vasna kahani बेनाम सी जिंदगी
11-01-2018, 12:15 PM,
#19
RE: vasna kahani बेनाम सी जिंदगी
ज्यों ही मैने ये कहा, आकांक्षा मुझे मारने के लिए मेरी ओर भागने लगी. अब नॉर्मली ऐसे सिचुयेशन मे मैं कभी भी उसके हाथ नही आता, मगर आज कुछ अजीब बात थी. आकांक्षा मेरी तरफ बढ़ने लगी और मैने उसकी तरफ देखा. उसने एक स्कयबलुए कलर का टी-शर्ट पहना था और एक वाइट कलर की जीन्स. अब मैं नही जानता उस वक़्त मुझे क्या हुआ. आकांक्षा पैर पटकते हुए मेरी ओर बढ़ने लगी और हर मूव्मेंट के साथ उसके बूब्स उपर-नीचे,उपर-नीचे होने लगे थे. और मेरी नज़रें उन पर उसी तरह से जम गयी थी जैसे मेरे पैर ज़मीन पर. हर एक कदम के साथ मैं महसूस कर रहा था कि किसी पानी भरे बालों की तरह उसके बूब्स उपर जाते और ग्रॅविटी की वजह से नीचे आते. कभी गौर नही किया मैने कि इस लड़की का उपरी हिस्सा इतना मादक हो गया हैं. मैं अपने ही ख़यालो मे आकांक्षा के बूब्स को चूम रहा था और तभी;
'फात्त्त्त!!'
मुझे एक ज़ोरदार चाँटा महसूस हुआ अपने राइट बाइस्प पर.. आकांक्षा कब मेरे पास आ गयी और कब उसने एक चाँटा मेरे हाथ पे मार दिया मुझे पता ही नही लगा. इस कदर मैं खो गया था उन सुंदर बूब्स के ख़यालो मे. 
मे: ओओउच!!
आकांक्षा हँसने लगी.
आकांक्षा: हुहह! बड़ा खुदको सूपर फास्ट कहता हैं ना कि कभी मेरे हाथ नही आएगा. निकल गयी हेकड़ी??!
मेरे दिल मे आया कि अब इसे मैं क्या बताऊ कि मैं कैसे इसके हाथ मे आ गया. 
मे: हाँ हाँ! ठीक हैं. तू कछुए से भी तेज़ हैं.खुश??!

आकांक्षा अपना मूह बिगाड़ते हुए किचन मे चली गयी. अब ठीक 8 बज रहे थे. सब लोग अपनी अपनी पॅकिंग मे बिजी थे और मैं मस्त बैठ कर ब्रेकफास्ट कर रहा था और प्लान कर रहा था कि कैसे अगले 7 दिनो का मज़ा लिया जाए. सबसे पहले पापा उनका और मम्मी के बॅग्स लेकर बेडरूम से बाहर आए. 2 बॅग्स थे. सफिशियेंट सामान था 2 लोगो के लिए. 
मे: ऑल पॅक्ड??
पापा: यस! लिस्ट मे जो जो लिखा था वो सब पॅक कर लिया.
मे: वाह! अच्छा हैं.
पापा: हाँ तो बर्खुरदार अब ज़रा सुनो! घर अगले एक हफ्ते तक तेरे ही भरोसे हैं. मैने तेरे अकाउंट मे 5000 रुपये डाल दिए हैं. ज़रूरत पड़ने पर काम आएगे. 
5000 का नाम सुन कर मैं खुश हो गया.
मे: बहुत खूब!
पापा: हाँ लगा ही था मुझे खुश होगा तू. घर का ख़याल रखना. कुछ उल्टा सीधा मत करना......
पापा के बोल-बच्चन शुरू थे जो मैं सुन नही रहा था. मेरे दिमाग़ मे तो बस यही चल रहा था कि क्या करू और क्या नही??!
पापा: ......... सम्राट??
मे: हुहह?? हा?
पापा: मैने कहा समझा या नही? 
अब मैने कुछ झाट भी नही सुना था मगर हाँ कहना मुझे ठीक लगा.
मे: सब कुछ समझ गया. आप टेन्षन ना लो.घर सही सलामत रहेगा. 
पापा: हाँ वो तो रहेगा ही. अगर वो नही रहा तो तू नही रहेगा.
हिन्दी फिल्म के विलेन के जैसे पापा मुझे धमकी देकर चले गये. मैं किचन मे जाने के लिए मुड़ने ही वाला था कि पापा के बाद मम्मी ने भी सेम इन्स्ट्रक्षन्स दिए.
मम्मी: बेटा! घर का ख़याल रखना.. नो मस्ती! अच्छे से रहना. कबाड़ मत बना देना.
मैने 'हाँ' मे अपनी मंडी हिला दी. तभी मम्मी चिल्लाई;
मम्मी: अर्रे सुनते हो!!?? 
पापा तब तक बाहर निकल गये थे.
मम्मी: ओो!! तेरे पापा भी ना! पैसे तो दिए नही होगे कुछ भी. रुक!
इतना कह कर मम्मी ने एक हॅंडबॅग मे से एक और पर्स निकाली और मेरे हाथ मे 500 के 6 कड़क-कुरकुरे नोट रख दिए और कहा;
मम्मी: ये ले! 3000 हैं. संभाल कर रखना. ज़रूरत मे काम आएगे.
मैने अपने दिल मे मुस्कुराते हुए सोचा कि,'कॅन दिस दे गेट एनी फक्किंग बेटर दॅन दिस?'. अब मेरे पास 8000 थे. पापा नही जानते थे कि मम्मी ने 3000 दिए और मम्मी को नही पता था कि पापा ने 5000 दिए. और मैं एक अच्छा बेटा होने के नाते उनके बीच के इस कन्फ्यूषन वाले रिश्ते को तोड़ना नही चाहता था तो मैने चुप रहना भला समझा और फिर से एक बार 'हाँ' मे मंडी हिला दी बैल के जैसी!
मे: मैं पूरा ख़याल रखुगा घर का. अभी आप लोग निकलो नही तो गाड़ी छूट जाएगी.
मम्मी: हाँ हाँ..! ..ये आकांक्षा कहाँ हैं? 
मम्मी ने इधर उधर उसे ढूँढा और ज़ोर से आवाज़ लगाई;
मम्मी: आकांक्ष्ााआआअ!!!!!
और एक बड़ी दबी सी आवाज़ आई उपर से;
'आई!!'
मम्मी: चल बेटा! हम निकलते हैं. बाइ.
इतना कह कर मम्मी भी बाहर चली गयी. मैने प्लेट किचन मे रख दी और एक पानी की बॉटल लेकर दीवार के सहारे मैं बाहर के दरवाजे के पास खड़ा हो गया. मुझे लगा कि आकांक्षा भी निकल गयी और तभी मुझे ठक ठक की आवाज़ आई. मैने पीछे मूढ़ कर देखा तो आकांक्षा के दोनो हाथो मे 2 बड़े बड़े बॅग्स थे और वो बड़ी ही मुश्किल से कोशिश कर रही थी उन बॅग्स को नीचे लेकर आ सके. बॅग्स इतने बड़े थे कि कोई देखता तो सोचता कि बंदी यूएस जा रही हैं. मैं आकांक्षा की कोशिश को देखने लगा और ना चाहते हुए भी मुझे हसी आ गयी. आकांक्षा ने मुझे हस्ते देखा तो और चिढ़ने लगी वो.
आकांक्षा: हंस क्या रहा हैं तू? कोई जोकर दिख गया क्या?
मे: दिख गया नही,'दिख गयी!
आकांक्षा अब गुस्से से फूल रही थी.
आकांक्षा: कामीने! किसी काम का नही. रोज़ 2 घंटे जिम मे कुछ करता भी हैं या बस हवा भारी हैं तेरे अंदर.. हिम्मत हैं तो उठा बॅग्स.
मैं समझ गया कि वो क्या करने की कोशिश कर रही हैं. मैं भी कमीना हू.
मे: हाँ.. हवा ही भरी हैं. तुझे खुद ही उठाना पड़ेगा.
Reply


Messages In This Thread
RE: vasna kahani बेनाम सी जिंदगी - by sexstories - 11-01-2018, 12:15 PM

Possibly Related Threads…
Thread Author Replies Views Last Post
  Raj sharma stories चूतो का मेला sexstories 201 3,558,990 02-09-2024, 12:46 PM
Last Post: lovelylover
  Mera Nikah Meri Kajin Ke Saath desiaks 61 550,952 12-09-2023, 01:46 PM
Last Post: aamirhydkhan
Thumbs Up Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग desiaks 94 1,257,663 11-29-2023, 07:42 AM
Last Post: Ranu
Star Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस desiaks 54 950,736 11-13-2023, 03:20 PM
Last Post: Harish68
Thumbs Up Hindi Antarvasna - एक कायर भाई desiaks 134 1,687,237 11-12-2023, 02:58 PM
Last Post: Harish68
Star Maa Sex Kahani मॉम की परीक्षा में पास desiaks 133 2,109,168 10-16-2023, 02:05 AM
Last Post: Gandkadeewana
Thumbs Up Maa Sex Story आग्याकारी माँ desiaks 156 2,999,473 10-15-2023, 05:39 PM
Last Post: Gandkadeewana
Star Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम sexstories 932 14,217,686 10-14-2023, 04:20 PM
Last Post: Gandkadeewana
Lightbulb Vasna Sex Kahani घरेलू चुते और मोटे लंड desiaks 112 4,090,500 10-14-2023, 04:03 PM
Last Post: Gandkadeewana
  पड़ोस वाले अंकल ने मेरे सामने मेरी कुवारी desiaks 7 290,555 10-14-2023, 03:59 PM
Last Post: Gandkadeewana



Users browsing this thread: 1 Guest(s)