RE: Maa Sex Kahani माँ का और सेक्स एडवेंचर
फिर थोड़ी देर बाद हम दोनों उठकर रूम में चले जाते हैं। वहां हमारे कपड़े टंगें हुए होते हैं। मोम मुझसे कुछ कहने को होती हैं, पर वो मुझसे आँखें नहीं मिला पा रही होती हैं। मैं उनका मुँह ऊपर करती हूँ, इशारे से उन्हें चुप रहने को कहती हूँ। हम ड्रेसअप होते हैं। मोम बिना पैंटी के अपनी ड्रेस पहनती हैं, क्योंकी उनकी पैंटी फट चुकी होती है। हम ड्रेसअप हो जाते हैं और अपना मेकप ठीक करते हैं।
तभी अकरम आ जाता है और कहता है- “हाय हाटी…”
मैं मुश्कुरा देती हूँ।
अकरम मोम से- “कल का प्रोग्राम तो याद है ना?”
मोम- “नहीं, कल मैं नहीं जा पाऊँगी…”
तभी मैं बोल पड़ती हूँ- “आप चिंता मत करो, हम चले जाएंगे…”
मोम मुझे गुस्से से घुरती हैं। मैं फिर से उनको आँख मारती हूँ।
अकरम- “यार, एक चीज समझ में नहीं आ रही है? तुम दोनों दिखती एक जैसी हो, फिगर भी एक जैसी है, और चुदवाती भी दोनों मस्ती से हो, ये चक्कर क्या है?”
मैं- “कभी-कभी हो जाता है की एक जैसे लोग मिल जाते हैं। हाँ वैसे कल का प्रोग्राम हमें शाम तक बता देना। मेरी अक्टिवा बाहर खड़ी है, मैं काफी थक गई हूँ। मैं इनके साथ चली जाऊँगी ये मुझे ड्राप कर देंगी…”
अकरम- “ओके, शाम को बात करता हूँ बाइ…”
फिर हम वहाँ से बाहर आ जाते हैं, और मैं मोम के साथ कार में बैठ जाती हूँ। मोम मुझसे आँखें नहीं मिलाती हैं। मैंने कहा- “मोम क्या बात है, आप मुझसे बात क्यों नहीं कर रही?”
मोम अचानक से रोने लगती हैं।
और मैं उन्हें चुप कराती हूँ- “मोम क्यों परेशान हो आप इतना?”
मोम रोते हुए- “आज तूने मुझे इस तरह से देखा, मैं तो शर्म से पानी-पानी हुई जा रही हूँ…”
मैं- “तो क्या हुआ मोम? हम औरतें हैं, हमारी भी कुछ जरूरतें होती हैं, और क्या हुआ अगर हमने कुछ ऐसा कर लिया तो? लाइफ ही तो एंजाय कर रहे हैं हम, अब आप चुप हो जाओ…”
मोम- “पर बेटा, ये अच्छे लोग नहीं है…”
मैंने आँख मारते हुए कहा- “मोम मैं जानती हूँ। पर जब हम इनके चंगुल में आ ही गये हैं तो देखा जाएगा। बस लाइफ को एंजाय करो देखा जाएगा सब…”
मोम हँस देती है और मुझसे पूछती हैं- “तू यहां तक कैसे पहुँची?”
और मैं शुरू से उन्हें सब बताती हूँ। और हाँ इसने मुझे एक सी॰डी॰ दी थी जिसमें आपका सारा सेक्स रेकार्डेड था…”
मोम- “इसका मतलब… तुम जानती थी की मैं यहां आई हुई हूँ…”
मैं- “हाँ मोम… और मुझे तो ये भी पता है की कल रात आपने सफारी में आदित्य के दोस्तों के साथ क्या-क्या किया था?”
मोम चकित हो गई।
मैं- “पर आप चिंता मत करो मोम, एंजाय करो और कल हम दोनों चलेंगे उन शेखों के पास…”
मोम- “पर बेटा?”
मैं उनकी चूचियों को दबाते हुये- “पर वर कुछ नहीं, अब तो शर्माना छोड़ो मुझसे…” फिर हम घर पहुँच जाते हैं।
भाई- “हाय मोम, हाय सिस…”
मोम- “हाय बेटा…”
मैं- “हाय भाई…”
भाई- “आप लोग कहां गये हुए थे? और काफी थके हुए लग रहे हो…”
मैं- “हम एक प्रोजेक्ट पर काम कर रहे हैं, मुश्लिमों की बस्ती में जिंदगी सुधार का, वहीं गये थे इसलिए काफी थके हुए हैं…”
भाई- “ओके मोम, मैं अपने दोस्तों के साथ जा रहा हूँ। रात को घर नहीं आऊँगा…”
मोम- “ओके…”
मैं- “मोम, मैं आज आपके साथ सोती हूँ…”
मोम- “ठीक है बेटा…”
मैं- “मोम सच बताओ एक बात?”
मोम- “क्या?”
मैं- “आप अकरम के यहां कैसे पहुँची? और आप अपनी लाइफ को एंजाय कर रहे हो की नहीं?”
मोम- “हुआ ये था बेटा की जब तेरे डैड दुबई गये हुए थे, तब अकरम से उन्हें काफी पैसे लेने थे। तब तेरे डैड का सारा काम यहां मैं देखती थी। वो पेमेंट नहीं कर रहा था। एक बार मैंने काल की तो उसने मुझे पेमेंट लेने क्लब बुलाया। मैं तब नहीं जानती थी उसके बारे में कुछ। जब मैं वहाँ गई तो वहां बहुत लोग थे। वो मुझे अंदर रूम में ले गया और मेरी चुदाई की वहां पर। खिड़की से बहुत लोगों ने देखा और लौटते समय उसने मुझे पेमेंट कर दी। फिर वो मुझे अक्सर वहाँ बुलाता था। फिर कुछ दिन बाद मुझे भी अच्छा लगने लगा वहां…”
मैं- “कोई बात नहीं मोम, जो हुआ सो हुआ। ये बात हमारे बीच ही रहेगी हमेशा…”
मोम- “थैंक्स, और कल फिर उसने मुझे किसी शेख के पास भेजना है…”
मैं बात काटते हुए- “सिर्फ आपको नहीं हमें…”
मोम- “पर बेटा, मैं नहीं चाहती की तू वहां जाए, पता नहीं कैसे होंगे वो लोग?”
मैं- “देखा जाएगा। आप भी तो जा रही हो ना, जो होगा वो मिलकर देखेंगे…”
हम बात कर रहे होते हैं तभी अकरम की काल आती है।
मैं- “हेलो…”
अकरम- “हेलो जान, तुम्हें कल का प्लान बताना है…”
मैं- “हाँ बोलिए… और सुनिए, वो जो आंटी आज आई थीं, उन्हें भी इसी काल पर ले लीजिए हम दोनों मिलकर समझ लेंगे…”
अकरम मोम को कान्फ्रेंस पर ले लेता है।
मोम- “हेलो…”
अकरम- “सुनो, थोड़ी देर में तुम्हारे घर एक लड़का आएगा एक बैग लेकर, उसमें तुम्हारी और उस लड़की की ड्रेसेस हैं। कल सुबह 11:30 बजे तक तैयार हो जाना। मैं लेने आऊँगा तुम दोनों को, और उस लड़की को भी अपने घर ही बुला लेना और अच्छे से तैयार होकर आना…”
अकरम- “सुनो, थोड़ी देर में तुम्हारे घर एक लड़का आएगा एक बैग लेकर, उसमें तुम्हारी और उस लड़की की ड्रेसेस हैं। कल सुबह 11:30 बजे तक तैयार हो जाना। मैं लेने आऊँगा तुम दोनों को, और उस लड़की को भी अपने घर ही बुला लेना और अच्छे से तैयार होकर आना…”
मोम- “ओके…”
मैं- “ओके…”
30 मिनट बाद घर की कालबेल बजती है, मोम उठकर दरवाजा खोलती हैं। एक लड़का मोम के हाथ में एक बैग देकर चला जाता है। मोम वो बैग लेकर बेडरूम में आती हैं।
मैं- “मोम कौन था, और इस बैग में क्या है?”
मोम- “पता नहीं अकरम ने भेजा है…”
मैं- “ओके। खोलो, देखें क्या है?”
मोम बैग खोलती हैं, उसमें ड्रेसेस होती हैं। एक ब्लैक और रेड पारदर्शी, दूसरी ब्लैक और सिल्वर और दो ब्लाउज़ होते हैं एक ब्लैक और दूसरा रेड, दोनों ब्लाउज़ बहुत छोटे होते हैं ब्रा की तरह। उसमें महज 3 डोरियां होती हैं, दो बैक साइड में, एक कंधे पर, और दो पैंटी होती हैं, उसमें भी डोरी से ही बांधा जाता है और भी उसमें ड्रेस होती है। मुझे समझ में नहीं आता तो मैं मोम से पूछती हूँ।
मोम खोलकर देखती हैं, वो मुश्लिम ड्रेस बुर्क़ा होता है, उसके साथ चेहरे पर बांधने वाला ब्लैक स्कार्फ भी होता है, जो मुश्लिम औरतें पहनती हैं। हमें समझ में नहीं आता क्यों भेजा है?
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