vasna kahani बेनाम सी जिंदगी
11-01-2018, 12:23 PM,
#57
RE: vasna kahani बेनाम सी जिंदगी
अब आकांक्षा का कपबोर्ड और ड्रेसर तो मैं पहले ही चेक कर चुका था. इंट्रेस्टिंग चीज़ तो उसमे सिर्फ़ उसकी पैंटी और ब्रा ही थी. नतिंग एल्स. मगर फिर भी मैने एक बार फिर से दोनो को अच्छी तरह से चेक किया. नीचे से लेकर तो उपर तक. तिजोरी भी चेक की. डॉक्युमेंट्स के अलावा कुछ नही था और. ड्रेसर भी चेक किया. जस्ट टू बी श्योर बाथरूम का भी चप्पा चप्पा चेक किया...
मे: भैनचोद!!
कुछ नही मिल रहा था. मैं निराश होके बेड पर बैठ गया. सॉफ्ट मॅट्रेस मेरी गान्ड पे बड़ी अच्छी लग रही थी. मैं ज़रा लेट गया. आकांक्षा का बेड भी सबकी तरह से कंटेनर बेड हैं. मतलब आप उसमे सामान भी रख सकते हो. जैसे ही मुझे ये रीयलाइज़ हुआ मैं झट्के से उठ गया और मॅट्रेस को उठा के फोल्ड कर दिया. 
मे: आआहाआ! 
मॅट्रेस के नीचे एक वुडन प्लांक था. मैने हॅंडल को पकड़ कर वुडन प्लांक को उठाया. अंदर ढेर सारा कबाड़ था. ट्रडीशनल डे का सामान, बॅग्स,सूटकेसस,पता नही क्या क्या और! मैने पूरा बेड छान मारा. मैं हार मानने ही वाला था कि उपरवाले ने मेरी सुन ली और मुझे बेड के एकदम लोवर लेफ्ट कॉर्नर मे एक बॉक्स दिखा. सिंपल ऑफ-वाइट कलर का 1फ्ट बाइ 1फ्ट का प्लैइन वुडन बॉक्स था. जिसमे कोई भी कुछ भी रख सकता हैं. नतिंग स्पेशल. और उसी वजह से मेरा ध्यान बॉक्स पे गया कि जब बॉक्स इतना सिंपल हैं तो उसपे इतना अच्छा लॉक क्यू लगाया हैं. मैने ड्रेसर पर से की उठाई और एक गहरी साँस लेकर लॉक मे घुसा दी और घुमा दिया.
'क्लिक'
मेरी आखे बड़ी हो गयी...
मे: याहूऊओ!!!
लॉक खुल गया. सो ये चाबी इस लॉक की थी जो इतना सेक्रेटेली छुपा कर रखा गया था. मैने बॉक्स को बाहर निकाला. साइड मे रखा ड्रेसर पे और सबसे पहले सारी चीज़े जहाँ थी वहाँ रख दी. अब मुझे बॉक्स का लोकेशन पता चल गया था तो सब कुछ ठीक से रखने के बाद मैं इतमीनान से बेड पर बैठा और उस जादू के पिटारे को खोला..और सच मे दोस्तो.. जादू ही था उस बॉक्स मे.

बॉक्स खुलते ही मेरे सामने तो जैसे आकांक्षा की सीक्रेट दुनिया ही खुल गयी. आज मुझे पता चलने वाला था कि मेरी बेहन असल मे कैसी हैं. उस बॉक्स मे कुछ मेक अप का समान था. इतना छुपा कर रखा क्यूँ था मुझे नही समझ आया. लगता हैं आकांक्षा ऐसा सोचती हैं कि अगर हमारे घर पे चोरी हुई तो चोर उसका मेक अप का समान ही चुराने आएगा इसलिए इतना छुपा कर रखी उसने. मेक अप का समान एक पाउच मे था लाकमे के. उसके बाद कुछ एक एन्वॉलप था,प्लेन वाइट कलर का. मैने एन्वॉलप खोला...

मे: फक!!!!

मैं तो चौंक गया. एन्वॉलप मे 100-100 के नोटो का बंड्ल रखा था जो आराम से 10,000 के आस पास होगे. इतने पैसे मेरी बेहन के पास? चूतका मेरे पास इतने पैसे नही हैं अब तक. मेरा दिल तो बोहोत कर रहा था कि सॉफ कर दूं सब, मगर फिर आकांक्षा को पता चल जाता कि मैने उसकी सीक्रेट दुनिया देख ली हैं.इसलिए बड़े ही मायूस दिल से मैने पैसे वापिस रख दिया. और भी कुछ फालतू चीज़े थी. एक पूरानी बार्बी डॉल थी जो मेरे ख़याल से जब **** की थी तब पापा ने लेकर दी थी. उसने वो अब तक संभाल कर रखी थी. वो आक्च्युयली क्यूट लगा मुझे. ये सब बॉक्स के एक सेक्षन मे था और एक साइड मे ढेर सारी नोटबुक्स रखी थी. मैने एक उठाकर देखी जो सबसे उपर रखी थी. कुछ 8-10 नोट-बुक्स थी एक के उपर एक. सब एक ही साइज़ और टाइप की. कवर की क्वालिटी से तो पता चलता था कि काफ़ी पहले खरीदी हुई हैं. मैं नोटबुक खोला. फ्रंट पेज पे डिज़ाइनर फ़ॉन्ट मे लिखा था 'डेली डाइयरी'. 

मे: अया! तो ये बात हैं. वाह!!
मैं सच मे इंप्रेस हो गया आकांक्षा के इस स्मार्टनेस से. जो डाइयरी कपबोर्ड मे रखी हुई थी वो सिर्फ़ दिखावे के लिए थी. असली माल तो इस बॉक्स मे था. मैने सब नोटबुक्स बॉक्स से बाहर निकाला और एक एक को देखने लगा. नीचे की कुछ नोटबुक्स अब भी कोरी थी. इसका मतलब की आकांक्षा पीछले कुछ साल से ही डाइयरी लिख रही हैं और बाकी की नोटबुक्स एक्सट्रा हैं. जो नोटबुक सबसे उपर थी वो लेटेस्ट थी. मैने सोचा कि क्यू ना एक दम स्टार्टिंग से पढ़ा जाए. वैसे तो मैं स्ट्रॉंग्ली बिलीव करता हूँ कि किसी की प्राइवेट लाइफ मे इंटर्फियर नही करना चाहिए. इट्स रॉंग! मगर जहाँ खुदकी बेहन को देख कर लंड खड़ा हो जाता वहाँ मैं इतनी मोरल बाते कैसे फॉलो कर सकता था? मैने सारी नोटबुक्स जिनमे कुछ लिखा हुआ था साइड मे रख दी. बॉक्स को एक बार फिर से चेक किया. कुछ इंट्रेस्टिंग नही था सिवाय 1-2 नेकलेस और 1 ब्रेस्लेट के. मैने बॉक्स दोबारा से सही जगह पर रख दिया,बेड के अंदर. जो नोटबुक सबसे नीचे रखी थी मैने उठाया और बाकी की नोटबुक्स को अच्छे से बेड के साइड मे छुपा दिया और नीचे चला गया. 

मे:अब तो मैं एक एक पन्ना पढ़ुगा इसकी हर एक डाइयरी का. ज़रा मैं भी तो देखु कि आख़िर तू लिखती क्या हैं तो.
एक बार फिरसे टाइम देखा मैने. 4 एएम. पायल अभी और 2-3 घंटे तो उठने वाली थी ही नही. इसलिए मैं सीधा नीचे चला गया. सोफे पर आराम से बैठा और 'लेट्स स्टार्ट!' कहके मैने आकांक्षा की डाइयरी ओपन किया. डेट देख कर पता चला कि ये डाइयरी 2 साल पूरानी हैं. मतलब रफ्ली जब वो 18 साल की थी तबसे लिख रही हैं. अब आगे की कहानी आकांक्षा की डाइयरी की ज़ुबानी हैं. बीच बीच मे मैं अपनी कहानी भी कंटिन्यू रखुगा सो कन्फ्यूज़ मत होना दोस्तो;
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RE: vasna kahani बेनाम सी जिंदगी - by sexstories - 11-01-2018, 12:23 PM

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