RE: Gandi Kahaniya एक आहट जिंदगी की
नाजिया का अब सेक्स के लिए नज़रया बदल गया था…..नज़ाने क्यों उसके दिमाग़ में अजीब -2 तरह के ख़याल आने लगी….वो वहाँ से उठ कर अपने घर आ गयी, और आते ही अपने रूम में जाकर बेड पर लेट गयी…उसे पता नही कब नींद आ गयी…..मेने शाम को नाजिया को उसके रूम में जाकर उठाया……..”नाजिया उठो ना कब तक सोती रहोगी…” मेरी आवाज़ सुन कर नाजिया उठ कर बैठ गयी…..”टाइम कितना हुआ अम्मी…..” मेने दीवार पर लगी घड़ी पर नज़र डाली…….”5 बज गये है.
नाजिया: क्या 5 बज गये…..”अबू आ गये क्या ?
में: नही अभी नही आए….तुम उठो और मुँह हाथ धो लो में चाइ बनाती हूँ……
नाजिया उठ कर चली गयी……उसके बाद कुछ दिन ख़ास नही हुआ….पर नाजिया के जेहन में अब हर समाए चुदाई का नशा सवार रहता था……राज से उस दिन चुदवाने के बाद अब उसे हर समय अपनी बुर में ख़ालीपन महसूस होने लगा था…..पर में इस बात से अंजान थी…. अंजुम अब ज़्यादातर राज के साथ ही घर वापिस आ जाते थे….और मुझे भी अब राज के लंड का ऐसा चस्का लगा था कि, मेरे दिन और रात बड़ी मुस्किल से कट रहे थे…..
अंजुम को घर वापिस आए हुए 15 दिन हो चुके थे…..राज तो अपना मन अनीता और रुकमनि के साथ बाहर बहला रहा था…..पर मेरा हाल बुरा था…..और वैसा ही कुछ हाल नाजिया का भी था…..भले ही में उसकी हालत से अंजान थी…..पर अब मुझे उसके चेहरे पर किसी चीज़ की कमी होने का अहसास होने लगा था……घर पर मुझे भी मौका नही मिल रहा था. इस दौरान एक ऐसी घटना हुई, जिसने फिर से हमारी ज़िंदगियों को बदल दिया….अनीता और रुक्मणी के अचानक से ट्रान्स्फर हो गये…….दोनो की पोस्टिंग अब लखनऊ में हो गयी थी……
क्योंकि अब अनीता और रुक्मणी दोनो राज की जिंदगी से दूर जा चुकी थी….इसलिए राज भी अब चूत के लिए बेचैन रहने लगा था…..पर घर पर अंजुम की माजूदगी में वो भी कुछ कर नही पा रहा था……पर पिछले कुछ दिनो में में फिर से नोटीस करने लगी थी कि, राज अब पहले की तरह मुझमे फिर से इंटेरेस्ट लेने लगा था…..वो कोई ऐसा मौका नही छोड़ता था……..जब में अकेली होती……वो कभी मुझे अकेले में पाकर बाहों में जाकड़ लेता. तो कभी मेरी सलवार के ऊपेर से मेरी फुद्दि को मसल देता….उसका ऐसा करना मेरे जिस्म की आग को और बढ़ा रहा था……..
दूसरी एक और घटना घटी….जिसने मेरे सोचने का नज़रया ही बदल दिया…..एक दिन मुझे किसी काम से विमला भाभी के घर जाना पड़ा….सुबह 11 बजे का समय था….अंजुम और राज दोनो जॉब के लिए निकल चुके थे……और नाजिया भी स्कूल गयी हुई थी….विमला भाभी एक दिन पहले मेरे घर आई थी…उन्होने नई नये सलवार कमीज़ खरीदे थे….और मुझे उसका डिजाइन बहुत पसनद आया था….मेने सोचा क्यों ना नाजिया के लिए भी ऐसे ही एक ड्रेस खुद सिला लाउ…..मेने घर का काम निपटाया, और अपने घर को बाहर से लॉक कर विमला भाभी के घर की तरफ गयी….जैसे ही में विमला भाभी के घर के बाहर पहुँची, तो देखा उनके घर का मेन गेट हल्का सा खुला हुआ था……
जो कि अक्सर बंद रहता था अंदर से. क्योंकि उनके पति के जॉब पर और उनके बेटे सन्नी के स्कूल जाने के बाद वो घर में अकेली होती थी…..इसलिए वो हमेशा डोर को अंदर से लॉक करके रखती थी…..इसलिए में बिना कुछ बोले अंदर चली गयी…..अंदर एक दम सन्नाटा पसरा हुआ था….उनके बेडरूम से कुछ आवाज़ आ रही थी…..विमला भाभी की ख़ुसनूमा आवाज़ सुन कर में उनके बेड रूम की ओर बढ़ी……और जैसे ही में उनके बेडरूम के डोर के पास पहुँची तो,
मेरी आँखें फटी की फटी रह गयी……विमला भाभी कंप्यूटर टेबल पर झुकी हुई थी….और उन्होने अपनी मॅक्सी को अपनी गान्ड तक उठा रखा था…. उनकी वाइट कलर की कॉटन पैंटी उनकी जाँघो तक उतरी हुई थी……और एक लड़का जो मुस्किल से *** साल का था….उनके पीछे खड़ा हुआ था….उस लड़के का लंड विमला भाबी की गोरी फुद्दि के लिप्स के दर्मियान फुद्दी में अंदर बाहर हो रहा था……और उस लड़के ने विमला भाभी के चुतड़ों को दोनो तरफ से पकड़ा हुआ था….जिन्हे वो बुरी तरहा से मसल रहा था…..तभी विमला भाभी की मस्ती से भरपूर आवाज़ पूरे रूम में गूँज उठी…..
विमला: अह्ह्ह्ह जय ओह्ह्ह आह मुझे काम करना है……एक बार काम निपटा लेने दो फिर आराम से कर लेना जो करना है……
जय: आहह मासी मुझे सबर नही होता….में क्या करूँ…..जब भी आपकी मटकती गान्ड देखता हूँ, तो मेरा लौडा खड़ा हो जाता है….और सन्नी भी 2 बजे स्कूल से आ जाएगा मुझे आपकी फुद्दि मारने दो ना……आप ने तो कल मौसा जी से चुदवा लिया था ना…..
विमला: वो क्या खाक चोदता है मेरे राजा….उनका लंड तो ठीक से खड़ा भी नही होता… मुझे तो तेरे जवान लंड की लत लग गयी है…बस में आधे घंटे में काम ख़तम कर लूँगी फिर जितनी देर करना हो कर लेना……
पूरे रूम में फॅक-2 जैसी आवाज़ गूँज रही थी….विमला भाभी सिर्फ़ ऊपेर से मना कर रही थी…..वो पूरी मस्ती में थी…..और अपनी गान्ड को पीछे की तरफ धकेल कर जय के लंड पर पटक रही थी……तभी अचानक से मेरा हाथ बेड रूम के डोर से टकरा गया….आवाज़ सुन कर दोनो एक दम से चोंक गये…..जैसे ही विमला भाभी ने मुझे डोर पर खड़ा देखा. उनके चेहरे का रंग एक दम से उड़ गया……उस लड़के की हालत और भी पतली हो गयी….उसने जल्दी से अपने लंड को बाहर निकाला, और अटेच बाथ रूम में घुस गया….विमला भाभी ने जल्दी से अपनी पैंटी ऊपेर की और अपनी मॅक्सी को ठीक किया……
विमला: नजीबा तुम तुम कब आई……
और फिर वो मेरे पास आई और मेरा हाथ पकड़ कर मुझे ड्रॉयिंग रूम में ले गयी…और मुझे सोफे पर बैठाया……वो कुछ बोलना चाह रही थी…..पर शायद विमला भाभी को समझ नही आ रहा था कि, वो मुझसे क्या कहें….कैसे अपनी सफाई दें….
.”ये सब क्या है विमला भाभी….” मेने विमला भाभी के चेहरे की ओर देखते हुए कहा……
विमला: नजीबा यार किसी को बताना नही…..में तुम्हारे आगे हाथ जोड़ती हूँ…..तुम्हारे पाँव पड़ती हूँ…….वरना में कही की नही रहूंगी…..मेरा घर बर्बाद हो जाएगा…….प्लीज़ किसी को बताना नही…..तुम्हे सन्नी का वास्ता है……में बर्बाद हो जाउन्गी, अगर ये बात किसी को पता चली……
में: (विमला भाभी के हाथ को अपने हाथों में लेकर तसल्ली देते हुए) भाभी आप घबराओ नही. में नही बताती किसी को……पर ये सब है क्या……और वो लड़का कॉन है……..
विमला: में बताती हूँ….तुम्हे सब बताती हूँ……पर ये बात किसी को बताना नही…..तुम अभी अपने घर जाओ…..में थोड़ी देर में तुम्हारे घर आती हूँ……
विमला भाभी की बात सुन कर में बिना कुछ बोले वहाँ से उठ कर अपने घर आ गयी……और आते ही अपने रूम में बेड पर लेट गयी……थोड़ी देर पहले जो नज़ारा मेने देखा था…..वो बहुत ही गरम और उतेजक था…..एक **** साल का लड़का एक 35 साल की औरत को पीछे से उसके चुतड़ों से पकड़े हुए चोद रहा था….और विमला भाभी भी मस्ती में आकर अपनी गान्ड उसके लंड पर पटक रही थी…..मेरा बुरा हाल था….बुर में अंदर तक सनसनाहट हो रही थी…और बुर से पानी बह कर बाहर आकर मेरी पैंटी को भिगो रहा था…….
में करीब आधे घंटे तक वैसे ही लेटी रही…..सोच-2 कर गरम होती रही…..और अपनी सलवार के अंदर हाथ डाल कर पैंटी के ऊपेर से अपनी फुद्दि को मसल्ति रही…..करीब आधे घंटे बाद बाहर डोर बेल बजी…..में बदहवास सी खड़ी हुई, और बाहर जाकर गेट खोला….सामने विमला भाभी खड़ी थी….उसके चेहरे का रंग अभी भी उड़ा हुआ था…..मेने विमला भाभी को अंदर आने के लिए कहा….और फिर गेट बंद कर उन्हे अपने रूम में ले आई…..और वो अंदर आकर मेरे बेड पर नीचे पैर लटका कर बैठ गयी…..खोफ़ उनके चेहरे से सॉफ नज़र आ रहा था…मेने उन्हे चाइ पानी के लिए पूछा तो उन्हे ने मना कर दिया…..
में: विमला भाभी जो हुआ उसे भूल जाए…..अप समझे कि मेने कुछ देखा ही नही है… में ये बात किसी को नही बताउन्गी…..आप बेफिकर जो जाएँ…..
मेरी बात सुनते ही विमला भाभी की आँखें नम हो गयी…..अब मुझे ये तो नही पता कि ये आँसू सच में पछतावे के थे….या विमला भाभी मगर्मछि आँसू बाहर कर मुझे इमॉशानली ये मनवा लेना चाहती थी कि, में उनके इस गुनाह के बारे में किसी को ना बताऊ.
“नजीबा में जानती हूँ कि तुम ये बात किसी को नही बताओगी…..पर फिर भी मेरे मन में कही ना कही डर है…..इसलिए मुझे घबराहट हो रही है…..”
में: भाभी आप घबराएँ नही में नही बताती किसी को……. पर ये सब है क्या…..और वो लड़का तो आप को मासी बुला रहा था ना…..? क्या वो सच में आपका भांजा है…..?
विमला: (थोड़ी देर चुप रहने के बाद) हां वो मेरी बड़ी बेहन का बेटा है…….
में: (विमला की भाभी की बात सुन कर में एक दम से हैरान हो गयी) क्या….क्या सच कह रही है आप…..पर ये सब आप ने ये सब कैसे क्यों किया…..?
विमला: अब में तुम्हे क्या बताऊ नजीबा…..तुम इसे मेरी मजबूरी समझ लो या फिर मेरी ज़रूरत…..हालत ही कुछ ऐसे हो गये थे कि, में अपने आप को रोक नही पाई…..शादी के बाद हमारी सेक्स लाइफ कुछ सालो तक ठीक चली….पर सन्नी के पैदा होने के बाद हमारी सेक्स लाइफ कम होती गयी…..तुमने इनका (विमला भाभी के हज़्बेंड) का पेट तो देखा है ना…..दिन ब दिन वो मोटे होते चले गये…..फिर डाइयबिटीस की बीमारी के कारण इनमे और कमज़ोरी आती गयी…..शादी के 6 साल बाद ही हमारी सेक्स लाइफ ख़तम हो चुकी थी…….
तुम तो अच्छे से जानती हो गी कि, बिना मर्द के प्यार के रहना कितना मुस्किल होता है…..पर में अपनी सारी ख्वाहिशें मार का जीती रही…..सन्नी की देख भाल में दिन का वक़्त तो कट जाता था. पर रात को बेड पर करवटें बदलती रहती थी…..इन्हे तो जैसे मेरी कोई परवाह ही नही थी…फिर सन्नी स्कूल जाने लगा…..और मुझे अकेला पन और खलने लगा…..फिर मुझे मेरे फ्रेंड्स से कुछ ब्लू फिल्म्स की सीडी मिल गयी….तो उन्हे देख कर मेरे अंदर की आग और भड़कने लगी….
में अपनी बुर को मसल कर अपनी बुर की आग को ठंडा करने की कॉसिश करने लगी. पर उससे भी कुछ फ़ायदा ना हुआ…..धीरे-2 वो सीडी पुरानी होकर बेकार हो गयी…..जिन्हे में घर पर अकेले होने पर देखती थी…..फिर एक दिन मेरी जिंदगी तब बदल गयी. जब जय हमारे यहाँ छुट्टियों में रहने आया….वो उस समय **** क्लास में था…..और गर्मियों के छुट्टियाँ थी. पति देव सुबह ही काम पर चले जाते….सन्नी के स्कूल में भी वकेशन शुरू हो गये थे…..सब कुछ नॉर्मल चल रहा था. सन्नी और जय के घर में होने से मेरा भी दिल लगा हुआ था…..
पर एक दिन सब कुछ बदल गया……वो दिन मुझे आज भी अच्छे से याद है….सन्नी के पापा ऑफीस जा चुके थी……सन्नी को नाश्ता देने के बाद में जय को उठाने के लिए गयी. वो तब तक सो रहा था…..में जैसे ही रूम में गयी….मेने देखा कि जय बेड पर बेसूध लेटा हुआ था. और वो सिर्फ़ अंडरवेर में था…..उसका अंडरवेर सामने से उठा हुआ था….उसका लंड उसके अंडरवेर में बुरी तरहा तना हुआ था……मेरी तो साँस ही अटक गयी. उस दिन से पहले में जय को अपने बेटे जैसा ही समझती थी…..पर उसके अंडरवेर के ऊपेर से उसका तना हुआ लंड देख कर मेरे बदन में झुरजुरी सी दौड़ गयी…. उसका लंड पूरी तरह तना हुआ अंडरवेर को ऊपेर उठाए हुए था
में एक तक जवान हो रहे अपने भानजे के लंड को देख कर गरम होने लगी…..पता नही कब मेरा हाथ मेरी साड़ी और पेटिकॉट के ऊपेर से मेरी बुर पर आ गया…..और में उसके अंडर वेर में बने हुए उभार को देखते हुए अपनी बुर मसलने लगी…मेरी बुर बुरी तरह से पनिया गयी….मेरा बुरा हाल हो चुका था….तभी बाहर से सन्नी के पुकारने की आवाज़ आए. में होश में आई और बाहर चली गयी….जय दिन भर गर्मियों की वजह से निक्कर पहने रहता था.
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