vasna kahani बेनाम सी जिंदगी
11-01-2018, 12:13 PM,
#4
RE: vasna kahani बेनाम सी जिंदगी
मालिश करने वाला उस लड़की से उसका नाम, और उसकी उमर पूछता हैं. और 5 मिनट के कॉन्वर्सेशन के बाद वो लड़की अपने सारे कपड़े निकाल कर मसाज टेबल पर लेट जाती हैं. मालिश करने वाला धीरे धीरे उसके ऑलरेडी चिकने बदन पर हॉट आयिल लगाता हैं और फिर उसके कच्चे जिस्म की मालिश करने लगता हैं. बहुत ही एरॉटिक तरह से पिक्ट्यूवरिसेशन किया गया हैं मूवी का और लड़की की गान्ड देखते ही मैं अपने लंड की फॉरेस्किन को धीमे धीमे आगे पीछे करने लग गया. जैसे जैसे ही वो लड़की की गान्ड मेरी आखो के सामने दिखने लगी वैसे वैसे मैं स्पीड बढ़ाता गया. फिर ब्लोजॉब का सीन स्टार्ट हुआ और मैं अब महसूस कर पा रहा था कि मेरे लंड मे से अब ज़बरदस्त पिचकारी निकलने वाली हैं 


मैं और ज़ोर से मूठ मारने लगा और रफ़्तार बढ़ाने लगा. बस अब कुछ ही पल मे मैं झड़ने वाला था कि अचानक फोन बज उठा. मैं गुस्से मे लॅपटॉप नीचे रख कर फोन उठाने गया तो देखा किसी दोस्त का कॉल हैं. मैने कट कर दिया और फोन स्विच करने ही वाला था तो अचानक मुझे कुछ याद आ गया. मुझे यूथिका की याद आई. मैं तुरंत अपने लॅपटॉप मे वो फाइल सर्च करने लगा जिसमे मैने उसका नंबर सेव किया था. मैने अपना आल्टरनेट सिम फोन मे डाला. ये नंबर किसी के पास नही था. मेरे पेरेंट्स के पास भी नही. सिर्फ़ नेहा के पास. 15 मिनट सर्च करने के बाद मुझे वो फाइल मिली. मैने उसका नंबर टाइप किया और डाइयल करने से पहले 1 मिनट सोचा. 'अगर ये कोई ज़ोल वाला नंबर हुआ तो?'. काफ़ी सोचने के बाद मैने डिसाइड किया कि मैं कॉल नही करूगा. और मैने फोन रख दिया. लेकिन फिर से 5 मिनट मुझे आइडिया आया कि मैं उसे टेक्स्ट कर सकता हू. मैने तुरंत 'हाय!' टाइप करके सेंड कर दिया और मेरा दिल ज़ोर ज़ोर से धड़कने लगा कि अब क्या होगा? काफ़ी देर रुका मगर रिप्लाइ नही आया. मैने सोचा ज़रूर उस कमिनि ने रॉंग नंबर दिया होगा. मैने सिम निकाल कर मेरा रेग्युलर नंबर शुरू कर दिया और पॉर्न देख ने लगा. 6-7 मिनट मे ही मैं झड गया और मुझे कुछ देर मे नींद भी लग गयी

जब आख खुली तो देखा कि शाम के 7 बज रहे हैं. मैं झट से उठकर कपड़े पहने और फ्रेश होकर जिम चला गया. मैं हर रोज़ 2 घंटे वर्काउट करता हू. मुझे मेरी बॉडी को फिट रखना पसंद हैं. एक वक़्त था जब मैं 100 किलो का हुआ करता था और पिछले एक साल के कंटिन्यूस वर्क आउट की वजह से अब मैं बिल्कुल रिब्ब्ड हो गया हू. सिक्स पॅक नही आए अभी तक मगर अगले 6 म्नथ्स मे आ जाएगे. रात के 9 बजे के आस पास मैं घर पहुँचा. शूस निकाल कर शोेस्टंड मे रखे और किचन की और चला गया. 
मम्मी: आ गया?? 
मे: नही! अभी आने का बाकी हूँ. अभी तो आधा ही आया हू. बाकी का पीछे आता होगा अभी कुछ मिनट मे.
मम्मी: हा हा! वेरी फन्नी.. जा जाकर फ्रेश होज़ा. तू आज लेट आया और हम ने खाना खा लिया ऑलरेडी. टेबल पे ही रखा हैं. जाकर खाले. 
मे: ओके! 
इतना कह कर मैं मुड़ा तो मम्मी ने फिर आवाज़ लगाई.
मम्मी: अर्रे सुन! वो आकांक्षा को भी कह दे खाने के लिए. सोई थी शाम से. उठाकर कह दे कि खाना खा ले.
मे: उन्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह..! मुझे क्यू कह रहे हो तुम? 
मम्मी: जा बोला ना.. बेहन हैं तेरी.
मे: हाँ पता हैं.. पिछले जन्मो का पाप हैं.
मैं किचन से निकल कर सीढ़िया चढ़ने लगा. अपने रूम मे एंटर होने ही वाला था कि मुझे याद आया. मैने आकांक्षा के रूम का दरवाजा नॉक किया और ज़ोर से चिल्लाकर बाहर से ही कह दिया,
मे: मम्मी ने खाना खाने के लिए बुलाया हैं. खाना हो तो नीचे जा. वैसे कंपल्सरी नही हैं.
इतना कह कर मैं अपनी रूम मे चला गया. फट से मूह हाथ धोया. शवर तो जिम मे ही ले लेता हू मैं. तो सिर्फ़ चेंज करना था मुझे. शॉर्ट्स न्ड टी शर्ट डाली और मैं नीचे जाने के लिए रूम मे से निकला. थोड़ा ही आगे बढ़ा होउंगा तो मैने देखा कि आकांक्षा अब भी रूम मे ही थी. और इस बार उसने कोई उल्टा जवाब भी नही दिया. मुझे अजीब लगा कि आज इसने अपनी चोच कैसे बंद रखी.. मैने फिर से उसके दरवाजे पर नॉक किया
मे: सुनाई नही आया क्या मेडम? आकर खाना खा ले. रात को गड्ढे नही खोदती तू जो इतना सो रही है. खाना खा ले और सो जितना सोना हैं.
मैं कुछ सेकेंड्स तक दरवाजा खुलने का वेट करने लगा. फिर भी आकांक्षा कुछ नही बोली. मुझे बड़ा अजीब लगा. मैने 2-3 बार और नॉक किया. नो आन्सर!! मैं थोड़ा परेशान हो गया. मैने एक और बार आवाज़ लगाई,"आकांक्षा!!??". फिर भी कोई जवाब नही आया. फाइनली मैं डोर खोल कर अंदर चला गया. आकांक्षा के रूम मे आज मैं कयि सालो बाद आया था. रूम मे अंदर आते ही मुझे खूशबू आने लगी. स्ट्रॉबेरी की. मुझे स्ट्रॉबेरी ना पसंद होने का एक और रीज़न ये भी हैं कि मेरी बेहन का वो फॅवुरेट फ्रूट हैं. मैने रूम मे नज़र घुमाई.नाइट लॅंप ऑन था.सब कुछ पिंक पिंक था. पर्दे, कप-बोर्ड्स,शेल्फ, पिल्लोस, बेड, टेबल, उसका ड्रेसर,ब्लंकेट, आकांक्षा की शॉर्ट्स.. हुहह?? आकांक्षा की शॉर्ट्स??? मेरी नज़र बेड पर सोई हुई आकांक्षा पर पड़ी. वो पेट के बल सोई थी. अब मेरी उल्लू बेहन सोती भी जानवरों जैसे हैं. एक हाथ कही तो दूसरा कही, दोनो पैर अलग अलग डाइरेक्षन मे. मेडम का लेफ्ट लेग लंबा नीचे की ओर फैला था और राइट लेग फोल्डेड था. और ब्लंकेट तो उसका कभी भी सही तरीके से नही रहता. या तो ज़मीन पर पड़ा होता हैं या फिर बेड पर ही कही कोने मे. अभी भी उसका ब्लंकेट उसके अंकलेस तक नीचा आ गया था. 

मेरे सामने वो बेड पर सोई थी और आज पहली बार, बिना कुछ सोचे मैने ऐसा कुछ देखा जो आज तक कभी ना देखा. आकांक्षा की गान्ड! उसके गोरे चिट और टोटली वॅक्स्ड टाँगे देख कर मैं हक्का बक्का रह गया. ऐसे जैसे जादू सा देख लिया हो. जैसे जैसे मेरी नज़र उसकी टाँगो से उपर जा रही थी मेरे दिल की धड़कन बढ़ने लगी थी. आज तक मैने इस बात पर कभी गौर नही किया था कि मेरी बेहन अब जवान हो गयी हैं. मैं उसकी नंगी टाँगो को इस तरह से घूर रहा था मानो कोई पिंजरे मे बंद इंसान उसके सामने रखे हुए टेबल के उपर पड़े हुए खाने को घूर रहा हो. वो उसे देख तो सकता हैं मगर छू नही सकता. मेरी नज़र आकांक्षा की चिकनी टाँगो पर से अब धीरे धीरे उपर सरक रही थी. मानो उन मखमली जाँघो पर मैं फिसल रहा हू ऐसी मुलायम स्किन थी उसकी. आकांक्षा के पर्फेक्ट, राउंड कॅव्स, उसके उपर से ही शुरू होने वाली उसकी स्मूद मांदी! नही मोटे और बड़े और ना ही दुबले-पतले से! बिल्कुल पर्फेक्ट. और फाइनली, उसकी खूबसूरत गान्ड पर मेरी नज़र पड़ी. उसके दोनो पैर फैले हुए होने की वजह से आकांक्षा की चड्डी का कपड़ा खीच सा गया था और उसकी मुलायम गान्ड पर बिल्कुल टाइट तरह से चिपक गया था. जिसस वजह से मैं सॉफ सॉफ मेरी छोटी बेहन की गान्ड देख पा रहा था. वो पिंक शॉर्ट्स तो बस नाम के लिए ही थी. असल मे तो ऐसा लग रहा था मानो आकांक्षा की गान्ड गुलाबी ही हैं. स्मूद न पिंक! मैं थोड़ा और करीब चला गया. नशे मे होऊ ऐसी हालत मे था मैं उस वक़्त. मुझे कुछ महसूस हुआ. मैने नीचे देखा और नज़ारा सॉफ था. मेरा लंड पूरी तरह से खड़ा हो चुका था और मेरी शॉर्ट मे तंबू खड़ा हो गया था. लंबा सा तंबू. मैने अपनी नज़र दोबारा से आकांक्षा की खूबसूरत गान्ड पर टिका दी. उसकी गान्ड इतनी उभरी हुई थी कि मैं उसकी कमर का नीचे का हिस्सा भी नही देख पा रहा था. ना जानते हुए ही मेरे कदम आगे बढ़ने लगे. मैं मेरे सामने सोई हुई उस कमसिन लड़की की ओर खिंचा चला जा रहा था. मैं ये भूल गया था कि अभी मेरे पेरेंट्स दोनो घर मे हैं, या मैं कभी भी पकड़ा जा सकता हू,या सबसे इंपॉर्टेंट, वो लड़की जिसके जिस्म को मैं अपनी आखो से नंगा कर रहा हू,मेरी सग़ी,छोटी बेहन हैं. इस वक़्त वो जिस्म मेरी बेहन का नही था. अब वो जिस्म एक 16 साल की, गोरी-चिकनी सी,जवान और सुंदर लड़की का था जिससे मैं बुरी तरह से चोदना चाहता था.
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RE: vasna kahani बेनाम सी जिंदगी - by sexstories - 11-01-2018, 12:13 PM

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