RE: vasna kahani बेनाम सी जिंदगी
मैं अपने बेड पर सिकुड कर बैठ गया. मुझे समझ नही आ रहा था कि करू तो क्या करू? दिल मे अब भी चुभन महसूस हो रही थी. मैने अपनी आखे कस कर बंद कर ली इस कोशिश मे कि शायद ये चुभन कम हो जाए. मगर ऐसा हुआ नही और अचानक मेरे हाथ पर एक आसू टपक गया. मैं रोने लगा. पता नही क्यू मगर उस वक़्त, सुबह के 4:24 बजे, मुझे और कोई रास्ता नही दिखा. सिवाय रोने के. दिल खोल कर रोना ही मुझे सही लगा. आज मैं कयि सालो बाद रोया. मुझे याद भी नही था कि मैं लास्ट टाइम कब रोया था. मगर मुझे उसकी परवाह नही थी. मैं बस इस दर्द को कम करना चाहता था,इस चुभन को अपने दिल से निकालना चाहता था, इस ख़ालीपन से छुटकारा चाहता था. उस वक़्त, मैं बस रोना चाहता था!!
अब मुझे नींद आनी मुश्किल थी. आखे बंद करना भी दुश्वार हो गया था. ज्यों ही मैं आखे बंद करता तो नेहा का चेहरा मेरे सामने आ जाता. और वो मैने नही समझ पा रहा था कि ऐसा आख़िर हो क्यू रहा हैं? हम दोनो को अलग हुए अब ऑलमोस्ट 5 मंत्स हो चुके थे. तो फिर ये सपने का क्या मतलब था? और ये आज क्यू आया? मैं इन सब बातो के बारे मे सोचने लगा. मुझे ऐसा महसूस होने लगा था कि मेरा और नेहा का ब्रेक अप मेरी ही ग़लती की वजह से हुआ. कहते हैं जो हमे सपनो मे दिखाई पड़ता है वो असल मे हमारे ही दिमाग़ मे कही किसी कोने मे छुपा होता हैं,जिसे मेडिकल टर्म मे 'सबकॉनसियस माइंड' कहते हैं. तो क्या ये सपना भी बस मेरे ही दिमाग़ की उपज हैं या कही,डीप-डाउन मेरे दिल मे मैं नेहा के लिए गिल्टी फील करता हू? कही मैने तो उसे नही छोड़ दिया? मेरा दिल ये सवाल बार बार पूछ रहा था. मगर दिमाग़ अपने लॉजिक से काम कर रहा था कि नही, छोड़ा नेहा ने मुझे था. सोई वो थी मेरे दोस्त के साथ. दुनिया मे मेरे सबसे अच्छे दोस्त के साथ. ! उन दोनो ने मुझे धोका दिया था. जिन्हे मैं अपनी जान से भी बढ़कर मानता था ऐसे दो लोगो ने मिलके मेरा दिल तोड़ा था. देअर ईज़ नो फक्किंग रीज़न दट आइ हॅव टू फील गिल्टी अबाउट दट. नो!!
मैं अपने अंदर चल रही इस कशमकश से लड़ रहा था. ताकि किसी तरह से मुझे शांति मिले, मैं चैन से सो सकूँ. मगर आज ये पासिबल नही था. मैने टेबल पर रखे मोबाइल मे टाइम देखा. सुबह के 5:04 बजे थे. अभी दिन शुरू ही हो रहा था. मैने सोचा कि अब नींद नही आने वाली तो चलके रन्निंग को ही जाकर आता हूँ. जिस्म थक जायगा तो हो सकता हैं की नींद आ जाए. ऐसी उम्मीद लेकर मैं बेड पर से उठा. मैं जानता था कि आज दिन भर मेरा मूड अच्छा नही रहने वाला. तो जितना कम हो सके दूसरे लोगो के कॉंटॅक्ट मे आउन्गा और ज़्यादा तर अपने ही रूम मे रहुगा आज के दिन. मैं ब्रश करने के लिए अपने बेडरूम से बाहर निकला. जाते हुए मैं आकांक्षा के रूम के सामने से पास हुआ. देखा तो उसके रूम की लाइट ओन थी. मुझे लगा कि अगर ये जागी हुई हैं और अगर इसने मुझे देख लिया तो सुबह सुबह दिमाग़ खाने लगेगी. इसलिए मैं दबे पाव रूम से निकल कर सीधा बाथरूम मे गया. ब्रश किया, फ्रेश हुआ और रूम मे से शूस उठा कर,टीशर्ट पहनते हुए मेन डोर से बाहर निकल गया.
सुबह सुबह ताज़ा और ठंडी हवा बह रही थी. मैने सोचा कि कम्से कम हवा आज भी सुकून देती हैं. मैं धीरे धीरे रन्निंग करने लगा. मेरे दिमाग़ मे अब भी वो सपना ही घूम रहा था. मैं नही जानता था कि जो कुछ भी हो रहा हैं वो सब क्यू हो रहा हैं? मगर मैं इतना ज़रूर जानता था कि मैने किसी को धोका नही दिया और ना ही किसी का दिल कभी दुखाया हैं. मैं अब तक अपनी घर से ऑलमोस्ट 100 मीटर के डिस्टेन्स पे आ गया था. मेरे कदम जैसे जैसे रफ़्तार पकड़ रहे थे,मेरे ख़यालो की रफ़्तार भी बढ़ रही थी. मैं रास्ते पर भाग आगे ज़रूर रहा था मगर मेरे ज़हन मे मैं वक़्त मे पीछे पीछे जा रहा था. जैसे मैं कोई मूवी का सीन देख रहा हू उस तरह से मेरे आखो के सामने वो वाकिया आ रहा था. मेरा ध्यान रास्ते पर बिल्कुल भी नही था. मैं बस भागते जा रहा था. आज भी मुझे याद था वो दिन. वो मनहूस दिन.
मैं हर रोज़ की तरह सुबह 8 बजे उठ कर रेडी होकर कॉलेज जाने के लिए निकला. ज्यों ही मैने बिके स्टार्ट की उतने मे नेहा का मुझे एक कॉल आया;
मे: हेलो?
"हेलो! सम्राट!"
मैं झट से आवाज़ पहचान गया कि ये नेहा का कॉल था.
मे: हे सन्षाइन..!मॉर्निंग! क्या बात हैं? आज तो सुबह सुबह हमारे प्यार को हमारी याद आ गयी? बड़ा अच्छा जाने वाला हैं लगता हैं दिन मेरा आज.
हुहह! सोचता हू की पता नही क्या सोच कर मैने वो शब्द कहे थे उस दिन.
नेहा: गुड मॉर्निंग सम्राट! कहाँ हैं अभी?
नेहा की आवाज़ ज़रा दबी दबी सी लग रही थी. मुझे लगा शायद सुबह सुबह होने की वजह से मेडम अभी तक उठी नही हैं. इसलिए ऐसी आवाज़ आ रही होगी. मैने ज़्यादा ध्यान नही दिया.
मे: मैं तो अभी घर से निकल रहा हू. 20 मिनट मे प्रॅक्टिकल हैं. तो जल्दी से भाग रहा हूँ. तुम अभी तक नही रेडी हुई? आज कॉलेज नही तुम्हारा?
नेहा और मैं अलग अलग कॉलेज मे थे. मैं इंजिनियरिंग कर रहा हू और वो मेडिकल. पर्फेक्ट कंबो. डॉक्टर-इंजिनियर! या आटीस्ट मुझे ऐसा लगता था.
मे: कुछ कहोगी? आज सुबह ही कॉल किया? मूड क्या हैं?
मैने उसे छेड़ते हुए ही कहा!
नेहा: उम्म्म.. तुम आज कॉलेज नही गये तो चलेगा क्या? मुझे मिलना था, कुछ ज़रूरी बात करनी है.
मे: क्यू? क्या हुआ नेहा? कहो ना.
मैं बाइक स्टार्ट करके आगे चलने लगा. ऑलरेडी लेट हो चुका था मैं इसलिए मैं बाइक चलाते हुए ही उससे बात करने लगा.
नेहा: नही! ऐसे नही. मिलकर बात करनी हैं.
मुझे कुछ समझ नही आ रहा था.
मे: पतच्छ..ओह्हो शोना. कहो भी! आज मेरा कॉलेज जाना बोहोत ज़रूरी हैं. आज मेरे प्रॉजेक्ट का प्रजेंटेशन हैं ना! आज नही जाउन्गा तो मार खाउन्गा फिर.
कुछ वक़्त तक मुझे नेहा की आवाज़ नही आई. और फिर;
नेहा: सम्राट, मुझे ज़रूरत हैं तुम्हारी. प्लीज़ आ जाओ.
अब मुझे टेन्षन आ रहा था.
मे: अर्रे नेहा, बट बताओ तो हुआ क्या हैं? तुम वजह बता नही रही और बार बार मिलने को कह रही हो. चलो ठीक हैं! मैं मिलने आ भी जाता मगर अभी इंपॉर्टेंट काम हैं मुझे. 1 बजे के बाद ही फ्री होउंगा ना नेहा.
नेहा: क्या कोई वजह होना ज़रूरी हैं क्या? मैं मिलना चाहती हूँ ये क्या सफिशियेंट नही हैं अब तुम्हारे लिए सम्राट?
नेहा की गुस्से से भरी आवाज़ मुझे सॉफ सुनाई दे रही थी. मैं समझ नही पा रहा था कि ये सब हो क्या रहा हैं और सुबह सूभ नेहा क्यू बुला रही हैं मिलने के लिए?
मे: तुम नाराज़ क्यू हो रही हो नेहा? इट्स माइ वर्क, आइ हॅव टू बी देअर आंड प्रेज़ेंट माइ प्रॉजेक्ट. क्या तुम नही चाहती कि मैं अच्छा स्कोर करूँ? ये सब क्या बाते कर रही हो तुम नेहा?
नेहा: अभी मैं बस इतना चाहती हू कि तुम,इसी वक़्त यहा मेरे सामने आ जाओ...... प्लीज़!!
नेहा के उस "प्लीज़" की आहट आज तक मेरे कान मे गूँजती हैं. उस एक शब्द मे बोहोत भीख थी. मानो नेहा की ज़िंदगी फसि हो उसमे.
मे: नेहा? प्लीज़ बताओ कि क्या हुआ हा.......
इतना मैं कह पाता उतनी वक़्त मे मुझे मेरे कॉलेज के एक फरन्ड का कॉल आया;
मे: नेहा, मैं तुम्हे 2 मिनट मे कॉल करता हूँ. मुझे एक अर्जेंट कॉल आ रहा हैं कॉलेज से. ओके?
नेहा ने कोई जवाब नही दी.
मे: नेहा कुछ तो कहो. ओके?
अब भी कुछ नही और इससे पहले मैं और कुछ कहता नेहा ने कॉल कट कर दिया और मेरे फरन्ड की आवाज़ मुझे आने लगी. मैं बड़ी निराशा से;
मे: हेलो!
"अर्रे? कहाँ हैं तू? अब तक आया नही?"
मे: हाँ पायल. बोल
पायल: अबे बोल के बच्चे.. कब आ रहा हैं? तूने ही तो हमें यहा बुलाया था आ जल्दी ताकि हम प्रेज़ेंटेशन की प्राक्टिज़ कर सके. जल्दी आ. मैं और वरुण दोनो हैं यहा पर. वी आर वेटिंग.
मे: हन. आ रहा हू. ऑन माइ वे!
इतना कह कर मैने कॉल रख दिया और तुरंत नेहा को कॉल किया. बिजी! 2-3 बार ट्राइ किया, बट स्टिल बिज़ी. मैने हार मानके फोन रख दिया और कॉलेज की ओर निकल पड़ा. कॉलेज कुछ 10-12 किमी दूर होउंगा मेरे घर से. 20 मिनट लगते हैं आटीस्ट. मैं कॉलेज पहोचा और बाइक पार्क करके अपने डिपार्टमेंट की ओर बढ़ने लगा. मेरे दिमाग़ मे अब भी नेहा का ही ख़याल आ रहा था कि क्या हुआ उसे? ऐसा क्यू कह रही थी? और ऐसा क्या हो सकता हैं कि वो इतनी तड़प रही थी मिलने के लिए? इन सारे सवालो के जवाब मैं अपने आप मे खोजने लगा कि तभी;
"ओये हीरो?? कितना टाइम लगा दिया तूने? कब से वेट कर रहे हैं हम तेरा? ग्रूप लीडर ना होता ना बेटा तू तो इतना भाव ना देती तुझे!"
उस आवाज़ से मैं अपनी ख़यालो की दुनिया से बाहर निकला.मैने सामने देखा. तो पायल खड़ी थी. पायल मेरी 2न्ड बेस्ट फरन्ड हैं. सबसे पहला मेरा जिगरी वरुण उसके बाद पायल. और नेहा तो जान थी मेरी. पायल और मेरी दोस्ती कुछ 1 साल पहले ही हुई थी. मगर इस एक साल मे ही वो मेरी बोहोत अची दोस्त बन गयी. पायल का नेचर बड़ा ही कूल था. मैने आज तक पायल को कभी गुस्से मे नही देखा. हाँ. एक बार देखा था, जब हमारे सीनियर्स मे से एक बंदे ने उसकी ओर कुछ अजीब नज़र से देखा था. पता नही क्यू और क्या देखा था. पायल दिखती बड़ी ही प्यारी थी. गोरा सा चेहरा. बड़ी बड़ी काली आखे. खरगोश जैसे 2 डाट थोड़े से आगे. मुलायम और बच्चों जैसे उसके गाल थे और बड़े ही घने और बोहोत ही सॉफ्ट से उसके बाल. थोड़े ब्राउनिश कलर के. कपड़े बड़े अजीब पहना करती थी हालाकी वो. हमेशा उसे हम ने आज तक एक जीन्स,स्पोर्ट शूस और अलग अलग स्वेट शर्ट्स मे ही देखा हैं. ढीले से कपड़े पहनती थी. ज़रा सी डंबो दिखती थी उस वजह से. एक ही लड़की थी वो जिसे मैं दिल से दोस्त मानता था. उसके बारे मे कभी भी मेरे दिल मे बुरे ख़याल नही आए और ना कभी आएगे.
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