RE: Maa Sex Kahani माँ का और सेक्स एडवेंचर
जब मैं सुबह सोकर उठती हूँ तो देखती हूँ की नंगी हूँ, और मेरा भाई मेरे बगल में ही नंगा सो रहा है। मुझे रात की सारी बातें याद आने लगती हैं।
मैं ड्रेसअप होकर रूम से बाहर निकलती हूँ तो मुझे बाहर मोम मिल जाती हैं।
मोम- “तू यहां क्या कर रही है?”
मैं- “मैं आदित्य को जगाने आई थी, कालेज़ जाने के लिए…”
मोम- “ओके…”
मैं वहां से अपने रूम में चली जाती हूँ। थोड़ी देर बाद जब आदित्य भाई उठकर नहीं आता तो मोम उसके रूम में जाती हैं। वो अभी भी नंगा सो रहा होता है। वो उसे इस हालत में देखकर वापस आ जाती हैं पर उसे कुछ नहीं बोलती।
मैं तैयार होकर नाश्ता करती हूँ।
तब तक आदित्य तैयार होकर आ जाता है, कहता है- “हाय दीदी…”
मैं- “हाय…”
भाई आँख मारते हुए- “रात मजा आया ना दीदी?”
मैं- “चुप कर… मोम सुन लेगी तो मैं और तू दोनों पिटेंगे?”
भाई- “ओके दीदी तैयार हो जाओ कालेज़ के लिए…”
मैं- “हाँ चल…”
मैं- “मोम, मैं जा रही हूँ बाइ…”
मोम- “बाइ बेटा…”
मैं आदित्य के साथ बाइक पर चिपक कर बैठी हूँ कालेज जाने के लिए, मैं वहां ब्रेक में कैंटीन में बैठी हुई होती हूँ तभी रेहान आता है।
रेहान- “हाय…”
मैं- “हाय…”
रेहान- “क्या बात है आजकल तुम मुझसे सीधे मुँह बात क्यों नहीं करती?”
मैं- “तुम्हें पता है, क्यों नहीं करती?”
रेहान- “मैंने क्या कर दिया ऐसा?”
मैं- “अब ज्यादा बनो मत? उस रात तुमने मेरी नंगी पिक निकाली और अपने सब दोस्तों को भेज दी…”
रेहान- “मैंने नहीं भेजी। मेरे एक दोस्त ने मेरा मोबाइल लिया था काल करने के लिए, उसी ने किया ये सब…”
मैं- “तब भी गलती तुम्हारी थी, क्यों ली थी तुमने मेरी नंगी पिक?”
रेहान- “सारी बेबी, गलती हो गई अब माफ भी कर दो…”
मैं दया दिखाते हुए- “यार अगर मेरे घरवालों को पता चल गया तो बड़ी प्रोब्लम हो जाएगी…”
रेहान- “कुछ नहीं होगा मैं सब सही कर दूँगा…”
मैं- “ओके, मैं अभी चलती हूँ…”
रेहान- “फिर कब मिल रही हो?”
मैं- “मैं बताती हूँ काल करके…”
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तभी अकरम की काल आती है- “हेलो…”
मैं- “हेलो…”
अकरम- “जान क्या बात है तुम तो हमें भूल ही गई…”
मैं- “नहीं, ऐसी कोई बात नहीं है। जहां आपने भेजा था वहां से आने के बाद टाइम ही नहीं मिला…”
अकरम- “हाँ… उनकी काल आई थी वो बहुत खुश हैं तुम लोगों से…”
मैं- “जी, काफी अच्छे लोग हैं वो…”
अकरम- “तो कब आ रही हो इधर भी?”
मैं- “दो-तीन दिन में आती हूँ एग्जाम भी आने वाले हैं मेरे…”
अकरम- “ओके, जल्दी आना बाइ…”
मैं- “बाइ…” फिर मैं घर लौट आती हूँ,
मैं- “मोम खाना दे दो बहुत भूख लगी है…”
मोम- “ला रही हूँ…”
मोम खाना लगाती है- “मोना, आज तुम सुबह आदी के रूम में गई थी जगाने?”
मैं- “हाँ… मोम…”
मोम- “तुम जानती थी की वो पूरा नंगा सोया हुआ था…”
मैं- “नहीं मोम, मैं तो बस बाहर से आवाज लगाकर आ गई थी…”
मोम- “ध्यान रखा करो थोड़ा, अब वो जवान हो गया है…”
मैं- “जी मोम, और हाँ मोम आपने उस लेटर वाले नंबर पर काल की थी?”
मोम- “नहीं…”
मैं- “एक बार करके तो देखती की कौन है? कहीं वो हमारे बारे में जान तो नहीं गया ना?”
मोम- “ठीक है तुम ही बात कर लो…” मोम ने मुझे वो कार्ड देते हुए कहा।
मैं खाना खाने के बाद काल करती हूँ, दूसरी तरफ से कोई विशाल नाम का लड़का बोल रहा होता है।
मैं- “हेलो…”
वो लड़का- “हेलो, आप कौन?”
मैं- “वो कल होटेल में हमें कोई आपका कार्ड दे गया था…”
वो लड़का- “जी जी… मैं विशाल बोल रहा हूँ, मैं आप लोगों से एक बार मिलना चाहता था…”
मैं- “किस सिलसिले में?”
विशाल- “जी, इस तरह फोन पर बात नहीं हो सकती। प्लीज़्ज़… आप एक बार मिल लो, मैं मिलकर आसानी से समझा पाऊँगा…”
मैं- “ओके, कहाँ मिलना है?”
विशाल- “उसी होटेल में पूल साइड, कल डिनर पर मिलते हैं…”
मैं- “ओके, हम आते हैं कल…”
विशाल- “ओके बाइ…”
मैं- “मोम, कोई विशाल था। कह रहा था कोई जरूरी बात है। हमें कल डिनर पर बुलाया है…”
मोम- “कहां?”
मैं- “उसी होटेल में पूल साइड पे…”
मोम- “ओके, कल वहीं चलकर देखते हैं कि क्या सीन है?”
मैं- “ओके मोम, मैं सोने जा रही हूँ, गुड नाइट…”
मोम- “गुड नाइट…”
सुबह जब मैं उठकर तैयार होती हूँ, तो लोंग मिडी पहनती हूँ और स्लीवलेश टाप और स्टाल डाला, फिर मोम से पूछा- “मोम मोम, आदित्य कहां गया? मैं कालेज़ को लेट हो रही हूँ…”
मोम- “बेटा, वो तो जल्दी निकल गया था…”
मैं- “ओह्ह्ह… हो… बताना तो चाहिए था। मैं कालेज को लेट हो रही हूँ, मैं चलती हूँ बाइ…”
मैं चौराहे पर आकर आटो रोकती हूँ, पर कोई आटो खाली नहीं मिलता। फिर सोचती हूँ, लगता है बस से ही जाना पड़ेगा और बस का इंतेजार करने लगती हूँ। तभी एक बस आती दिखाई पड़ती है, पर उसमें काफी भीड़ होती है। मैं उसपर नहीं चढ़ती, थोड़ी देर बाद एक और बस आती है उसमें भी काफी भीड़ होती है तो मैं थोड़ा सोचती हूँ। फिर चढ़ जाती हूँ और किसी तरह धक्के खाते हुए अंदर आ जाती हूँ। वहां तो हिलने की भी जगह नहीं होती। वहां सबके बदन एक दूसरे से सटे हुए थे।
बस चल देती है थोड़ी देर बाद मुझे अपने चूतड़ों पर किसी के हाथ महसूस होते हैं तो मैं हल्का सा पीछे मुड़कर देखती हूँ। तो एक चीप टाइप रोमियो मुश्कुरा रहा होता है मुझे देखकर। मेरी समझ में नहीं आता क्या करूँ? तभी वो मेरे चूतड़ों को सहलाने लगता है। मैं थोड़ा सा हिलती हूँ तो मेरी चूचियां आगे खड़े लड़के की पीठ पर रगड़ जाती हैं तो वो मेरी तरफ देखता है।
और तभी पीछे वाले लड़के का हाथ मेरी चूत के पास सहलाने लगता है मिडी के ऊपर से ही।
मैं कसमसाहट में फिर आगे को होती हूँ तो मेरी चूचियां फिर आगे वाले को रगड़ जाती हैं, तो उसे लगता है की मैं जानबूझ कर रगड़ रही हूँ। फिर वो मेरी तरफ मुँह करके खड़ा हो जाता है और धीरे से मेरी कमर में हाथ डालकर सहलाने लगता है।
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