समझ गयी. मेरा हाथ छोड़ते हुए वो वही रुक गयी.. अब मैं कोई आक्षन हीरो तो हूँ नही. इनफॅक्ट लड़ाई झगड़ा मैं वैसे भी नही करता क्योकि मुझे लगता है कि अगर किसी को अपने हाथ चलाने की ज़रूरत पड़ती हैं उसका मतलब उस इंसान का दिमाग़ नही चलता. मगर आज लिमिट क्रॉस हो गयी थी और मुझे मजबूर कर दिया था वरुण ने.

मैं सीधा वरुण की चेर के पास गया और ज़ोर से उसकी चेर पीछे की ओर खीचा जिस वजह से वो ज़मीन पर गिर गया. इससे पहले उसके दोस्त उठा पाते;
मे: किसी ने ग़लती से भी बीच मे नही आना..
इतना सफिशियेंट था क्योकि सभी जानते थे कि मैं बिना वजह झगड़ा नही करता. इनफॅक्ट कभी नही करता.. और अगर आज मैं फिज़िकल वाइयोलेन्स पे उतार आया तो इसका कोई बोहोत बड़ा रीज़न होना चाहिए.. वरुण ज़मीन पे से किसी तरह उठ पाता उससे पहले ही मैने उसके लेफ्ट पैर पे एक ज़ोर दार लात मारी जिस वजह से वो ठीक से खड़ा नही हो पा रहा था. 

वरुण: साले..मदर्चोद्द्द…
आगे कुछ कह पाता इससे पहले ही मैने वरुण के पेट मे एक पंच कर दिया, और उसकी कॉलर को पकड़ कर एक पंच उसके चेहरे पर चढ़ा दिया..पता नही मगर मेरे हाथ पैर अपने आप ही चल रहे थे.. अब वरुण ज़ोर ज़ोर से साँसे ले रहा था. पेट मे का घुसा उसे भारी पड़ा था ये मैं जानता था और उसका पैर अब बूरी तरह से दर्द कर रहा था जिस वजह से वो लंगड़ाते हुए कॅंटीन के डोर की तरफ जाने लगा और बीच मे ही उसे नेहा दिख गयी तो वो रुक गया…
वरुण: साली…तू..छिनाल..रांडी…

और वो एक बार फिर से नेहा पर हाथ उठाने के लिए आगे बढ़ा. मगर वो उसे हाथ तक लगा पाता उससे पहले ही अमर बीचे मे आ गया और उसने वरुण को पीछे धकेल दिया जिस वजह से वो ज़मीन पर गिर पड़ा.. कॅंटीन मे सब लोग अब तमाशा देख रहे थे. 

वरुण: अमर?? रंडी बाज… इस रांड़ को चोद रहा था क्या तू अब साले??
मैने नेहा की ओर देखा. उसकी साँसे अब उखड रही थी इतनी बुरी तरह वो रो रही थी.अब मुझसे नही रहा गया.. मैने वरुण को कॉलर पकड़ कर उसे उठाया और अपने घुटने से एक बार फिर उसके पेट पर अटॅक किया.. अब वरुण घुटनो के बल ज़मीन पर गिर गया. उसके होंठ मे से अब थोड़ा सा खून निकल रहा था..मगर अकड़ नही गयी थी.. वो उठने की कोशिश करने लगा मगर मैने उसके हाथ को अपने पैर से कुचल कर उसके बालो से उसके सिर को उपर उठाया और कहा;
मे: तेरी हिम्मत कैसी हुई नेहा पर हाथ उठाने की?

सब लोग इस बात को सुन कर नेहा की ओर देखने लगी..
मे: हुहह?? साले.. नमार्द हैं तू वरुण. नमार्द…

वरुण: हमारे बीच मे आकर तूने बोहोत बड़ी ग़लती की सम्राट.. वो मेरी गर्लफ्रेंड हैं, मैं चाहूं तो कुछ भी कर सकता हूँ उसके साथ.. 2 पैसे की रखैल जैसा भी ट्रीट करूगा उसे तो तू कुछ नही कर सकता था..

मेरा गुस्सा अब कंट्रोल नही हो सकता था.. मैने वरुण को उसके बालो से पकड़ कर ज़मीन पर घसीट ते हुए नेहा के पास ले गया और कहा;
मे: माफी माँग उससे!!

वरुण: हहा..इस कुतिया से.. जो अब फिर से तेरे कदम चाटने लगी..

नेहा रोते हुए कॅंटीन के बाहर जाने लगी
मे: अमर!!
वो समझ गया और उसने नेहा को रोक दिया.. 
मे: नेहा!
वो नही पलटी.. उसकी इज़्ज़त का कबाड़ा कर दिया था वरुण ने..

मे: नेहा….इधर आओ मेरे पास..
अमर उसे सहारा देते हुए मेरे पास ले आया..वरुण सब ज़मीन पर से देख रहा था..

वरुण: सालो..देख क्या रहे हो? इधर आओ..
मगर कोई नही आया…
मे: देखा तूने वरुण? कोई नही आया.. तूने इससे पहले किसी ने कभी हाथ भी नही लगाया..और आज मैं तुझे सबके सामने कुत्तो की तरह मार रहा हूँ मगर कोई नही आया तुझे बचाने के लिए.. पता हैं क्यू?
मैने उसके बालो को खीचते हुए कहा;
मे: क्योकि मैं हमेशा तुझे बचाता था.. आज तुझे बचाने वाला ही तुझे घसीट घसीट कर मार रहा हैं.. कोई आ जाए तुझे बचाने तो मैं तेरे जूते चाट लूँगा वरुण. और तू जितना चाहे मुझे मार ले, मैं कुछ नही करूगा…
इतना कह कर मैं कॅंटीन मे आस पास देखने लगा..
मे: है कोई?? 
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RE: vasna kahani बेनाम सी जिंदगी - by sexstories - 11-01-2018, 12:26 PM

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