vasna kahani बेनाम सी जिंदगी
11-01-2018, 12:18 PM,
#29
RE: vasna kahani बेनाम सी जिंदगी
अब मामला हाथ से बाहर जाता दिखाई पड़ रहा था मुझे. गुत्थी और उलझती ही जाने लगी. मैने पायल की आखो मे देखते हुए कहा;
मे: फॉर दा लास्ट टाइम पायल! तू जो कह रही हैं वो सब सच नही हैं. बिल्कुल भी नही. और मैं समझ नही पाया कि तू मुझे पसंद करती हैं इसका मतलब ये नही कि कोई और नही करेगा और ना ही ये कि मैं तुझे पसंद नही करता हूँ. आइ लाइक यू. बट आइ डोंट लव यू.
पायल अब एक झट्के मे अपनी जगह से उठ कर खड़ी हो गयी और मेरी ओर घूर्ने लगी. उसकी वो बड़ी बड़ी आखे, भीगी हुई थी. उसके गुलाबी होंठ ज़रा से खुले हुए थे. कुछ अजीब था उन होंठो मे. उन्हे देख कर मेरे होंठ सुख रहे थे. जैसे....जैसे पानी का झरना हो उन होंठो मे जिसे मैं सदियो से ढूँढ रहा हूँ. पायल खड़ी होकर कुछ कह रही थी मगर मैं तो कुछ सुन भी नही रहा था. बस उसकी ओर देखे जा रहा था. मैं सोफे पर बैठा था और पायल ठीक मेरे आगे खड़ी थी. मैं चाह कर भी सिर्फ़ उसके चेहरे की ओर नही देख रहा था, बल्कि मेरी नज़र धीरे धीरे नीचे जाने लगी थी. उसकी क्यूट सी चिन से नीचे होते हुए मोरनी जैसी उसकी नेक और फिर उसके वो बड़े ही मादक बूब्स जो ठीक मेरी आइ-लेवेल पर थे....
पायल: ...........सुना तूने??
मे: हुहह?? क्या?
पायल: आइ आम लीविंग..बाइ!
इतना सुनने के बाद मैं होश मे आया और सोफा पर से खड़ा हो गया. पायल वहाँ से जाने के लिए मूडी और जैसे ही वो मूडी, ऑटमेटिकली मेरा हाथ आगे बढ़ गया और मैने पायल की कलाई पकड़ ली. आहह! उसकी मखमल जैसी कलाई मेरे मज़बूत हाथों मे थी और पायल चाह कर भी आगे नही बढ़ पाई. 
पायल: अया..! पतच.. सम्राट. लेट मी गो! 
मैने पायल की बात का कोई जवाब नही दिया. मैं मानो एक अजीब से नशे मे था. मेरे हाथ पर मेरा खुद का काबू नही था. वो अपने आप ही चल रहे थे. मैं सिर्फ़ महसूस कर रहा था जो हो रहा हैं वो,कंट्रोल नही. और इससे पहले मैं कुछ और समझ पाता, मेरे हाथ ने पायल का हाथ को खीच लिया और;
‘धाप्प’
पायल का सीना मेरे सीने से टकरा गया. मैं महसूर कर पा रहा था पायल की गरम साँसे मेरे सीने पर. अब भी उसका हाथ मेरे हाथ मे ही था. वो मेरे आखों मे देख रही थी और मैं उसकी आखो मे कुछ ढूँढ रहा था. क्या ढूँढ रहा था? ये बात मैं नही जानता. वो अपनी कलाई छुड़ाने की कोशिश कर रही थी, मगर मेरे हाथ से निकाल नही सकती थी वो अपना हाथ. कुछ 40-50 सेकेंड्स तक उसकी वो कोशिश जारी रही और बाद मे वो शांत हो गयी. मुझे जैसे इसीका इंतेज़ार था कि कब वो अपनी इन नाकाम कोशिशो को बंद करे और;
मे: सो? यू लाइक मी?
मैने पायल की गहरी काली आखों मे झाँकते हुए उससे पूछा और जैसा कि मैने एक्सपेक्ट किया था पायल के होंठ कुछ ना कह पाए. पायल की साँसे अब तेज़ होने लगी थी.. उसका सीना मेरे सीने से भीड़ा हुआ था और मैं महसूस कर रहा था उसके बेहद सॉफ्ट बूब्स को अपने मज़बूत और विशाल चेस्ट पर. किसी तरह से पायल लड़खड़ाते हुए बोली;
पायल: स...सस्स..सम्र..सम्राट.. 
मे: अब बोल कुछ? 
चुप्पी! ना वो कुछ कह रही थी और ना मैं कुछ सुनना चाहता था. और शायद इसी वजह से मैं ज़रा आगे झुक गया और मेरे प्यासे होंठो ने उसके कोमल, रसीले,गीले और गुलाबी होंठो पर दस्तक दे दी........

पायल के होंठ मेरे होंठो से मिल गये. एक धीमी सी हलचल महसूस कर रहा था मैं. उसके वो रसीले होंठ. मैं पायल के उभारो को सा महसूस कर रहा था. धीमे धीमे उसकी साँस तेज़ होती जा रही थी और हर साँस के साथ उसके बूब्स मेरे चेस्ट मे और गहरे गढ़ते जा रहे थे. उसके होंठो का कंपन मैं सॉफ महसूस कर रहा था. ऐसा कंपन जो किसी गरम लोहे पर ठंडे पानी की बूंदे डालने पर पैदा होता हैं. पायल का दिमाग़ चाह रहा था कि अपने होंठो को अलग कर ले, मगर आज उसका जिस्म उसके काबू मे नही था और इसकी गवाही उसके होंठो ने थोड़ा सा और खुल के दे दी. मैने अपने होंठो को और ज़ोर से उसके होंठो पर दबा दिया और हम अब एक दूसरे के होंठो को चूसने लगे. अब लिविंग रूम मे होंठो के भीड़ने की आवाज़े घूमने लगी थी. जो हल्का सा विरोध मुझे पहले पायल की ओर से देखनेको मिला था वो अब पूरी तरह से गायब हो गया था और अब वो मेरे आगोश आ गयी थी. ये बात मैं भी जानता था और वो भी जानती थी. गहरी चुस्कियो के साथ मैं पायल के होंठो का रस पीते जा रहा था और बदले मे वो एक कभी ना रुकने वाले झरने की तरह मुझे अपना रस पिला रही थी. हम दोनो नही चाहते थे कि वो किस कभी ख़त्म हो, हमारे होंठ कभी भी अलग हो. यहाँ तक की साँस लेने के लिए भी हम ने रुकना सही नही समझा. पायल अब पूरे जोश मे मेरे होंठो को चूस रही थी. और उस वजह से उसके होंठ अब पूरी तरह से खुल चुके थे. मौका देख कर मैने अपनी जीभ उसके मूह मे डाल दी. मेरे इस सडन मूव से पायल ज़रा सा चौक गयी और उसकी आखे खुल गयी. जैसे ही उसके आखे खुली,पता नही उसे क्या हुआ और उसने अपने होंठ मुझसे अलग कर लिए. मुझे लगा कि मैने लाइन क्रॉस कर दी. मेरा दिल अब ज़ोर ज़ोर से धड़कने लगा.
मैने पायल की ओर देख कर मानो सवालिया नज़रों से ही आखो-आखो मे पूछा कि,'व्हाट हॅपंड?'

और बदले मे वो मुझे अपनी बड़ी बड़ी आखे और फाड़ कर देखने लगी. मुझे लगने लगा था कि आख़िर मैने ऐसा क्या कर दिया जो पायल इस तरह से रिक्ट कर रही हैं. मैने सोचा की शायद सॉरी कह दूं तो ये मुझे माफ़ कर देगी. रूम मे बिल्कुल सन्नाटा सा फैल गया था. 
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RE: vasna kahani बेनाम सी जिंदगी - by sexstories - 11-01-2018, 12:18 PM

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