RE: Hindi Porn Kahani अदला बदली
अब इतना कहकर सलमान ने शालू की चूत में२ ऊँगली डाल दी और वो आह कर उठी,फिर वो बोला: यार मेरे से अब रहा नहीं जा रहा, मुझे शालू को अभी चोदना है,बाक़ी की कहानी बाद में। फिर वो शालू को उठाके बग़ल के रूम में के गया ।वहाँ पूरे कमरे में ज़मीन में गद्दे बिछे थे, और उसने शालू को लिटाया और उसके ऊपर आकर उसकी चूत में अपने लंड को आधा एक ही धक्के में डाल दिया।शालू मस्ती और दर्द से चिल्लायी: अंकल आराम से । वी हँसते हुए एक और धक्का मारा और पूरा लंड उसकी चूतमें घुस गया, फिर उसने धुँआधार चूदाइ शुरू कर दी।तबतक राज भी रूबी को लेकर कमरे में आया और अपनी बेटी के बग़ल में रूबी को लिटाकर उस पर चढ़ गया और उसको चोदने लगा।शिवा कहाँ पीछे रहने वाला था, उसने भी अपनी बेटी के बग़ल में नूरी को लिटाया और उसको पूरी ताक़त से ठोकने लगा।कमरा तीनों लड़कियों की आऽऽऽहहहह हाऽऽयय्यय और मर्र्र्र्र्र गायीइइइइइइ की आवाज़ों से भर गया था। थपप्प फ़छ् की आवाज़ भी सबको गरम कर रही थी।तीनों लड़कियाँ अपनी कमर उछाल कर चूदाइ का भरपूर मज़ा ले रहीं थीं और पक्की रंडिया लग रही थीं।फिर एक एक करके सब झड़ गए और वहीं लेते रहे। शालू ने तो करवट ले ली और सो गयी।
फिर राज बोला: यार कहानी चालू करो सलमान भाई।
नूरी बोली: ये तो मेरी ही कहानी है, इसलिए मैं भी सोती हूँ,आप लोग सुनो। फिर वो भी शालू के बग़ल में सो गयी।
अब तीनों मर्द और रूबी एक कोने मेंलेट गए और सलमान ने कहानी शुरू की,रूबी बीच में लेती थी राज और शिवा उसकी जाँघें सहला रहे थे और सलमान ने उसका सर अपनी गोद में रख लिया था और वो उसकी छाती, गाल और पेट सहला रहा थ।
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सलमान ने आगे बोलना शुरू किया:
नज़ीर और नूरी की सुहागरत के बाद मैंने उनका सारा समान बंगलोर भेज दिया और वो दोनों कुछ दिन मेरे पास रह कर बंगलोर चले गए।मैं फिर अपने नोर्मल काम और चूदाइ मेंव्यस्त हो गया।मैं अब भी नग़मा को सलमा की चूत दिलवाने को बोलता था, पर वो टाल जाती थी। ख़ैर ऐसे ही दिन कट रहे थे कि एकदिन नज़ीर का फ़ोन आया कि उसको अमेरिका जाना होगा २ साल के लिए और नूरी को वीज़ा मिलने तक उसको मेरे साथ रहना होगा,वो भी चाहती है कि इसी बहाने वो आपकी सेवा कर लेगी।मैंने कहा ठीक है।
फिर वो दोनों वापस आ गए और ३ दिन बाद नज़ीर को अमेरिका जाना था। रात को मुझे प्यास लगी तो मैं किचन में गया और पानी पीकर वापस आने लगा तो मुझे कुछ घुटी हुई सी आवाज़ आइ तो मैं समझ गया कि बच्चे चूदाइ में मस्त होंगे,तभी नूरी की हल्की से चीख़ने की आवाज़ आइ जैसे वो लड़ रही हो।मुझे थोड़ा अजीब लगा और उत्सुकता वश मैं एक खिड़की के पास आकर अंदर की आवाज़ सुनने लगा, उधर नूरी नज़ीर को किसी बात के लिए मना कर रही थी, पर शायद वो मान नहीं रहा था।अब मुझसे रहा नहीं गया और मैंने अंदर पर्दा हटाने झाँका।अंदर का दृश्य जैसे मुझे स्तब्ध कर गया, नूरी पूरी नंगी पीठ के बल लेती हुई थी। उसका साँचें में ढला बदन बहुत ही कामुक दिख रहा था,और नज़ीर अपना खड़ा लंड अपने हाथ से मसल रहा था, और उसको उलटा होने को बोल रहा था।वो मना कर रही थी।फिर वो बोली: मुझे ये समझ नहीं आता की आपको सामने से ज़्यादा पीछे से करने में क्यों ज़्यादा मज़ा आता है? और मुझको पिछवाड़े मेंबहुत दर्द होता है। नज़ीर बोला: मैंने कल तो तुम्हारी चूत मारी थी आज गाँड़ मरवा लो।नूरी: मुझे नहीं मरवानी हैं गाँड़, मुझे बहुत दुखता है।नज़ीर भी ज़िद पर अड़ा था, मुझे बड़ा अजीब लगा, मैं भी गाँड़ प्रेमी हूँ पर मैंने हमेशा रज़ामन्दी से ही गाँड़ मारी है,ऐसी ज़बरदस्ती कभी की ही नहीं।ख़ैर थोड़ी देर के बाद नज़ीर ने हार मान कर उसकी चूतमें लंड डाल दिया और सिर्फ़ १० मिनट चोदने के बाद वो झड़ गया।मुझे लगा कि शायद नूरीतृप्त नहीं हुई थी,पर मैं पक्का नहीं कह सकता था। बाद मेंमुझे अपने पर शर्म आइ किमैंने अपने बच्चों की चूदाइ देखी।
अब दिन मेंभी मैंने ग़ौर किया की नूरी और नज़ीर मेंउतना प्यार नहीं है जितना उसकी माँऔर मुझमें था शादी के बाद।ख़ैर अब मुझे भी चस्का पड़ गया था और रात को मैं फिर उनकी चूदाइ देखने पहुँच गया। आज नूरी गाँड़ मरवाने को मान गई।अब वो चौपाया बन गयी और उसके उठे हुए नितम्बों को देखकर मैं भी पागल हो गया और फिर नज़ीर ने थूक लगाके उसकी गाँड़ मारनी शुरू किया और क़रीब दस मिनट तक नूरी कराहती रही और वो उसकी गाँड़ में झड़ गया।
मुझे आज भी लगा की नूरी को मज़ा नहीं आया है।अगले दिन नूरी लँगड़ा कर चल रही थी। मैंने अनजान बनकर पूछा : बेटी क्या हुआ लँगड़ा क्यों रही हो, वो बोली डैडी कुछ नहीं बाथरूम में पैर फिसल गया था, मैं बोला बेटी वहाँ दवाई लगा लो। ऐसा बोलते हुए उसकी गाँड़ की सूजन का सोचके मेरा लंड खड़ा होने लगा।अब तक मैं नूरी के बदन का दीवाना हो चुका था और उसके नाम की मूठ मार लेता था।
फिर नज़ीर चला गया और नूरी मेरे पास रहने लगी, उसके यहाँ रहने के कारण मैं नग़मा को घर नहीं ला सकता था और मेरी चूदाइ बन्द थी, और मेरा ठरकी लंड मुझे तंग कर रहा था।दिन मेंघर में हरसमय सजी धजी नूरी दीखाई देती थी और मुझे उसका नंगा बदन याद आता था।इस बीच में उसकी माँ और उसकी मौसी यानी मेरी नग़मा भी उससे मिलने आयीं और मेरा लंड और गरम कर गयीं।कुछ दिन बाद मैं पानी लेने किचन मेंगया और फिर मुझे नूरी के कमरे से अजीब सी आवाज़ आ रही सुनाई दी। मैंने खिड़की से झाँका और सन्न रह गया।नूरी ने अपना गाउन अपनी छाती से भी ऊपर उठा रखा था और अपनी छातियाँ मसलते हुए अपनी चूत मेंऊँगली कर रही थी और सिसकारियाँ भर रही थी। क़रीब १५ मिनट तक वो अपनी चूतके दाने को सहलाती और उँगली अंदर बाहर करती रही और फिर एक घुटी हुई चीख़ के साथ वो झड़ गयी।मुझे को काटो ख़ून नहीं।अपनी प्यारी बहू की नंगी जवानी देख कर मैं सब रिश्ते भूल गया और उसको चोदने का मन बना लिया।कमरे में आके मैंने मूठ मारी, और सो गया।
अगले दिन मैं जानबूझकर बिस्तर पर पड़ा रहा, नूरी ने देखा की मैं सुबह की चाय भी नहीं पीने के लिए बाहर आया हूँ तो वो कमरे के दरवाज़े को खटखटाई और बोली: डैडी आप ठीक तो हैं। अभी तक बाहर नहीं आए?
मैं : बेटी शरीर दुःख रहा है, बुखार सा लग रहा है।
वो बोली: मैं अंदर आ जाऊँ?
मैं: हाँ बेटी आ जाओ।
वो अंदर आके मेरे पास आयी,उसने रात वाला गाउन पहना था,वो झुक कर मेरे माथे पर हाथ रखी और बोली: डैडी बुखार तो नहीं लग रहा है आपको।उसके झुकने से उसकी गोलायियाँ मुझे गाउन से दिखने लगी और मेरा लंड तनने लगा।फिर वो बोली: डैडी चाय यहीं ला देती हूँ, और बाहर जाने लगी। मैंने उसके मस्त नितम्बों को देखा और आह कर उठा।वो थोड़ी देर बाद चाय लायी और साइड टेबल पर रख दी। मैंने ऐसे नाटक किया जैसे उठने में भी कष्ट हो रहा हो,फिर उसने मुझे सहारा देने के लिए मेरे सर के पीछे हाथ रखा और मुझे उठाने की कोशिश करने लगी। कहाँ वो नाज़ुक कली और कहाँ मैं भैंस जैसा मर्द,पर मैंने उठने का नाटक किया और उसकी छातियाँ मेरे मुँह से भीड़ गयीं।वो हड़बड़ाके पीछे हुई,तब तक मैं बैठ गया था और फिर उसने मुझे चाय दी।फिर वो मेरा सर दबाने लगी, मैंने उसे बिस्तर पर बैठने का इशारा किया और उसके बैठते ही उसके कुल्हे मेरे बदन से टकरा गए। आह कितने नरम थे उसके कुल्हे। मेरा लंड अब तन गया था, उसको छिपाने के लिए मैंने अपने घुटने मोड़ लिए।उसके बदन से उठने वाली ख़ुशबू जैसे मुझे पागल कर रही थी।फिर वो बोली:डैडी नज़ीर का फ़ोन आया था, आपके बारे में पूछ रहे थे, मुझे बोले किडैडी का पूरा ध्यान रखना। मैंने कहा की हाँ और आज ही देखिए आप अपनी तबियत ख़राब करके बैठ गए। मैं बोला: अरे बेटी कुछ नहीं हुआ है, तुम्हारी सेवा से मैंअभी ठीक हो जाऊँगा, तुम्हारी हाथ की चाय और ये जो मेरा सर दबा रही हो मुझे अच्छा लग रहा है,बस अब सिर्फ़ पीठ का दर्द है, वो भी ठीक हो ही जाएगा। वो फ़िक्रमंद होकर बोली: आप उलटे लेट जायीये मैं पीठ भी दबा देती हूँ।मैं उलटा लेट गया और वो मेरी पीठ दबाने लगी।मैंने कहा बेटी ज़रा कुर्ता उठा के दबा दो।वो थोड़ा झिझकी पर उसने कुर्ता ऊपर किया और उसके नर्म हथेलियों के स्पर्श से मेरे नीचे दबा लंड जैसे टूटने को आ गया।अब वो बोली: डैडी आराम मिला क्या? मैं बोला: हाँ बेटी बहुत अच्छा लगा पर ज़रा नीचे करो वहाँ ज़्यादा दुःख रहा है।उसका हाथ नीचे गया और मेरे चूतरों तक पहुँचने के पहले रुक गया। अब वो मेरी पीठ से लेकर मेरे चूतरों के पहले तक ही दबा रही थी, जब उसका हाथ नीचे को जा रहा था और मेरे चूतरों के पहले रुकने वाला था मैं बोला: आह बेटी थोड़ा और नीचे तक जाओ।इसका मतलब साफ़ था कि उसको मेरी चूतरों के दरार में हाथ डालना पड़ेगा।मैंने अपनी कमर उठाके कहा : बेटी थोड़ा पजामा नीचे कर लो।अब मैंने साइड मेंलगे शीशे मेंउसके चेहरे पर उलझन के भाव देखे और फिर उसने पजामा नीचे किया अब मेरी चूतरों की दरार उसके सामने थी,उसने अपना हाथ धीरे से नीचे किया और उसका हाथ मेरी दरार में चला गया। मैंने कहा: हाँ यहीं और थोड़ा नीचे यहीं तक दर्द है। वो थोड़ा हिचकते हुए अपना हाथ नीचे मेरी गाँड़ के ठीक पहले तक ले गयी, मेरे उस हिस्से मेंबहुत बाल थे, वो बोली: डैडी आपके शरीर मेंकितना बाल है।सब जगह बाल ही बाल है। मैंने कहा: अरे बेटी मर्द के शरीर में तो बाल होता ही है, नज़ीर के बदन मेंनहीं है। वो शर्मा कर बोली: जी है तो पर इतना नहीं। तभी बात करते हुए उसका हाथ बेध्यानी मेंमेरी गाँड़ के छेद को छू गया। मैंने देखा कि वो काँप उठी थी।मैंने भी जानबूझकर आह की आवाज़ निकाली। वो बोली: डैडी क्या हुआ? मैं बोला: वो बेटी तुम्हारा हाथ मेरी गा-- मतलब मेरी नीचे वाले छेद में छू गया और वो जगह बड़ी सेन्सिटिव होती है ना, इसीलिए आह निकल गयी। वो शर्मा गयी और बोली: सारी डैडी वो ग़लती से हाथ वहाँ छू गया। मैं बोला: अरे बेटी तो क्या हुआ,मुझे तो बहुत अच्छा ही लगा, पर वो क्या है ना पता नहीं तुमको शायद गंदा लगा होगा, वहाँ छूना।मैंने जानबूझकर बात को आगे बढ़ाया। वो बोली: नहीं डैडी ऐसा कुछ नहीं,वो मेरा मतलब है की मेरा हाथ ग़लती से वहाँ लग गया था।मैं बोला: बेटी फिर क्या हुआ,थोड़ा सा और दबा दो फिर शायद मैं ठीक हो जाऊँगा।नीरू ने फिर से मेरी पीठ दबानी शुरू की और उसका हाथ इस बार गाँड़ के छेद से पहले ही वापस हो गया, पर मैं भी मस्ती मेंथा, मैंने ज़ोर से खाँसने का नाटक किया और अपने बदन को ऊपर खिंच लिया अब उसका हाथ फिर से मेरी गाँड़ जे छेद पर आ गया।अब वो थोड़ी सी असमंजस की स्तिथि मेंथी।उसका हाथ अभी भी मेरी गाँड़ पर ही था।मैंने अपनी कमर ऊपर नीचे करके उसका हाथ अपनी गाँड़ पर रगड़ लिया।फिर वो होश मेंआइ और उसने अपना हाथ बाहर निकाल लिया।अब वो अभी आती हूँ कहके चली गयी। उसकी छातियाँऊपर नीचे हो रही थी।मैं समझ गया था कि वो उत्तेजित हो गयी है। यही तो मैं चाहता था।
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