RE: Hindi Porn Kahani अदला बदली
सुबह जब मेरी आँखें खुली तो मुझे रात की बातें याद आयीं, और फिर याद आया की मुझे फिर से टॉलेट का प्रेशर आ रहा था। मैं हॉल में आइ , वहाँ पापा चाय पी रहे थे और अख़बार पढ़ रहे थे, मेरी तरफ़ देखकर मुस्कराए और बोली- अब हाथ कैसा है? मैं बोली- जी वैसा ही है। वो बोले- धीरज रखो, ठीक हो जाएगा। मैं बोली- पापा नौकरानी का कुछ करिए ना प्लीज़। वो बोले- मैंने अपने दोस्तों को बोला है, फ़ोन ,पर वो ट्राई कर रहे हैं, जल्दी ही कोई ना कोई मिल जाएगी।
मैं बोली- मुझे टोयलेट जाना है, वो बोले चलो, और फिर मैं उनके साथ टोंयलेट पहुँची, वहाँ पहुँचकर उन्होंने मेरी nighty कमर तक उठा दी और मेरी पैंटी नीचे कर दिए, फिर मैं सीट पर बैठ गयी, और वो अपने पैंट के तंबू को अजस्ट करते हुए बाहर चले गए, मैंने अपना काम शुरू किया, निपटने के बाद मैंने पापा को आवाज़ दी, वो अंदर आए और मुझे उठने को बोले, फिर मेरे पीछे आकर उन्होंने स्प्रे से मेरी चूत और गाँड़ की सफ़ाई किए, फिर तौलिए उन्होंने मेरी चूत और गाँड़ को सुखाया और पैंटी पहनाकर और nighity नीचे कर के हम बाहर आ गए। पापा की हाफ़ पैंट का उभार साफ़ दिख रहा था ।
फिर पापा ने मुझे चाय बनाकर पिलायी अपने हाथ से। फिर मैंने पापा से T V चालू करने को कहा, TV देखते हम दोनों परेशान हो गए, उसमें दिखा रहे थे कि शहर में दंगे हो गए हैं और कर्फ़्यू लग गया है।पापा बोले- ओह, बेड़ागरक, अब नौकरानी कहाँ से मिलेगी? मैं भी नर्वस होकर बोली, हाँ पापा अब तो कोई चान्स नहीं, अब हम क्या करेंगे? पापा बोले- बेटी, अब देखते है करफ़्यू कब तक खुलता है? तब तक तो हम दोनों ऐसे ही काम चलाना पड़ेगा। मैं बोली- पर पापा मुझे नहलाएगा कौन? पापा कुछ करो ना, प्लीज़। पापा बोले- बेटी, अब तुम बताओ क्या करूँ, इस समय नौकरानी कहाँ मिलेगी? मैं रुआंसी हो गई, मुझे उदास देखकर पापा मेरे पास आए और मेरे सर पर हाथ फ़ेरते हुए बोले- मैं हु ना, सब ठीक हो जाएगा। मैंने फीकी सी मुस्कान से कहा - जी पापा।
उस दिन पापा को भी ऑफ़िस तो जाना नहीं था , क़रीब २ घंटे ke बाद पापा बोले, चलो अब नहा लो। मैं तो शर्म se गड़ गयी, कैसे पापा के सामने नंगी हो पाऊँगी और कैसे ये सब होगा?
मैं और पापा बाथरूम में पहुँचे, वहाँ जाकर पापा ने मेरी nighty उतार दी , अब मैं ब्रा और पैंटी में थी , फिर पापा ने मुझे घुमाया और मैंने शीशे में देखा की, वो मेरे चूतरों को देखकर अपना लंड दबा रहे हैं,मैं शर्म से लाल हो गयी। फिर उन्होंने ब्रा का हुक खोल दिया, मैं बोली- पापा इसकी क्या ज़रूरत है? वो बोले- बेटी, सफ़ाई सभी अंगों की होनी चाहिए।मेरी ब्रा उतारने के बाद वो सामने आए और मेरे शरीर से ब्रा के कप उतार दिए, अब मेरे बड़े बड़े अनार सी चूचियाँ उनके सामने थीं, वो उनको देखकर मस्त हो रहे थे। फिर वो नीचे झुक कर मेरी पैंटी भी उतार दी, अब मैं पूरी नंगी थी पापा के सामने।अब पापा ने मुझे हाथ ऊपर करने को बोला, ताकि पानी ना गिर जाए मेरी पट्टियों पर।फिर उन्होंने बालटी से पानी निकलकर मेरे शरीर में डालना शुरू किया,और फिर साबुन लेकर मेरे कंधों और गले में साबुन लगाना शुरू किया। मैंने देखा उनकी हाफ़ पैंट एक तरफ़ से पूरा उठ गया था। तभी एक हाथ से उसको दबाया।ये देखकर मेरी चूत गीली हो गयी ।फिर उनका हाथ साबुन लगते हुए मेरे चूचियों के पास आया पर उन्होंने वहाँ साबुन नहीं लगाया और पेट की तरफ़ साबुन मलने लगे। फिर वो नीचे बैठ गए,और मेरी टांगों और जाँघों पर साबुन लगाने , अब उनका मुँह ठीक मेरी चूत ke सामने था।फिर उन्होंने मेरे घूमने ke लिए बोला, मैं घूम गयी, अब मैंने शीशे में देखा कि वो मेरे मोटे गोल गोल चूतरों को देख rahe थे और उन्होंने मेरे चूतरों पर साबुन लगाया और मुझे लग रहा था कि वो वहाँ ज़रा ज़्यादा ही देर साबुन लगा रहे थे। fir उन्होंने मेरी चूतरों की दरार में साबुन लगाया और गाँड़ के छेद में भी बहुत देर तक साबुन लगाया ।मेरे आह निकल गया, वो बोले- बेटी, दुखा क्या? मैंने शर्माकर ना में सर हिलाया।फिर वो खड़े होकर मुझे फिर से घुमा लिया । अब वो मेरी चूचियों पर साबुन लगाने लगे और मेरे अंदर कुछ कुछ होने लगा,उधर पापा मेरी चूचियों पर ज़ोर ज़ोर से दबाते हुए साबुन लगाने लगा । फिर वो नीचे बैठ गए ख़ूब सा साबुन लिया और मेरी चूत में लगाने लगे। मेरी आँखें मस्ती से बन्द होने लगी। मैंने अपनी टाँगें चौड़ी किया और उनको पूरी आज़ादी दी चूत मसलने की। अब मेरे मुँह से आह, मर गयी,और उफ़्फ़ जैसी आवाज़ें आने लगी।पापा कहा, सब ठीक है ना? मैंने हाँ में सर हिला दिया ।फिर वो खड़े हो गए और उन्होंने पानी डालना शुरू किया और mere शरीर के हर अंग को साबुन निकालने के साथ मसल दिया। मेरी चूत अब पानी छोड़ने वाली थी। फिर वो तौलिया से मेरे पूरे शरीर को पोंछने लगे।और इसके बहाने भी मेरे दूध दबाए। और मेरा वहीं स्खलन शुरू हुआ और मैं आँख बंदकर दोनों टांगों चिपकाकर झड़ने लगी।फिर मैं काँप रही थी, तब पापा ने मुस्कुराते हुए मुझे सहारा दिया और कमरे में ले आए, कपड़े पहनाने के लिए।
पापा मुझे तौलिया लपेटकर मेरे कमरे में लाए और मेरि अल्मारी से एक छोटा सा गाउन निकाला और मेरे पास आकर बोले- बेटी, तुम्हें अभी कुछ दिन पैंटी मत पहनो, क्योंकि तुम्हें टॉयलेट जाने के लिए बार बार पैंटी खोलनी पड़ती है। मैं शर्म से सर हिलाकर हाँ बोल दी।अब वो ब्रा निकालकर लाए और मेरी दोनों चूचियों पर रखकर वो पीछे गए और क्लिप लगा दिए। फिर वो गाउन मुझे पहना दिया ।मुझे कुछ अच्छा लगा की आख़िर मेरी नग्नता छिप गयी। अब पापा बोले कि मैं भी नहा लेता हूँ और अपने कमरे में चले गए। उस दिन दिन भर मैं TV देख रही थी कि करफ़्यू कब ख़त्म हो और कब कोई नौकरानी मिल जाए। इस तरह दिन में कई बार पापा ने मुझे नंगा देखा और कई बार मेरी चूत और गाँड़ सहलायी, अब तो तौलिए पोछने के बाद हाथ से भी सहलाते थे, ये कहकर की चेक कर रहे है कि अभी भी कहीं गीला तो नहीं है। और मेरे मुँह आह निकल जाती थी, पूरा शरीर गुदगुदी से भर जाता था। अगले दिन फिर नहाने के समय वो पहले से ही उत्तेजित लग रहे थे। उन्होंने मुझसे कहा- बेटी तुम्हें नहाने में , मैं ख़ुद गीला हो जाता हूँ, इसलिए मैं भी अपनी बनयान उतर देता हूँ, अब उनकी मर्दानी चौड़ी छाती मेरे सामने थी, सच पापा बहुत मस्कूलर थे। फिर वो अपनी हाफ़ पैंट भी उतार दी और चड्डी में क़ैद उनका लंड बुरी तरह से फूला हुआ दिख रहा था, उसे देखकर मेरी चूत गीली हो गयी। मुझे लग रहा थी कि आज कुछ होने वाला है, और मैं काँप उठी।फिर उन्होंने मेरा गाउन उतार दिया और फिर ब्रा भी खोल दिया।मैंने शीशे में देखा की मैं पूरी नंगी, और पापा अपनी चड्डी में अपने लंड को उभारे हुए खड़े हुए मेरी गोल गोल चूचियों कोघूर रहे थे । फिर मेरे पास आए और बोले- बेटी, पानी डाल रहा हूँ, और मेरे शरीर में पानी डालने लगी और मेरे पीछे से सट गये उनका चड्डी में फँसा लंड मेरी चूतरों पर टक्कर मार रहा था,और मैं एक नयी गुदगुदी भर उठी थी। फिर वो पानी डालने लगे और उनका लंड मेरे चूतरों के बीच धँस गया। फिर वो साबुन लगाने लगे, और जब मेरी चूचियो पर लगाया तो वह बहुत ज़ोर se दबाने लगे और पहली बार मेरे निपल्ज़ को भी मसलने लगे ।मेरी आह और उफ़्फ़ निकालने लगी। फिर पापा ने मेरी चूत में भी साबुन लगाया और छेद के अंदर भी उँगली करने लगे। फिर वो पीछे मेरी चूतरों को मसलने लगे और गाँड़ के छेद पर भी हाथ फेर रहे थे। थोड़ी देर बाद मुझे पूरी तरह se मसलकर वो भी बहुत गरम हो गए थे, फिर तौलिए से पोछते हुए वो मेरा शरीर दबाने लगे।अब मैं भी मज़ा ले रही थी, तभी पापा बोले, बेटी, आज तुम्हारी माँ की बहुत याद आ रही है ,क्या मैं तुम्हारी छातियों को थोड़ा सा प्यार कर लूँ? मैंने हैरानी से पापा को देखा और कहा- पापा ये तो ग़लत होगा ना? पापा- बेटी, आज मैं तुम्हें एक आदमी की नज़र से देख रहा हूँ और एक हसीन जवान लड़की को देख रहा हूँ ।बोलो, क्या मैं तुम्हारी छातियों प्यार कर लूँ?
मैं- पापा अगर किसी को पता चल गया तो ?
पापा- ये तो हम दोनों के बीच की बात है, अगर हम किसी को नहीं बताएँगे तो किसी को भी पता नहीं चलेगा। ऐसा बोलते हुए वो मेरी चूचियाँ दबाने लगे, और मेरेपास आए और अपने लंड को मेरी चूत से सटा दिया। मैं काँप उठी, फिर पापा मेरी आँखों में झाँक कर बोले- तुम्हारे होंठ चूम लूँ? और मेरे होंठों पर अपने होंठ रख दिए, मैंने भी उनको समर्पण कर दिया और वो मेरे होंठों का चुम्बन लेने लगे और मेरे मुँह में अपनी जीभ डाल दी।मेरे शरीर में आग लग गयी।वो भी मुझसे चिपक गए और मेरी चूतरों को दबा दिए।और फिर झुक कर मेरी चूचियाँ चूसने लगे।अब मेरे पाओं काँपने लगे , मैंने पापा को बोला तो वो बोले, चलो तुमको बिस्तर पर लेता दूँ, ताकि तुम आराम से लेट सको। फिर वो मुझे गोद में उठाकर अंदर गए aur बिस्तर पर लिटा दिया और मुझे देखते रहे, फिर बोले, मैं भी शॉवर लेकर आता हूँ ५ मिनट में। फिर वो थोड़ी दे तौलिया लपेट कर आए नहा कर, और फिर मेरे पास आकर अपना तौलिया उतार कर फेंक दिया। मेरी तो जैसे साँस रुक गयी, उनका खड़ा लम्बा मोटा लंड बहुत सुंदर लग रहा था और ऊपर नीचे हो रहा थ।, उसके नीचे उनके बड़े बॉल्ज़ भी बहुत मादक लग रहे थे। मेरी तो आँखें जैसे वहाँ से हट ही नहीं रही थी। वो बोले- बेटी, पसंद आया ? मैं शर्माकर अपना मुँह फेर ली। फिर वो मेरे ऊपर आ गए, और मेरे होंठों चूसने लगे।
पापा ने मेरे होंठों को चूसना शुरू किया, और उनका हाथ मेरी छातियों पा आ गया और वो उसे मज़े से दबाने लगे ।मैं भी उनसे लिपट गयी और भूल गयी की मेरे हाथ मैं पट्टी है,मेरी चीख़ निकल गयी, वो चौंक के उठे और समझ गए की मुझे हाथों में दर्द हो रहा है।वो उठे और अल्मारी से दो रस्सी निकाल कर लाए। फिर उन्होंने मेरा हाथ रस्सी से पलंग के सिरे पर बाँध दिया । वो बोले, तेरी माँ मुझे ऐसे ही बाँध देती थी, और फिर मुझे तंग करती थी और फिर मुझ पर चढ़ कर मज़ा लेती थी। पर आज ये मैंने तुमने चोट से बचाने के लिए बांधा है ।फिर वो मेरे चूचियाँ मुँह में लेकर चूसने लगे। मैं तो बहुत गरम हो गयी और मेरी चूत पूरी रस से भर रही थी। फिर पापा ने मेरे पेट को चूमना शुरू किया और नाभि में जीभ फिराने लगे।और नीचे आकर उन्होंने मेरी जाँघें चाटनी शुरू कीं, मेरे मुँह से आह निकल गयी । फिर वो ऊपर आए और मेरी जाँघों को फैलाया और उसमें अपनी उँगलियाँ फिराने लगे, मेरी सिसकी निकल गयी, फिर वो मुट्ठी में लेकर मेरी चूत दबाने लगे। मेरी तो जैसे जान ही निकल गयी। फिर उन्होंने अपना मुँह मेरी जाँघों के बीच डाल दिया , और मेरी चूत को चूमने और चाटने लगे। मैं तो ५ मिनट में ही झड़ने लगी, पापा ने मेरी चूत से निकल हुआ पूरा रस पी लिया । और जब वो अपना मुँह वहाँ से बाहर निकाले , तो उनका पूरा होंठ और गाल गीले थे। उन्होंने तौलिए से अपना मुँह साफ़ किया और बोले- मज़ा आया ,हमारी जान को?
|