vasna kahani बेनाम सी जिंदगी
11-01-2018, 12:25 PM,
#68
RE: vasna kahani बेनाम सी जिंदगी
पायल: यॅ..यॅ..आ..हाअ…हा…आआआ.आ.आ…..सस्स्स्सस्स………ईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई
हार्ड्ली 5 मिनट मे हम दोनो ने साथ मे ऑर्गॅज़म का मज़ा उठाया… कुत्तो की तरह हाफ्ते हुए हम उस सोफे पर गिर गये..वो अब भी मेरे सिर मे हाथ डालकर मुझसे लिपटी थी, मेरा लंड उसकी चूत मे था,हाथ गान्ड का मज़ा उठा रहे थे.. 

मे: पर्फेक्ट….
और हम दोनो एक बार फिर किस करने लगे एक दूसरे को.. दिन भर मैं पायल को चोदता रहा था और वो मुझसे चुदवाती रही. आख़िर कॉनडम्स के पैसे भी तो वसूल करने थे ना..शाम को जब मैं नींद से उठा तो पायल रेडी होकर बैठी थी चेर पे..
मे: हे सेक्सी!!

पायल ने मुस्कुराते हुए मुझसे कहा;
पायल: आइ हॅव टू गो नाउ. कल मैं नासिक जा रही हूँ कुछ दिनो के लिए..

मे: क्या?? व्हाट रब्बिश??

पायल: इसमे क्या रब्बिश??

मे: पहले क्यू नही बताई??
मैं बेड पर से उठते हुए बोला;

पायल: मुझे तेरा मूड नही डाउन करना था.. आइ नो कि तू अपसेट होता…
वो चेर पर से उठ कर बेड पर पैर फोल्ड करके बैठ गयी और मेरी तरफ झुकते हुए बोली;
पायल: जल्दी ही आ जाउन्गी..
मैं कुछ नही बोला…
पायल: पतच्छ..बच्चों जैसा मर कर ना सम्राट..

मे: चुप कर.. एक तो जा रही उसमे भी …
मैं कुछ कहता उससे पहले ही पायल के होंठ मेरे होंठो से जा मिले और हम किस करने लगे.. डीप पॅशनेट किस…
मे: वाउ!!

पायल: हीहेः…!! टेक केर..
और उठने से पहले वो झुकी और मेरे लंड को किस करके बोली;
पायल: टेक केर…

मे: अब तू क्यू टॉर्चर कर रही? मत जा ना….
मैने पायल का हाथ पकड़ते हुए कहा..

पायल: बाइ सम्राट… आ नीचे डोर लगा ले.. 
मैं मन मारके शॉर्ट्स पहन कर पायल के साथ नीचे गया. जाने से पहले हम ने एक बार फिर किस किया और वो चली गयी. पायल के जाने के बाद मैं जिम चला गया और खाना खाकर घर आके सो गया.. अगला दिन भी ज़्यादा ख़ास नही था. दिन भर आकांक्षा की डाइयरीस पढ़ी मगर कही भी कुछ ख़ास नही था.. 2-3 डाइयरीस पढ़ने के बाद मुझे बोहोत बोर होने लगा.इनफॅक्ट अब तक की डाइयरीस मे कुछ भी इंट्रेस्टिंग नही था.. लास्ट वाली डाइयरी इनकंप्लीट थी. 
मे: ह्म्म्मा…लगता हैं लेटेस्ट डाइयरी साथ लेकर गयी हैं चूतिया..

मैने सोचा कि अब आकांक्षा की रूम की चाबी मेरे पास मे भी हैं.. जब वो घर पे नही होगी तब मैं आराम से उसकी डाइयरीस पढ़ लुगा.. मैने सभी डाइयरीस जैसी थी उसी तरह से रख दिया, रूम भी जैसा था वैसा सेट किया, थॅंक्स टू दा फोटोस जो मैने पहले लिए थे.. जाने से पहले मैने आकांक्षा की 1 पैंटी उठा ली..
मे: फ्यूचर प्लॅनिंग…

अब कल मेरे घर के वापिस आने वाले थे. एक बार फिर से सब कुछ चेक किया.. कॉनडम्स के कवर न्ड ऑल. सब कुछ सेट करके मैं बाहर चला गया कुछ दोस्तो से मिलने..

घर आने मे शाम को लेट हो गया था तो सीधा आकर सो गया. जैसे ही सुबह आख खुली तो मुझे धुँधला धुँधला सा एक आकार दिखाई देने लगा कुछ…अभी मैं स्लीप मोड पर से वेक अप मोड पे आने ही वाला था कि…
‘ तू मेरे रूम मे गया था???’

मुझे समझ मे देर नही लगी कि ये आवाज़ किसकी हैं…मैने दोबारा आखे बंद कर लिया और करवट लेकर सो गया..तो मेरे कंधे को पकड़ कर वो मुझे हिलाने लगी.. अब ये कौन हैं ये तो आप लोग भी समझ ही गये होगे.

मे: लगता हैं आज का दिन बड़ा ही बकवास जाने वाला हैं..

मैने अपने आप से कहा धीमी आवाज़ मे…

आकांक्षा: हुहह??? क्या कहा तूने??

मैने कुछ जवाब देना ज़रूरी नही समझा.. काश दे दिया होता..क्योकि आगे जो हुआ उस वजह से मैं बोहोत ही ज़्यादा शर्मिंदा हो गया. मैं करवट लेकर आकांक्षा की तरफ पीठ करके सोया था और आकांक्षा मेरा दिमाग़ खाना बंद नही कर रही थी. फाइनली वो चिड गयी और उसने ज़ोर से मेरे कंधे को पकड़ कर मुझे खीचा जिस वजह से मैं झट्के से उसकी ओर पलट गया और मेरे उपर की चादर मेरी टाँगो मे अटक कर पीठ के नीचे दब गयी. अब मुझे नही पता था कि ऐसा कुछ होने वाला था, वरना मैं शॉर्ट्स पहनता मगर मैने सिर्फ़ एक जॉकी की बॉक्सर शॉर्ट्स पहनी थी. अब उस वक़्त मेरे दिमाग़ मे सेक्स दूर दूर तक नही था,मगर क्या कर सकते. लड़को को ये बड़ा श्राप हैं कि सुबह सुबह उनके लंड एक दम कड़क रहते हैं जिस वजह से मेरी बॉक्सर मे एक बड़ा (एंफसाइज़िंग ऑन ) सा टेंट बन गया था. अब कुछ नही हो सकता था. अगर उस 1बड़ा’ सेकेंड मे मेरा लंड अपने नॉर्मल साइज़ का हो जाना तभी पासिबल होता जब तुषार कपूर एक दम हॅंडसम दिखता.. दोनो चीज़े एक दम इंपॉसिबल थी..सो जैसे ही आकांक्षा ने मुझे पलटा मैं अपनी पीठ के बल लेट गया और ब्लंकेट ने तो साथ छोड़ ही दिया था जिस वजह से आकांक्षा सब कुछ सॉफ देख सकती थी.इससे पहले वो आगे कुछ कह पाती उसको बोलती बंद हो गयी और वो सीधा टेंट को घूर्ने लगी. दट वाज़ एग्ज़ॅक्ट्ली ऑपोसिट टू व्हाट आइ हद एक्सपेक्टेड. मुझे लगा था कि वो या तो मुझ पर चिल्लाएगी या भाग कर सीधा मेरे पेरेंट्स के सामने सब कुछ बक्देगि..बट ऐसा हुआ नही.. उल्टा वो बिना पलके झपकाए तंबू को घूर्ने लगी..मैं चौंक गया था कि आख़िर हो क्या रहा हैं.. करीब 10 सेकेंड्स तक हम उसी पोज़िशन मे थे जब तक मैने फाइनली अपनी कमर को थोड़ा सा उपर उठा कर नीचे से ब्लंकेट निकाला और अपने लंड को कवर किया और कहा;

मे: उम्म्म्म… हेलो?? आकांक्षा??? 
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RE: vasna kahani बेनाम सी जिंदगी - by sexstories - 11-01-2018, 12:25 PM

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