RE: Maa Sex Kahani माँ का और सेक्स एडवेंचर
मोम स्माइल करती बोली- “वो तो पहले दिन ही चला गया था, और तू साला उसके पीछे-पीछे उसकी रखेल की मारने में लग गया…”
अब्दुल- “मैंने कहां उस मेहर को पकड़ा था, मैं तो सिर्फ तुमको एक बार चोदना चाहता था, फिर उसने ही हम दोनों को देख लिया…” मैंने अब्दुल की पैंट में हरकत होते देखी। अब्दुल ने अपनी हसीन याद ताजा करते हुए बताया की उसने कैसे मोम और उस मेहर की 4-5 बार बजाई थी।
मोम ने चुगली करने वाली टोन में बताया- “मेहर मोम से छुपकर अब्दुल के अलावा एक और बंदे से चुदती थी…”
अब्दुल ने कहा की उसको पता है क्योंकी उसने उस लड़के की धुनाई भी कर दी थी।
मोम ने पूछा- “क्या वो अब भी अकरम के पीछे-पीछे गुलछर्रे उड़ाती है? क्योंकी उसको देखकर मुझे नहीं लगता की वो अकरम से संतुष्ट होती थी…”
अकरम- “तुम सही बोल रही हो। हाँ अब ऐसा वो नहीं करती, नहीं अब नहीं। अब तो कैमरे-वैमरे लगा दिए हैं हर जगह, और दूसरी बात भी है कि वो अब पहले जैसी नहीं है, वो खुद को अकरम की बीवी मानती है, टाइम भी कितना हो गया है उसको भाई के साथ रहते, अकरम भाई भी अब तो अपने बड़े भाई सलमान को भी नहीं छूने देता है…”
मैंने अब्दुल से पूछा- “तुझे कैसे पता?”
अब्दुल सुनते टाइम अपने लण्ड को थोड़ा मसल दिया जैसे उसको खुजली हो रही हो- “मेहर ने ही मुझे बताया…”
मोम ने उसको छेड़ते हुए पूछा- “ओहो उसने बताया, कब? तेरी गोदी में भैठकर?”
अब्दुल शर्मा गया।
फिर मोम ने बाथरूम का दरवाजा बंद कर दिया, थोड़ी देर बाद मोम वापस बाथरूम से अपनी गाण्ड तौलिया से पोंछती हुई आई और कपबोर्ड खोलकर ड्रेसेस देखने लगी। अब्दुल की आँखें हसरत से मोम की गाण्ड को देख रही थीं, लेकिन वो खुद पे पूरा कंट्रोल किए हुए बैठ रहा।
मैंने नोटिस किया की अब्दुल, मोम को जो अकरम की एक्स-गर्लफ्रेंड या रखैल जो भी थी उस टाइम भी वो उनको पसंद करता था। मोम ने बताया था की वो अब्दुल से चुदा चुकी है, अब्दुल जो हमेशा वेल बिहेव्ड और नंगी रंडियों के सामने एकदम शांत रहता था, उसने भी एक बार मुझे और मोम को एक साथ चोदा था।
ये सोचते ही मेरा हाथ अपने आप मेरे पास बैठे अब्दुल के लण्ड पे चला गया। अब्दुल ने मुझे देखा, पर कहा कुछ नहीं। मैंने अब्दुल के कान में धीरे से कहा- “तू राखी को चोदना चाहता है, है ना?”
मोम ने मेरी फुसफुसाहट को सुनकर हमें देखा, अब्दुल ने केयरलेसली ना में सिर हिला दिया।
मैंने कहा- “शर्मा क्यों रहा है?”
अब्दुल थोड़ा सख्त हो गया था जैसे उसको ऐसा काम करना पसंद नहीं है, और इधर हम दोनों इतनी देर से उसके सामने नंगी बैठी थीं, जैसे की ये नार्मल बात है। हाँ ये नार्मल हो गया था हमारे अकरम के क्लब में इतने सारे लोगों के सामने चुदने और उसके बाद नंगी रहने से। मुझे ये ख्याल आते ही मेरे दिमाग ने मुझसे कहा- “मुझे लास्ट टाइम शर्म कब आई थी?”
मैंने बेशर्मी से अब्दुल का लण्ड बाहर निकाल लिया, जो कब से अपनी अंडरवेर को गीला कर रहा था।
फिर अकरम का काल अब्दुल को आया, अकरम ने कहा की फार्महाउस 1-2 बजे पहुँच जाना, उनको टाइम लगेगा। काल कट होने के बाद अब्दुल बोला- “वो मोटा ही टाइम खराब कर रहा होगा, अभी तो 11:00 भी नहीं बजे हैं…”
मोम कपबोर्ड बंद करके मुड़ी और मुझे अब्दुल के लण्ड को चेक करते हुए देखने लगी।
मैं- “फिर तो राखी, तुम बैठ जाओ, बहुत टाइम पड़ा है…”
मेरा हाथ अब भी अब्दुल के लण्ड को पकड़े था, मैंने अपनी चुदक्कड़ लाइफ में हर टाइप के; आफ्रिकन को छोड़कर; लण्ड देखे और लिए थे, लेकिन आज तक अब्दुल से लंबा लण्ड नहीं देखा था।
मोम- “तू क्या कर रही है?”
मैं- “मैंने कुछ नहीं किया, ये तो तुझे देखकर चिल्ला रहा था कि ‘मुझे बाहर निकालो, मुझे बाहर निकालो’ और मैंने निकाल लिया, ये है कितना लंबा?” फिर अब्दुल से कहा- “पता है कितने इस तरह के लण्ड खुद के ना होने पे रोते हैं?”
अब्दुल बोला- “पागल है, मैंने कई चूत मारी है, उनमें भी कई तो मेरा पूरा ले नहीं पाती, दर्द से चिल्ला पड़ती हैं, किसी-किसी की चूत छोटी होती है, इधर मेरी खुद अपनी औरत को पूरा नहीं डाल पाता, उसकी भी चूत छोटी है…”
मुझे खयाल आया की वो भी किसी ऐसे पे मरती होगी जिसका लण्ड वो ले सके। मुझे याद आया की अब्दुल ने अपना लण्ड पूरा मेरी चूत में डाला था, डाक्टर शोभा ने भी कहा था की मेरी चूत भी मोम के जैसी है। हम उसके लण्ड को हाथ में लिए बातें कर रही थी, हम उसको सहलाती रही और खेलती रही, चूमती रही। उसका लण्ड एकदम हार्ड करके नापा भी, वो 8½” इंच से थोड़ा सा लंबा था।
हम दोनों आराम से ब्लो-जाब देती हुई अब्दुल से बातें करती रही। अब्दुल अकरम के बेरहम क्लब और उससे मिले होर वाली जिंदगी से एक अच्छी पाजिटिव वाली चीज थी, इसीलिए हम अपने घर में उसको स्पेशल गेस्ट का दर्जा दे रही थी।
35-40 साल की उम्र का नार्मल चेहरा और फिगर वाला अब्दुल, जिसका बालों वाला बदन मजबूत था, उसके बड़ी घनी झांटों की खेती बरसों से नहीं हुई थी, अच्छा था की लंबा लण्ड था उसका जिसको चूसते टाइम बालों से प्राब्लम नहीं हो रही थी।
अब्दुल कुछ सोचते हुए बोला- “एक बात मुझे समझ में नहीं आई, मोनिका, तुम राखी के घर पे ही रहती हो? मेरा मतलब खाली तुझे ही लेने आना होता है तो तू हुमेशा यही पे मुझे बुलाती है…”
मैंने और मोम ने एक दूसरे को देखा, क्या अब्दुल को पता नहीं था की हम माँ बेटी हैं?
शायद अकरम ने हमारे राज को अपने किसी भी आदमी को नहीं बताया था। मैंने कहा- “हाँ… मैं मोस्टली यहीं रहती हूँ…”
अब्दुल- “वो क्यों?”
मोम- “जैसे मेहर अकरम की रखेल है, वैसे ही ये मोनिका मेरी रखेल है…”
मैंने अपने हाथ में अब्दुल के लण्ड को हिलते महसूस किया जैसे ये सुनकर उसको मजा आ गया हो। मैंने अब्दुल को सेक्सी आवाज में कहा- “ये सच है, मैं राखी की गर्लफ्रेंड हूँ…”
अब्दुल- “ओ तेरी, क्या बात कर रही हो?”
हमने अब्दुल को स्पेशल डेमो देना शुरू किया, और इसमें ज्यादा देर भी नहीं लगी। जल्द ही उसका लंबा सा लण्ड मोम की गाण्ड में था जिसको वो कब से निहार रहा था। मेरी चूत मोम चाटती और साथ में मोन करती जा रही थी।
अब्दुल ने अपना लण्ड मोम की गाण्ड से निकाल लिया तब मोम की गाण्ड खुली थी और मुझे बड़े सेक्सी तरीके से वो छेद चाटने का आर्डर दिया। मैं बड़े चाव से अपनी मिस्ट्रेस की खुली गाण्ड को चूमने लगी, साथ ही उस लण्ड को भी जिसने बट-प्लग के बाद उसको और खोल दिया था।
मैंने अपनी गाण्ड ऊँची करके उसके लण्ड के सामने रख दी- “आह्ह… नहीं गाण्ड में नहीं, चूत में अइस्स्स… ओह्ह… फक्क योर काक फील्स सो गुड इनसाइड मी, कम ओन अब्दुल फक माइ पुस्सी, हार्डर। फक मी हार्डर अब्दुल…” फिर मैं मोनिंग करती हुई मोम की क्लिट पे जीभ फेरती रही, पर मुँह एक जगह टिक नहीं पा रहा था क्योंकी पीछे से अब्दुल जोर-जोर से धक्के मारता मेरी चूत फाड़ने में लगा हुआ था।
|