RE: Maa Sex Kahani माँ का और सेक्स एडवेंचर
अकरम ने उस लड़के से कहा- “कुछ खाने और पीने के लिए लेकर आ…”
थोड़ी देर बाद वो लड़का पनीर और विस्की लेकर आया और हम तीनों ने ड्रिंक की और अकरम से बात करने लगी।
अकरम- “आज तेरे आफिस से कलेक्सन एजेंट आई थी…”
मैं- “कौन?”
अकरम- “वो पहले भी आई है यहां। पहले-पहले बहुत नखरे करती थी, पर अब वो हमारी रण्डी है…”
मैं- “मैं समझी नहीं?” तभी मेरी आँखें रूम में लगे कैमेरे पर गई। हर कोने पर एक सी॰सी॰कैमरा लगा हुआ था।
अकरम- “साली जब पहली बार आई थी तो केवल मुझे भी नहीं झेल पाती थी पर अब… …”
मैं- “पर अब क्या?”
अकरम- “अब तो 4-5 को भी आसानी से संभाल लेती है…”
मैं- “अच्छा जी…”
अकरम- “जी… दो-तीन बार तो वो बाहर क्लब की टेबल पर भी चुदवा चुकी है मेरे ग्राहकों से। आज भी आई थी, जम कर चुद कर गई है, चल भी नहीं पा रही थी साली…”
मैं- “कौन थी वो?”
अकरम लड़के को इशारा करते हुए- “जा सी॰डी॰ लेकर आ…”
और लड़का 5 मिनट बाद लौटता है तो उसके हाथ में एक सी॰डी॰ होती है।
अकरम- “ये ले, घर लेजाकर देख लेना उसकी और भी सी॰डी॰ हैं मेरे पास, इसे लौटा देना फिर और दूँगा…”
मैं- “ओके…”
फिर दोनों मेरे अगल बगल लेट जाते हैं, और मेरी चूचियां मसलने लगते हैं, कभी चाटते हैं, कभी काटते हैं। अकरम मुझे किस करने लगा। फिर अचानक पता नहीं क्या हुआ कि उस लड़के और अकरम की आँखें मिली तो दोनों एक दूसरे को किस करने लगे। मैं चकित हो गई। थोड़ी देर बाद अकरम ने मुझे डागी स्टाइल में झुकने को बोला।
मैं बेड का कोने पकड़कर झुक गई। वो लड़का मेरे पीछे आया और मेरी चूत में अपना लण्ड डाल दिया। चूत गीली होने के कारण वो अंदर चला गया। अभी उसने 4-5 धक्के ही लगाए होंगे की वो रुक गया।
तभी मुझे उस लड़के की आऽऽ का एहसास हुआ। मैंने पीछे मुड़कर देखा तो अकरम उसकी गाण्ड में अपना लण्ड डाल रहा था।
थोड़ी देर में उस लड़के ने फिर से धक्के लगाने शुरू किए। पर जब अकरम उसे पेलता था तो वो पूरा मुझ पर आ जाता था। ये चुदाई 10-12 मिनट तक चली फिर हम तीनों सो गये। सुबह मैं 9:00 बजे उठी, तब वो लड़का वहां नहीं था, पर अकरम वहीं सो रहा था। मैं बहुत थक गई थी और सही से खड़ी भी नहीं हो पा रही थी। मैं बाथरूम गई, अपने कपड़े पहने और फ्रेश होकर बाहर आ गई और अकरम को जगाया।
तभी वो लड़का चाय लेकर आ गया।
अकरम- “गुड मार्निंग बेबी…”
मैं- “गुड मार्निंग…”
अकरम- “क्यों बेबी, रात मजा आया?”
मैं- “हाँ… सच कहूँ तो मैं आपकी दीवानी हो गई हूँ…”
अकरम- “सभी औरतें यहां आकर ऐसा ही बोलती हैं…”
मैं- “बोलती होंगी, पर मैं अभी औरत नहीं हूँ, लड़की हूँ…”
अकरम- “चिंता मत कर, बहुत जल्दी तुझे भी औरत बना दूँगा। वैसे भी तेरी दूसरी बार भी सील मैंने तोड़ ही दी है, अब औरत बनाने में बचा ही क्या है?”
मैं शर्माते हुए- “ये बात तो सच है कि ऐसा मजा मुझे कभी नहीं मिला…”
अकरम- “और हाँ सुन… दो-तीन दिन में दुबई से मेरे कुछ शेख दोस्त आ रहे हैं, उसे भी खुश करना है तुझे…”
मैं- “नहीं, मैं आपके अलावा किसी के साथ नहीं करूँगी…”
अकरम- “बेबी, मेरे लिए तू क्या इतना भी नहीं करेगी? अगर वो खुश हो गये तो मैं माला-माल हो जाऊँगा…”
मैं- “पर?”
अकरम- “पर वर कुछ नहीं…”
मैं कुछ नहीं बोलती और उठकर जाने को होती हूँ। तभी अकरम मेरे गले की गोल्ड चैन खींचकर उस लड़के को दे देता है- “बेबी, इतनी मेहनत की है इसने, इतना तो हक बनता है उसका…”
मैं कुछ नहीं बोलती और मुश्कुराते हुए वो सी॰डी॰ लेकर वहां से चली जाती हूँ। घर पहुँचती हूँ तो आदित्य और मोम नाश्ता कर रहे होते हैं।
मैं- “गुड मार्निंग…”
मोम- “गुड मार्निंग…”
आदित्य- “गुड मार्निंग दीदी…”
मोम- “क्या हुआ बेटा, बहुत थकी हुई लग रही हो?”
मैं- “नहीं मोम, वो जस्ट पार्टी और डान्स वान्स उसकी वजह से है…”
आदित्य आँख मारते हुए- “बस डान्स वान्स ही ना दीदी?”
मोम- “चुप कर, कुछ भी बोलता रहता है। और बेटा ये सी॰डी॰ कैसी है तेरे हाथ में?”
मैं- “मोम, कुछ नहीं बस मेरी दोस्त की शादी की सी॰डी॰ है…”
आदित्य- “दीदी, शादी की या उसकी सुहागरात की?”
मैं कुछ नहीं बोलती और अंदर चली जाती हूँ, और फिर नहाने के लिये बाथरूम में चली जाती हूँ। मैं एक-एक करके सारे कपड़े उतारती हूँ और शावर लेने लगती हूँ। तभी मुझे एहसास होता है की खिड़की से मुझे कोई देख रहा है। मैं कुछ नहीं बोलती, बस बाथरूम की लाइट बंद करके नहाती हूँ, और बाहर आ जाती हूँ। फिर जीन्स और टाप पहनकर नाश्ते की टेबल पर आ जाती हूँ।
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