vasna kahani बेनाम सी जिंदगी
11-01-2018, 12:26 PM,
#70
RE: vasna kahani बेनाम सी जिंदगी
अब नॉर्मली मैं ऐसा किसी लड़की के बारे मे सुनू तो मैं सूपर एग्ज़ाइट हो जाता हूँ. मगर मैं जानता था कि वो कैसी दिखती हैं तो.. न्ड मेरी मम्मी को तो कोई भी अच्छा लग जाता हैं अगर वो उनसे अच्छा बिहेव करे तो.. सो नो बिग डील..
मे: ह्म्म्मा… 

मम्मी: तेरा नंबर माँग रही थी वो.. दे दिया मैने…

मे: क्या?? मेरा नंबर? दे दिया? मुझसे पूछे बिना??

मम्मी: क्यू?? तू क्या PM हैं? ज़्यादा मत उड़.. अच्छी बच्ची हैं वो.. अपनी पूरी फॅमिली मे कोई बच्ची अच्छी हैं तो आकांक्षा के बाद वोही हैं..

मे: हाहहा… आकांक्षा?? अच्छी?? समझ गया मैं तुम्हारी ‘चिकी’ कैसी होगी तो..रहने दो!

मम्मी: चल जा! 

मैं हँसते हँसते किचिन से निकल गया. कुछ मिनट मैने चिकी के बारे मे सोचा मगर मैने ज़्यादा ध्यान नही दिया.नहा धोकर मैं कॉलेज के लिए निकल गया..कॉलेज मे बाइक पार्क की और क्लास रूम की ओर जाने लगा तो किसी ने आवाज़ दिया मुझे..
‘सम्राट!!’
मैने एक सेकेंड मे ही आवाज़ पहचान लिया और मैं बिना मुड़े ही आगे बढ़ गया. मुझे दोबारा से आवाज़ आई..

‘सम्राट!! प्लीज़ रुक जा’
इस बार मैं रुक गया.. मगर पलटा नही.. पीछे से मुझे कदमो की आवाज़ आने लगी. क्या करूँ समझ नही आ रहा था.. पार्ट ऑफ मे चाहता था कि मैं मूड जाउ, मगर मेरा दिल कह रहा था कि ना मूड जाउ.. पीछे से आने वाले कदम मुझसे कुछ दूरी पर रुक गये.. कुछ देर हम दोनो मे से कोई नही बोला .आख़िर कार मैने बिना पलते ही कहा;
मे: व्हाट डू यू वॉंट?
मुझे उसकी भारी सांसो की आवाज़ सॉफ सुनाई दे रही थी. उन सांसो मे जो झिझक थी मैं महसूस कर पा रहा था. होंठ कुछ कहना चाहते थे,मगर दिल नही मान रहा था मेरा कि पलट कर उसे देखूं और कहूँ कुछ…पार्किंग मे कोई नही था.. हम दोनो निशब्द होकर खड़े थे.. उसके कदम आगे बढ़े और मुझसे एक हाथ दूर आकर रुक गये…

‘आटीस्ट देखो तो मेरी तरफ. मुझे कुछ बात करनी हैं..’

मैं नही पलटा.. बड़ी मुश्किल से अपने आप को रोक रखा था मैने पलटने से..

‘प्लीज़!!!’ 
इतना कह कर मुझे सिसकिया सुनाई देने लगी. नॉर्मली, किसी का रोना मुझे पसंद नही,मगर इन आसुओ के लिए मैने बोहोत आसू खुद बहाए हैं..मैं अब भी नही पलटा तो फाइनली एक हाथ मेरे कंधे पर आकर रुक गया और मुझे पलटाने की कोशिश करने लगा… 

मे: गो अवे! मैं नही जानता तुम्हे.. कोई रिश्ता नही मेरा तुम्हारा…सो प्लीज़ एक्सक्यूस मी!

इतना कह कर मैं आगे बढ़ने लगा..कि तभी वो पूरे दर्द के साथ मुझे पुकारती हुई मेरे ठीक पीछे आकर मुझसे लिपट गयी.. उसके दोनो हाथ मेरे सीने मे गढ़ गये थे,दोनो के जिस्म इस कदर चिपक गये थे कि मानो अब अलग नही होगे.. मेरा दिल भारी होने लगा. मैं अपनी दोनो हाथो से उसकी नज़ूक कलाई को अपने हाथो मे थामा और कुछ देर वैसे ही रहने दिया.. मेरी शर्ट उसके आसुओ मे भीगने लगी थी पीछे से.. हर एक सिसकी मेरे कान मे गूँज रही थी.. मैं एक बार फिर उन हाथो को जकड़ा और बोहोत मुश्किल से उन्हे अपने सीने से अलग करते हुए पलट गया..

उसकी आखे लाल हो गयी थी. ऐसा लग रहा था कि आग लगी हो आखो मे, जो आसू बुझा नही पा रहे हैं जिस वजह से वो रुक ना रहे हो. जो उसका कोमल सा, प्यारा चेहरा मुझे याद था, वो अब परेशानी की सिलवतो मे घिरा हुआ था..मगर मेरा दिल इस सब से पिघलने वाला नही था…एक वक़्त था जब उसकी आखो मे मैं आसू की एक बूँद भी नही देख पाता था, मगर अब मुझे फ़र्क नही पड़ता.. उसके बालो की खुश्बू अब भी महसूस कर पा रहा था मैं, जो एक साइड से उसके चेहरे को जैसे छुपा रहे हो. उसके होंठ सूखे हुए थे, जैसे सालो से पानी की एक बूँद भी ना पी हो उसने.. हम दोनो एक दूसरे को घूर रहे थे.. नया हेरस्टाइल सूट नही कर रहा था उसे, उसका प्यारा चेहरा छुप रहा था लेफ्ट साइड से..बट व्हाई डू आइ केर?
मे: व्हाट?? क्या चाहिए तुम्हे?? चली जाओ कहा ना..

‘सम्राट!!’
और वो और भी ज़्यादा रोने लगी.. अब आसू उसके चेहरे से नीचे टपक रहे थे.. कुछ ही देर मे हवा चलने लगी. मान्सून मे चलती ही हैं हवा तेज़.. उसके बाल हवा मे लहराने लगे. एक वक़्त था जब मैं घंटो इन ज़ुल्फो से खेलता रहता था. और अब…

मे: ये क्या??
मैं उसके करीब गया और उसके चेहरे को उपर उठाया.. वो वापिस नीचे ज़मीन को देखने लगी. जैसे अपना चेहरा छुपा रही हो..
मे: मेरी तरफ देखो..
नो रियेक्शन..
मे: नेहा!! मेरी तरफ देखो…
उसकी लाल आखे मेरी ओर देखने लगी. मैने उसके बाल हटाए..
मे: किसने???
मेरे इस सवाल पे वो फुट फुट कर रोने लगी और मेरे सीने मे जैसे पिघल सी गयी.उसके आसू इस कदर बह रहे थे कि मेरा शर्ट भीग गया था.इस कदर मुझे वो जाकड़ के रो रही थी जैसे कि कोई बच्चा अपनी माँ को पकड़ता हैं.. मैं कुछ नही बोला.. क्योकि मैं समझ गया था कि ये किसका काम हैं.. मैने नेहा को अपने से दूर किया,उसकी कलाई को पकड़ा और पलट कर कॉलेज मे जाने लगा..वो चुप चाप मेरे पीछे आने लगी..मैं डिपार्टमेंट मे एंटर हुआ…
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RE: vasna kahani बेनाम सी जिंदगी - by sexstories - 11-01-2018, 12:26 PM

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