vasna kahani बेनाम सी जिंदगी
11-01-2018, 12:23 PM,
#58
RE: vasna kahani बेनाम सी जिंदगी
आकांक्षा' की डाइयरी:
मेरा नाम आकांक्षा हैं. मैं एक मिड्लक्लास फॅमिली से बिलॉंग करती हूँ. (मिड्ल क्लास?? 10,000 मत भूलना दोस्तो). मैं कल ही 14 साल की हुई हूँ और मैं आज से डाइयरी लिखना स्टार्ट कर रही हूँ. डाइयरी लिखने का आइडिया मुझे हमारे स्कूल के टीचर ने दिया हैं जब एक लेसन मे जो आज हमे पढ़ाया उसमे एक लड़की की स्टोरी बताई गयी थी जो बिल्कुल मेरी तरह ही थी. उसकी लाइफ की स्टोरी भी मुझे अपनी जैसी लग रही हैं और लेसन मे बताया कि कैसे वो रोज़ डाइयरी लिखती हैं जिस वजह से उसे फ्यूचर मे ये एहसास रहे कि उसने क्या ग़लतिया की हैं पास्ट मे. टीचर ने हमे समझाया कि ये बोहोत इंपॉर्टेंट हैं इसलिए मैं आज से प्रॉमिस करती हूँ अपने आप से कि मैं हमेशा डाइयरी लिखुगी. और जो भी होगा सब कुछ सच सच लिखुगी. सर ने ये भी कहा कि अपनी डाइयरी मैं किसी को ना दिखाऊ क्योकि ये सबकी पर्सनल चीज़ होती हैं. इसलिए मैं किसी को नही बताउन्गी कि मैं डाइयरी लिखती हूँ और जो भी होगा सब सच सच लिखुगी. प्रॉमिस!

कल ब'डे था तो मैने सबको चॉक्लेट्स दिए. और उसे 2 चॉक्लेट्स दिए. मैं बोहोत खुश हो गयी कि उसने मुझसे 2 चॉक्लेट्स लिए. और मेरा हाथ को शेकहॅंड करके थॅंक यू भी कहा उसने और हॅपी बर्थ'डे भी विश किया मुझे.. मैं बोहोत खुश हुई. मैं अब राजीव को बोहोत पसंद करने लगी हूँ और आज तो कन्फर्म हो गया कि वो भी मुझे पसंद करता हैं. क्योकि जब मैं सबको चॉकलेट दे रही थी तो वो मेरी तरफ ही देख रहा था. आइ आम सो हॅपी. राजीव हमारी क्लास मे नया लड़का हैं. उसके पापा किसी सरकारी. ऑफीस मे काम करते हैं और उनकी ट्रांस्फ़ेरर यहाँ हो गयी. वो आक्च्युयली हमसे बड़ा हैं थोड़ा सा. वो बोहोत क्यूट हैं,सबसे बोहोत अच्छे से बात करता हैं, कभी गालियाँ नही देता, मुझसे भी अच्छे से बिहेव करता हैं. ना कि मेरे भाई जैसा जो मुझसे हमेशा झगड़ा करते रहता हैं. आज बोहोत अच्छा दिन था.........
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मैने आगे के कुछ पेजस भी पढ़े.. इस राजीव नाम के लड़के का बोहोत बार ज़िक्र था. 
मे: कही इसका कोई बाय्फ्रेंड तो नही हैं? 

कमीना ही सही, था तो मैं उसका भाई ही ना. फ़िक्र तो रहेगी थोड़ी.. मैं आगे पढ़ते गया. कुछ दिनो तक कुछ इंट्रेस्टिंग नही लिखा. जस्ट यूषुयल. मुझसे झगड़ा, मुझे गालियाँ मारना, राजीव और इसकी वन साइडेड लव स्टोरी थी ये कैसे उसे पसंद करती थी. मगर फिर एक दिन;
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आज मुझे स्कूल के बीच मे ही घर आना पड़ा. मैं बोहोत डरी हुई हूँ. क्लास के बीच मे ही अचानक मेरे पेट मे बोहोत दर्द होने लगा था. जैसे कि अंदर से कोई मेरे पेट को दबा रहा हो. थोड़ा नीचे की तरफ. जहाँ से सूसू करती हूँ उसके उपर. दर्द बढ़ता ही जा रहा था. मैने निशा को बताई और वो मुझे टीचर के पास ले गयी. टीचर ने मुझे समझाया कि कोई बात नही और उन्होने मम्मी को कॉल की. मुझे बोहोत डर लग रहा था तो मैं रोने लग गयी. दर्द भी बोहोत हो रहा था. खड़े भी नही रहते आ रहा था ठीक से. पैर दुखने लगे. निशा और मैं रेस्टरूम मे ही बैठे थे. जैसे ही मैने मम्मी को देखी मैं मम्मी को पकड़ के रोने लगी. पता नही मम्मी क्यू स्माइल कर रही थी तो? मगर मुझे बोहोत दर्द हो रहा था. मैं मम्मी के साथ घर आ गयी और मम्मी ने मुझे पेनकिलर दी और मैं सो गयी. अभी ठीक लग रहा हैं. 
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नेक्स्ट डे:
सुबह सुबह ही मम्मी मेरे रूम मे आई और मुझे अपने पास बिठा कर कहने लगी;
मम्मी: बेटा, आज से तुम बड़ी होने लगी हो. कल जो पेट मे दर्द हुआ अब वो हर मंत होगा. इसे हम पीरियड्स कहते हैं. डरने की कोई बात नही. हर लड़की को आते हैं. मुझे भी. ये लो..
इतना कह कर मम्मी ने मेरे हाथ मे कुछ विस्पर नाम का पॅकेट दे दिया और मुझसे कहने लगी कि;
मम्मी: बाथरूम मे जाओ और इन्स्ट्रक्षन्स पढ़के यूज़ करो.. अगर नही समझी तो मुझे बुलाओ..ओके?

इतना कह कर मम्मी ने मुझे माथे पे किस की और चली गयी. मैं समझ नही पा रही थी कि बाथरूम मे क्यू जाउ? ना मुझे नहाना हैं, ना टाय्लेट जाना हैं. इसलिए मैने सोची कि रूम मे ही करती हूँ. थोड़ा थोड़ा दर्द अब भी था मगर कल जितना नही. मैने पॅकेट के साइड के इन्स्ट्रक्षन्स पढ़े. उसमे कहा था कि पॅड को पैंटी की अंदर की साइड से लगाना हैं.मुझे कुछ समझ नही आ रहा था. मगर मैने अपनी शॉर्ट्स और पैंटी निकाली और बेड पर बैठ कर इन्स्ट्रक्षन्स पढ़ने लगी. वाइट कलर का सॉफ्ट पॅड था जो दोनो साइड से खुलता था. पॅकेट पे लिखा था कि उन्हे विंग्स कहते हैं. इन्स्ट्रक्षन वाइज़ पढ़ कर मैने पॅड पैंटी पर लगा दिया और वापिस पैंटी पहन ली. सॉफ्ट सॉफ्ट लग रहा था मुझे. मैं अब भी नही समझ पा रही थी कि आख़िर ये सब क्या हैं और क्यू हैं तो मगर मैने मम्मी को आवाज़ दी. मम्मी ने आने के बाद मुझे सब कुछ समझाई. मैं एक बार फिर रोई कि हर मंत मुझे दर्द होगा इस डर से. मगर मम्मी ने मुझे पकड़ कर समझाया और बोली कि इट्स आ गुड थिंग! जब भी दर्द होने लगे तब मम्मी ने ये यूज़ करने को कहा हैं. इसलिए मैने बाद मे पॅड निकाल ली. जब पॅड निकली तो देखा कि कुछ बाल अटक गये थे उसमे. कुछ हफ़्तो पहले ही मुझे वहाँ बाल आने लगे हैं. और अंडरआर्म्स मे भी. ये सब क्या हो रहा हैं? और मैं बात करूँ भी तो किससे बात करूँ? बेहन नही. मम्मी से इतनी बात नही कर सकती मैं. और भाई की तो शक्ल भी ना देखु मैं. मुझे फिर से रोना आ गया. 
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RE: vasna kahani बेनाम सी जिंदगी - by sexstories - 11-01-2018, 12:23 PM

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