vasna kahani बेनाम सी जिंदगी
11-01-2018, 12:13 PM,
#5
RE: vasna kahani बेनाम सी जिंदगी
मैं थोड़ा आगे बढ़ा और उसके बेड के बिल्कुल पास मे जाकर खड़ा होने ही वाला था उतने मे मेरा पैर ज़मीन पर रखे एक टेडी पर गिरा. अब चूत का नसीब भी ऐसा था कि वो टेडी को दबाने से उसमे से सिटी की आवाज़ निकलती थी. मेरा पैर जैसे ही पड़ा,उसमे से ज़ोर से सिटी निकली. अब कयि लोग ये सोच रहे होगे कि जब मैने आकांक्षा को आवाज़ लगाई और वो नही उठी तो एक सिटी की आवाज़ से क्या घंटा उसकी नींद खुलने वाली थी? काश दोस्तो, जो आप सोच रहे हो वो सच होता. मगर ये खंबख़्त हमारी एअर. सीटी लो फ्रीक्वेन्सी की होती हैं और हमारे कान लो फ़्रेक़ुएकनी वाली आवाज़ो की तरफ ज़्यादा सेन्सिटिव होते हैं. (माफ़ करना यारो, साइन्स से कुछ ज़्यादा ही प्यार हैं तो एक्सप्लेन करने से रोक नही पाया अपने आप को.) हम तो जैसा कि मैं कह रहा था, मेरा पाँव ज्यों ही उस कम्बख़्त टेडी पर पड़ा, आकांक्षा की नींद खुल गयी. अब भी वो अपने पेट के बल सोई थी तो उसे मैं दिखाई नही दिया. मेरी गान्ड फटने लगी. इसलिए नही कि उसकी नींद टूट गयी और मैं वहाँ उसके रूम मे था. डरता तो मैं उसके बाप से भी नही था. सॉरी,आक्च्युयली डरता था. ही हप्पेंड टू बी माइ बाप ऑल्सो! मेरी फटी इसलिए क्योकि मेरा लंड पूरी जवानी मे था और शॉर्ट्स ढीला होने की वजह से बड़ा सा तंबू बन गया था. अब इतना सब कुछ सोचने मे मुझे 2-3 सेकण्डस लगे और उतने मे ही आकांक्षा कब पलट गयी मुझे पता ही नही चला. और जैसा की मुझे एक्सपेक्टेड था,जैसे ही उसने मुझे देखा, वो ज़ोर से चिल्ला पड़ी;

आकांक्षा: तू????!! तू यहाँ क्या कर रहा हैं?? मुंम्म्मी!!!!!......
मुझे बड़ा टेन्षन आ गया. मगर तभी मुझे अचानक याद आया कि मम्मी ने ही तो इसे आवाज़ लगाने कहा था. मैं झट से बेड पर बैठ गया और उसके मूह को अपने हाथ से बंद कर दिया.
मे: चिल्ला मत!! तुझे इतनी आवाज़ दी, डिन्नर करने लिए मगर तूने कोई जवाब नही दिया. 3-4 बार मैने नॉक किया मगर तेरे मूह से कुछ नही फूटा.तो मुझे फ़िक्र होने लगी तो मैने अंदर आ गया. इतने घोड़े बेच कर सो रही थी तू. मम्मी डिन्नर के लिए कह रही हैं. आकर खाले. समझी?
मैने उसकी ओर देख कर उसे कहा. मगर वो फिर भी कुछ ना बोली...
मे: अर्रे! बहरी हो गयी क्या?? बकेगी कुछ? 
तो आकांक्षा ने,"मूऊव्व.;,मूओोव्.." ऐसी आवाज़ की. तब मुझे रियलाइज़ हुआ कि उसका मूह मैने बंद कर रखा हैं.
मे: ओह्ह..सॉरी! नीचे आकर खाना ख़ाले.
आकांक्षा : हाँ ठीक हैं.
इतना कह कर मैं बेड पर से उठ गया और बाहर जाने लगा. तभी;
आकांक्षा: सुन!!?
मे: अब क्या?? बोल जल्दी. भूक लगी हैं मुझे.
आकांक्षा: हा.. हा..इतना क्यू चिढ़ रहा?
मे: हाँ तो फर्माओं मेडम जी.
आकांक्षा: तूने कहा मैने जवाब नही दिया तो तुझे फ़िक्र होने लगी थी?
मैं उसका सवाल सुन कर ज़रा शांत हो गया. आज पहली बार उसने ये अजीब सा सवाल पूछा था. मैने एक नज़र उसकी ओर डाली. बिस्तर पर वाइट टीशर्ट और पिंक शॉर्ट्स पहन कर बैठी हुई इस काले,घने बालो वाली, गोरी चीत्ति लड़की की ओर. उसके चेहरे पर उसके बालो की एक लट लटक रही थी. मैं आज आकांक्षा को बिल्कुल अजनबी समझ रहा था. जैसे आज पहली बार उसे मिला हू.
आकांक्षा : कहेगा कुछ??!
उसके सवाल ने मुझे अपने ख़यालो की दुनिया से बाहर खीचा.
मे: हुहह?? उम्म्म... खाना खा ले आकर. 
इतना कह कर मैं रूम से बाहर निकल आया.

मैं नीचे आ गया. आते आते मेरे दिमाग़ मे बोहोत कुछ चल रहा था. काफ़ी सवाल थे जिनके जवाब मैं नही जानता था. मैं सीढ़ियो से नीचे उतर रहा था, अपनी ही धूंन मे! एक एक सीढ़ी मुझे एक गहरी पहेली सी लगने लगी थी. तभी...
वाय्स: सम्राट!!??
मैं सोच रहा था कि यह अचानक मुझे अपनी बेवकूफ़ बेहन के लिए ऐसी फीलिंग्स क्यू आने लगी हैं? आज मुझे पहली बार इस चीज़ का एहसास हुआ था कि एक कुँवारा,कम्सीन और कसा हुआ जवान जिस्म मेरे ही घर की छत के नीचे था. उस जिस्म की मालकिन को मैने हमेशा ही नफ़रत की नज़रों से देखा है और आज मेरे दिल मे उस जिस्म के लिए तड़प पैदा होने लगी थी.
वाय्स: अर्रे सम्राट??!!? 
इस बार उस भारी आवाज़ से मैं अपने ख़यालो की दुनिया से बाहर खिंचा चला आया. 
मे: हुहह??!! क..क्या??
देखा तो पापा आवाज़ लगा रहे थे. 
पापा: 2 बार आवाज़ दी तुझे. कौनसी दुनिया मे रहने लगा हैं आज कल?
मेरे पापा पेशे से एक डॉक्टर हैं. 48 यियर्ज़ की एज हैं उनकी. 5 फ्ट 11 इंच हाइट और वेट होगा अराउंड 75-80 केजी के बीच मे. अभी भी सर पर के सारे बाल सही सलामत और काले-घने. पापा जब मेडिकल कॉलेज मे थे तब अपने कॉलेज के वेट लिफ्टर हुआ करते थे. नॅचुरली, बॉडी आज भी बिल्कुल कसी हुई थी. और जैसे जैसे उमर होने लगती हैं, वैसे वैसे मर्दो के चेहरे पर एक मेचुरिटी आने लगती हैं जो आज कल एक सेक्स अपील सी हो गयी हैं. कहते हुए गर्व और थोड़ी जलन भी होती हैं, मगर आज भी पापा एक मचो और सेक्सी मर्द लगते हैं. मेरे पापा का नेचर बोहोत ही कूल हैं. ज़िंदगी मे मुझे पापा ने कोई एक बात बोहोत अच्छे से सिखाई हैं तो वो ये है कि, "ऐज लोंग ऐज यू हॅव होप, यू हॅव आ रीज़न टू लिव. दा मोमेंट यू लूस होप ईज़ दा मोमेंट यू लूस दा स्ट्रेंत टू सर्वाइव.!". इसलिए ज़िंदगी मे चाहे कुछ भी क्यू ना हो जाए, मुझे हमेशा पता होता हैं कि मेरे पापा मेरे साथ हैं. 
पापा: अर्रे?? क्या हुआ तुझे? तेरी तबीयत तो ठीक हैं ना? 
पापा ने मेरे माथे पर हाथ रखते हुए कहा.
सम्राट: हाँ..हाँ पापा.. आइ आम फाइन! 
पापा: फिर? ऐसा लग रहा हैं मानो कुछ बोहोत गहरा सोच रहा हैं. सब ठीक तो हैं? कुछ गड़बड़ की क्या महाराज आपने?
पापा ने मुझे छेड़ते हुए कहा.
मे: ओहू! नही पापा. बस कुछ कॉलेज का सोच रहा था.
पापा: फिर तो डिफिनेट्ली तेरी तबीयत खराब हैं.
मे: हहा.. व्हाट आ जोक!!
पापा: अच्छा ठीक हैं! वो आकांक्षा को आवाज़ लगाई तूने खाना खाने के लिए?
आकांक्षा का नाम सुनते ही मेरे दिमाग़ मे फिर से वो सब ख़याल आ गये.
मे: हाँ..लगाई तो. मेडम सो रही थी. (गान्ड उपर करके. मेरे दिल मे आया. और फिर उसकी टाइट गान्ड.आहह..).. वैसे मैने भी नही खाया हैं. किसी को यहाँ कुछ पड़ी हैं या नही मेरे खाने की?
पापा: बेटा!!.. पापा ने मेरे कंधे पर हाथ रखते हुए कहा. मुझे आज भी वो दिन याद हैं जब तू छोटा था और मैं तेरे लिए सेरेलेक का डिब्बा लाया था.
मे: हाँ! तो?? वो तो आकांक्षा के लिए भी लाए थे. 
पापा: बिल्कुल सही कहा बेटा तूने. और मुझे वो भी दिन याद हैं जब दूसरे ही दिन मैं तेरे लिए एक और सेरेलेक का डिब्बा लाया था. क्योकि वो तूने महज एक ही दिन मे ख़त्म कर दिया था. 
मैने अपनी नज़र चुराते हुए नीचे देखा. पापा हँसने लगे.
पापा: तो हम तेरे खाने की चिंता ना करे यह बात तू समझ सकता हैं,ऐसा मैं एक्सपेक्ट करता हू. फिर भी, जा ख़ाले खाना. . हम तो चले. गुड नाइट
मे: ओक्क..गुड नाइट पापा..
इतना कह कर मैं डाइनिंग रूम मे आ गया. मम्मी तो ऑलरेडी अपने बेडरूम मे जा चुकी थी और अब पापा भी चले गये थे. मैने किचन मे से प्लेट लेकर डाइनिंग चेर पर बैठ गया. पॉट का ढक्कन उठा कर देखा. अहहहा!!.. भिंडी.. मेरा दिल खुश हो गया. आइ लव भिंडी. मैने सब्जी और 3 रोटी अपनी प्लेट मे ले ली और चेर पर बैठ गया. तभी मैने सोचा कि सब लोग सो गये हैं तो क्यू ना मैं अच्छे से लिविंग रूम मे जाकर मस्त टीवी देखते हुए खाऊ? मम्मी बड़ी स्ट्रिक्ट थी इस मामले मे मगर अभी तो मम्मी थी नही ना..! मैं झट से अपनी चेर पर से उठा और जैसे ही मैं जाने वाला था मेरे दिल मे थोड़ा सा लालच आया और मैने पॉट मे से और थोड़ी से सब्जी लेना चाही. ज्यों ही मैने सब्जी के पॉट मे से सब्जी लेने की कोशिश की, वैसे ही;
"यहाँ बाकी लोग भी हैं खाना खाने के लिए!"
अभी तक तो आप समझ ही गये होगे कि यह किसकी आवाज़ होगी तो. मैने मूड कर डाइनिंग रूम के एंटेरंसे की ओर देखा और सामने आकांक्षा उन्ही कपड़ो मे अपनी कमर पर हाथ रख कर खड़ी थी. उसके गोरे गोरे हाथ, उसकी पतली सी कमर पे थे. वो कमर जो ज़रा सा नीचे जाते ही एक तीखा सा बाहरी मोड़ लेकर उस सुंदर और मांसल गान्ड से जाकर मिल जाती थी. पिंक शॉर्ट्स मे उसके गोरे गोरे थाइस देख कर मेरा ईमान फिर से डगमगा गया. मैं उसके जिस्म को उपर से नीचे देखने लगा था. 
आकांक्षा :हेलो???"
उसके हेलो ने मुझे अपने ख़यालो से बाहर निकाला और मैने कुछ ना कहते हुए सब्जी दोबारा पॉट मे डाल कर लिविंग रूम मे जाने लगा.
आकांक्षा: अर्रे? कहाँ जा रहा हैं? मम्मी ने मना किया है ना कि लिविंग रूम मे नही खाना.
अब मुझे गुस्सा आने लगा था. आकांक्षा की यही आदत से मुझे सख़्त नफ़रत थी. हर बात मे टाँग अड़ने की. उसकी वो गोरी गोरी, चींकनी और लंबी टाँगे.. तभी मैने अपना सिर हिलाते हुए उन विचारो को अपने दिमाग़ से निकालते हुए उसकी ओर गुस्से से देखा और लिविंग रूम की ओर जाते हुआ कहा;
मे: तुझे मम्मी दिख रही हैं यहाँ? नही ना..तो तू तेरा काम कर चुप चाप से.
आकांक्षा: वोही कर रही हू. मेरा भी घर हैं ये और इसका ख़याल रखना मेरा भी काम हैं.
मे: गुड देन! कीप इट अप..ग्रेट जॉब.
इतना कह कर मैं डाइनिंग रूम से निकल गया. हमारे लिविंग रूम मे एक शानदार सा सोफा सेट हैं. ब्लॅक इटॅलियन लेदर, शाइनिंग. अंदर से उसमे स्पेकल मेटीरियल जिसपे बैठ ते ही आपकी गान्ड आपसे कह उठे कि,'वाह! सुकून मिला!". एक 42" का सोनी का एलईडी टीवी था और मेरी मम्मी को इंटीरियर डेकोरेशन का बड़ा शौक हैं. तो फलाना फलाना तरह की चीज़ो से लिविंग रूम सजाया हुआ था. सोफा सेट के बीच मे एक टी टेबल था. एथेनिक डिज़ाइन और टेबल सागवान वुड से बना हुआ. 
मैने टीवी का मेन स्विच ऑन किया और रिमोट हाथ मे लेकर सोफा पे विराजमान हो गया.. 
मे: उफफफफफफ्फ़...!!
मेरे मूह से निकला जैसे ही मैं सोफा पर लॅंड हुआ. इतना अराम्देय था वो. मैने घड़ी देखी. 10:07 हो रहे थे. मैने झट से स्टार वर्ल्ड लगाया. टू आंड ए हाफ में आ रहा था. मेरा फॅवुरेट शो हैं वो. बड़ा ही कॉमेडी. जिन लोगो को पता ना हो उनके लिए शॉर्ट कट मे मैं बता दूं कि दा शो ईज़ अबाउट लिव्स ऑफ 2 में आंड ए किड! 2 भाई. बड़े भाई का नाम चार्ली हैं, जो एक सक्सेस्फुल जिंगल राइटर हैं और एलए के एक शानदार बीच हाउस मे रहता हैं. ना बीवी, ना बच्चा! हर रोज़ नयी लड़की को चोदता हैं और एक आलीशान से ज़िंदगी जीता हैं. ढेर सारा पैसा, ना कोई आगे ना पीछे. इंशॉर्ट आ पर्फेक्ट प्लेबाय लाइफ! और तभी एक रात उसे उसके छोटे भाई आलन का फोन आता हैं,जिसे वो 12 सालो से नही मिला हैं. आलन एक शादी शुदा इंसान हैं,जिसे 8 साल का बच्चा हैं,जेक! आलन का डेवोर्स हो जाता हैं और उसकी कमिनि बीवी उसे घर से निकाल देती हैं और इस तरह से एक बोहोत ही कॉमेडी सफ़र की शुरूवात होती हैं. अब जैसे मैने कहा कि चार्ली एक प्लेबाय की ज़िंदगी जीता हैं. शो मे बोहोत चुदाई की बाते, सुंदर जवान लड़किया और केयी हिलॅरियस किस्से हैं. 
मैने अपने आस पास देखा. पर्फेक्ट अरेंज्मेंट. ग्रेट टीवी, ग्रेट फुड, ग्रेट सोफा..बड़े ही सुकून से मैं खाने का पहला नीवाला लेने ही वाला था कि तभी अचानक;
आकांक्षा: यह क्या लगा रखा हैं तूने टीवी पर?
पीछे से आती आवाज़ मेरे कानो मे पड़ी. मैने अपना हाथ रोक कर रोटी का नीवाला प्लेट मे डाल दिया और देखा तो आकांक्षा खुद भी एक प्लेट लेकर लिविंग रूम मे खाना खाने आई हैं.
मे: तू यहाँ क्या कर रही हैं?
आकांक्षा: क्यू? लिविंग रूम मे आने की पर्मिशन क्या तुझसे लूँ?
मुझे गुस्सा आना शुरू हो रहा था. मैने किसी तरह से उसे कहा
मे: क्यू? तभी तो बड़ी बकवास कर रही थी. कि.'मम्मी ने ये, मम्मी ने वो!' अब? क्या हुआ?
आकांक्षा: हाँ तो मैं अच्छे से खाती हू. तेरी तरह नही. अनिमल की तरह. 
मैने गहरी साँस ली और सोचा कि क्यू मैं इसके लिए अपना मूड खराब करूँ? एक स्माइल अपने आप को ही दी और नीवाला मूह मे डाला और खाने ही वाला था कि;
आकांक्षा: पीछे! बदल ना... मुझे वो मेरा सीरियल देखना हैं. वो कलर्स लगा ना...ओह्ह...देख 10:12 हो रहे. आधा मिस भी हो गया होगा.
मे: अच्छा हैं! 
आकांक्षा: अर्रे!!! लगा ना..
मे: खुद ही लगा ले ना रिमोट से चेंज करके..
आकांक्षा: बट रिमोट तो तेरे पास हैं ना.!
मे: ओह्ह..यॅ! दट'स राइट! रिमोट तो मेरे पास हैं. तुझे याद हैं मतलब. सो, जस्ट शट दा फू..सी....!..
आकांक्षा: क्या???!! क्या बोला तू?
मे: कुछ नही.. खाना खा चुप चाप से.
आकांक्षा: मुझे पता हैं तू क्या बोला तो. इन बकवास शोज को तुझ जैसे बकवास लोग ही देखते हैं और ऐसी गंदी बाते करते हैं. छी!
मे: हाँ सही कहा तूने. तू मत देख. तू बच्ची हैं. जा अंदर जा.
आकांक्षा: शट अप! बच्ची नही मैं. सब समझता है मुझे.
जैसे ही आकांक्षा ये बोली मैने उसकी ओर देखा. हाँ! सही कहा इसने. बच्ची तो किसी भी आंगल से नही रही ये अब. जिस्म तो ऐसा भर रहा हैं इसका जैसे किसी 20 साल की लड़की का जिस्म हो. मैने एक नज़र डाली. आकांक्षा ने अपने पैर सोफे पर अपनी पालती मार के बैठी थी. जिस वजह से उसकी चड्डी ज़रा उपर सरक गयी थी और उसके गोरे चित्ते मुलायम सी जांघे मुझे सॉफ दिख रही थी. उसने प्लेट अपनी जाँघो पर रखे पिल्लो पर रखी थी और खा रही थी. तभी अचानक मुझे टीवी मे से ज़ोर ज़ोर से हँसने की आवाज़ आई तो मेरा ध्यान उधर गया. देखा तो सीन चल रहा था जिसमे चार्ली अपने बेडरूम मे एक बोहोत ही खूबसूरत और भरे हुए जिस्म वाली लड़की के साथ चुम्मा चाटी कर रहा हैं और उसीके बेडरूम मे नीचे आलन अपने नसीब को कोस रहा हैं कि हर रात को उसका भाई किसी जवान लड़की को ठोकता हैं और वो बेचारा हाथ से ही काम चलाता हैं. सीन मे लड़की रेड कलर की लिंगरीए पहनी थी जो उसके गोरे गोरे बदन पर बड़ी जच रही थी. कोई भी देख कर कह सकता था कि उसके बूब्स आटीस्ट 36 सी तो होगे ही. चार्ली उस लड़की के होंठो को चूस रहा था और उसका हाथ उस लड़की की कमर पर घूम रहा था.
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RE: vasna kahani बेनाम सी जिंदगी - by sexstories - 11-01-2018, 12:13 PM

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