RE: Maa Sex Kahani माँ का और सेक्स एडवेंचर
वो अभी तक पूरे कपड़े पहना था, बस उसके पैंट की जिप होल से उसका लण्ड और टेस्टिकल बाहर निकले हुए थे, वो ऐसा लग रहा था की कोई बास अपनी नंगी सेक्रेटरी को फाड़ चुदाई से सजा दे रहा हो। अब तो मेरी भी जान पे आ गई थी और खुद की चीखें रोकने में बहुत ही मेहनत करने पड़ रही थी। तभी मुझे इनटेन्स प्लेज़र का झटका लगा और मेरी आ… निकल गई।भाई ने मेरे मुँह को तो बंद कर दिया पर ठोंकना बंद नहीं किया।
और मोम को तो आज फुल छूट थी एक रण्डी बन के चुदाई का मज़ा लेने की- “आह्हह… एस एस आह्हह… ऊऊओ आह्हह… आह्हह… आह्हह… फक फक फक गिव इट टू मी एस्स एइस्स्स… ऊओ फक…”
काश कोई मोम को बता दे, उनकी इस हाट स्क्रीम्स की वजह से मेरी चूत फटी ना रही थी, क्यूंकी भाई ने भी वैसा रफ सेक्स करना शुरू कर दिया था जैसा उस रात को तुषार और उसके दोस्त ने किया था। आज पता चला की भाई भी कच्चा खिलाड़ी नहीं था।
एक हाथ से उसने मेरे मुँह को बंद किया था और दूसरे से मेरे बालों को खींचे हुए था, जिससे मेरी बैक की आर्च शेप में हो गई थी। उसने मुझे पूरी तरह काबू कर रखा हुआ था और उसकी स्ट्रांग पकड़ से मैं हिल भी नहीं सकती थी। मेरी एक भी नहीं चलने दी उसने, मैं उसकी गुलाम बन चुकी थी और वो मुझपर पूरी तरह हावी हो चुका था। आज रात भाई अलग ही रूप में था और सबसे बुरी बात ये थी की मैं भाई के इस स्टाइल की दीवानी हो गई थी। मैंने पीछे मुँह करके भाई की आँखों में देखा। बात उसको भी समझ में आ गई। और उसने मुझे छोड़ दिया।
मैं घूमी और पीछे सोफे के सहारे खड़ी हुई और एक टांग उठाकर मैंने भाई को इजाज़त दे दी। भाई ने झुक के ज़मीन से मेरी थोंग उठाई और शरारती स्माइल से मेरी आँखों में देखा, मैंने अपना मुँह खोला, और एक अड्वेंचरस, रिस्की लेकिन एरोटिक सेक्स का पल आते देखकर मेरी धड़कनें बढ़ गई।
दरवाजे के उस पार- “आह्हह… आह्हह… आह्हह…” थी तो इस पार मेरे मुँह की घुटी हुई आवाज़ थी- “फक फक फक ऊऊओ…” भाई ने मेरा गला पकड़ा हुआ था और मैं उसको जलती नज़रों से देख रही थी- “यू बिग बाय गिव मी मोर प्लीज़्ज़… प्लीज़्ज़… प्लीज़्ज़… आअह्हह… अह्हह… स्स्स्स आऽ…” मैं दर्द से कांप गई और गिरने को हुई, तो भाई ने मुझे संभाल लिया-
“हुह्हह हुउऊह्हह…” मोम की गहरी सांसें सुनाई दी और वो कुछ बोल रही थी, भाई तेज सांसें लेते हुए धक्के मार रहा था तो उसको सुनाई नहीं दिया, ध्यान भी नहीं दिया की अब एक हल्की मर्द की आवाज़ भी आ रही थी।
मैं डर गई, मैंने भाई का सिर मेरी चुचियों में धूँसा दिया और खुद तेज और गहरी सांसें छोड़ने लगी, ताकी भाई को कुछ भी ढंग से सुनाई ना दे। मेरा दिल तो गले में अटका हुआ था ये सोचकर की कहीं वो दोनों रूम से बाहर आकर हमें देख लें तो फिर क्या होगा?
भाई ने मुझे काउच पे जाने का इशारा किया। मैंने सोचा की अगर मैं भाई को बिठा दूं और खुद काउगर्ल में सेक्स करूं तो मेरी नजर मोम के बेडरूम के दरवाजा पे ही होगी और अगर वो लोग बाहर आ भी गये तो मैं चुप रहने और वापस रूम में जाने का इशारा कर दूँगी ।
भाई बैठ गया, और मैं उसके जूते और पैंट के साथ अंडरवेर को भी खींचकर उतार दी। भाई ने अपना शर्ट उतारते हुए मुझे उसके शैतान को और गीला करते देखने लगा। भाई की शर्ट उतारते ही मैं लण्ड को पकड़कर उसपे बैठ गई, थोंग अब भी मेरे मुँह में ठूँसी हुई थी।
हमारी चुदाई के दो मिनट बाद वापस मोम की आवाज़ें आनी शुरू हो गईं, लेकिन इस बार तुषार और मोम कुछ बोल रहे थे पर इतना धीरे की हमारी फट-फट की आवाज़ से दब गई थी। लेकिन मेरी तो फट चुकी थी और फट भी रही थी।
अब तो दरवाजे की तरफ देखना भी मुश्किल होने लगा, जब भाई ने मुझे उठा लिया और तेज़ी से फट-फट करते हुये मेरी चूत में अपने लण्ड को किसी पिस्टन की तरह डालने लगा। मैं अपनी आँखे खुली भी नहीं रख पा रही थी और मेरा दिमाग तो जैसे बंद ही हो गया था। जब मैं झड़ने के बाद वापस थोड़ी रिकवर हुई तो मुझे ध्यान आया की मोम के रूम से आवाज़ें आनी बंद हो गई थीं।
मैंने भाई को काउच पे लेट जाने का इशारा किया, तो भाई ने हान्फते हुए कहा- “रुक तो थोड़ी देर हुह्हह… हुह्हह…”
लेकिन 3 मिनट बाद ही वो रुका और हान्फते हुए मेरी चूत को गरमा-गरम वीर्य से भरने लगा। जब सारा माल उसके लण्ड से निकल के मेरी चूत में समा गया तो वो थके अंदान से काउच के दायें साइड की तरफ ढेर हो गया और अपनी आँखे बंद करके रिलेक्स करने लगा। मैं काउच के दूसरे कोने में खिसक गई। मैं पसीने से नहाई हुई तेज साँस ले रही थी, और बांयें हाथ को चूत पे सहलाकर दो उंगली अंदर डाल दी। म् म्म्म… भाई के वीर्य का स्वाद हमेशा की तरह लाजवाब था।
तभी बेडरूम का दरवाजा खुला और मोम ने मुझे अपनी उंगलियों को चाटते हुए देखा। मोम बेध्यानी में मुझे देखकर बोली- “इधर अकेली क्यों बैठी हुई है?” और मुझसे नज़रें हटाकर मोम किचेन की तरफ जाने लगी।
मोम के बाल बिखरे और थोड़े गीले थे, बाडी पे पसीने की बूंदे मोतियों सी चमक रही थीं, और हाल तो ऐसा था की किसी की उनको देखकर होश उड़ जाएँ, पर मेरे होश तो गुम हो गये मोम को देख के।
मोम- “तू भी आ जाती…” कहते हुई मोम किचेन में चली गई।
यही मौका था, मैंने भाई को लात मारी, लेकिन उसकी कोई ज़रूरत नहीं थी। वो घबरा के उठ गया था और उस दिशा में देख रहा था जहाँ से मोम अपनी मस्तानी गाण्ड मटकाते हुए किचेन में गई थी। भाई ने जल्दी से अपनी शर्ट उठाई और मैंने ध्यान से पैंट को लपेटा ताकी बेल्ट आवाज़ ना करे। फिर पैंट को भाई को पकड़ा दी और सीढ़ियों की तरफ इशारा किया, ताकी वो मेरे रूम में चला जाए, क्योंकी भाई का रूम किचेन के सामने था।
भाई जल्दी से पंजों के बल भागते हुए सीढ़ियों चढ़कर गायब हो गया, तो मेरी साँस में साँस आई। मैंने भाई के जूते काउच के नीचे छुपा दिए।
मोम- “तुझे अब इंतजार करना पड़ेगा, क्योंकी अपना तो हो चुका…” मोम पानी की बोतल लिए वापस आई।
मैं अब मोम को असली बात बताने वाली थी।
तभी मोम ने आगे शरारत भरी टोन में कहा- “चलो अच्छा है, इस बार मैं भी एक और राउंड कर लूँगी…” मोम ने आँख मारी और मेरा हाथ पकड़कर रूम में ले गई।
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