Gandi Kahaniya एक आहट जिंदगी की
10-17-2018, 11:35 AM,
#17
RE: Gandi Kahaniya एक आहट जिंदगी की
ऐसा लगा मानो बुर पर किसी ने सुलगती हुई सलाख रख दी हो……मेने सोफे की बॅक को कस्के पकड़ लिया….राज ने मेरे दोनो चुतड़ों को पकड़ कर ज़ोर से फेलाते हुए, एक ज़ोर दार धक्का मारा…राज का लंड मेरी बुर को चीरता हुआ, अंदर घुसता चला गया…..मैं एक दम से सिसक उठी……”हाईए माँ मरी……..” राज ने अपना लंड जड तक मेरी बुर मे घुसेड़ा हुआ था…..उसने वैसे ही झुक कर फिर से वो तेल वाली बोतल उठाई….और मेरी गान्ड के ऊपेर करते हुए, आयिल को गिराने लगा…जैसे ही आयिल की धार मेरी गान्ड के छेद पर पड़ी……मैं बुरी तरह से मचल उठी…..राज ने बोतल को नीचे रखा. और फिर अपना लंड धीरे-2 अंदर बाहर करने लगा…..
गान्ड से बहता हुआ तैल नीचे राज के लंड और मेरी बुर पर आने लगा….तभी उसने वो किया जिससे मैं एक दम से उचक से गयी…..पर राज ने मुझे मेरी कमर से कस्के पकड़ लिया, राज ने अपनी उंगली को मेरी गान्ड के छेद पर रगड़ना शुरू कर दिया….मेरी कमर को पकड़ते ही, उसने तीन चार जबरदस्त वार मेरी बुर पर किए, चूत बहाल हो उठी, और मुझ मे विरोध करने की शक्ति ना बची….उसने फिर से मेरी गान्ड को दोनो हाथों से दबोच कर फैलाया, और फिर अपने दाएँ हाथ के अंगूठे से मेरी गान्ड के छेद को कुरदेने लगा…..

एक के बाद एक मेरी कमर उसके अंगूठे की हरकत के साथ झटके खाने लगी….उसका लंड एक रफतार से मेरी बुर के अंदर बाहर हो रहा था….और उसका अंगूठा अब मेरी गान्ड के छेद को और ज़ोर से चौड़ाने लगा था….मैं इतनी गरम हो चुकी थी कि, अब मैं राज का विरोध करने की हालत मे नही थी….वो जो भी कर रहा था….मैं चुप चाप उसका लंड अपनी चुनमुनियाँ मे लेते हुए करवा रही थी…उसने मेरी गान्ड के छेद को अब उंगली से दबाना शुरू कर दिया…..तैल की वजह से और उसकी उंगली रगड़ के कारण मेरी गान्ड का कुँवारा छेद नरम होने लगा…

और मुझे अपनी गान्ड के छेद पर मस्ती से भरी हुई गुदगुदी होने लगी थी…..जिसे महसूस करके मेरी बुर और पानी बहा रही थी…..फिर उसने अपनी उंगली को धीरे-2 से मेरी गान्ड के छेद पर दबाया….और उंगली का अगला भाग मेरी गान्ड के छेद मे उतरता चला गया…पहले तो कुछ खास महसूस नही हुआ….पर जैसे ही उसकी आधे से थोड़ी कम उंगली मेरी गान्ड के छेद मे घुसी, तो मुझे तेज दर्द महसूस हुआ…..”आहह राज मत करो दर्द हो रहा है…” राज शायद समझ गया था कि, मेरी गान्ड का छेद एक दम कोरा है…..वो कुछ पलों को रुका और फिर उतनी ही उंगली मेरी गान्ड के छेद के अंदर बाहर करने लगा……

उसने मेरी बुर से अपने लंड को बाहर निकाला, और फिर गान्ड के छेद से उंगली को निकाल कर बुर मे पेल दिया…और बुर मे अंदर बाहर करते हुए घूमने लगा….”हाई राज ये क्या क्या कर रहे है आप ओह्ह्ह्ह ऐसे मत करिए…..” राज ने फिर से मेरी बुर से उंगली बाहर निकाली, और बुर मे अपना मुन्सल लंड घुसेड कर धक्के लगाने शुरू कर दिए… उसके उंगली मेरी बुर के पानी से एक दम तरबतर हो चुकी थी…..उसने फिर उसी उंगली को मेरी गान्ड के छेद पर लगाया….और मेरी बुर के पानी को गान्ड के छेद पर लगाते हुए तर करने लगा….मुझे ये सब बड़ा अजीब सा लग रहा था…..राज ने फिर से अपनी उंगली मेरी गान्ड के छेद मे घुसेड दी….इस बार राज ने कुछ ज़्यादा ही जल्दबाजी दिखाई…..

अगले ही पल उसकी पूरी उंगली मेरी गान्ड के छेद मे थी….मैं दर्द से एक दम कराह उठी..” भले दर्द बहुत ज़्यादा नही था…..” पर मुझे अब तक राज के इरादे समझ आ चुके थे. और मैं उसके इस इरादे से घबरा गयी थी….”हाई राज ईए क्या कर रहे है…..वहाँ से उंगली निकाल लो……बहुत दर्द हो रहा है……” पर राज ने मेरी कहाँ सुनी…वो अब अपनी एक उंगली को मेरी गान्ड के छेद मे अंदर बाहर करने लगा…..मुझे दर्द हो रहा था….पर कुछ पल और कुछ पल और मेरी गान्ड का छेद और नरम और नरम पड़ता गया….मेरी बुर के पानी और तैल ने गान्ड के छेद के छल्ले की सख्ती बहुत कम दी थी…..

अब तो राज बिना किसी रोक टोक के मेरी गान्ड के छेद को अपनी उंगली से चोद रहा था…..मैं एक दम मस्त हो गयी…..मुझे पता नही चला कि, कब राज की दो उंगलियाँ मेरी गान्ड के छेद के अंदर बाहर होने लगी……तभी दर्द तो कभी मज़ा कैसा अजीब है ये सेक्स का मज़ा….. फिर राज ने अपना लंड मेरी बुर के छेद से बाहर निकाला, और मेरी गान्ड के छेद पर टिका दिया. उसकी इस हरकत से मैं एक दम दहल गयी……”नही राज ये ऐसा मत करो…..मैं दर्द सहन नही कर पाउन्गी…….” पर राज तो जैसे मेरी बात सुनने को तैयार ही नही था….

उसने दो तीन बार अपने लंड के सुपाडे को मेरी गान्ड के छेद पर रगड़ा, और फिर धीरे-2 मेरी गान्ड के छेद पर दबाता चला गया…..जैसे ही उसके सुपाडे का अगला हिस्सा मेरी गान्ड के छेद मे उतरा…..मैं बिचक कर आगे हो गयी….दर्द बहुत तेज था……”नही राज मुझसे नही होगा…..तुम्हे हो क्या गया है….” मेने अपनी गान्ड के छेद को अपनी उंगलियों से सहलाते हुए कहा….”चुप कर मुझे आज तेरे गान्ड मारनी ही है……..” ये कह कर उसने मुझे सोफे से खड़ा किया, और खेंचते हुए बेड पर लेजा कर पटक दिया…..

फिर उसने मेरी टाँगों को पकड़ कर उठाया और अपने कंधे पर रखा लिया….और एक हाथ से अपने लंड को पकड़ कर मेरी गान्ड के छेद पर टिका दिया…..मैं समझ चुकी थी…अब राज एक नही सुनने वाला…..”धीरे से करना राज” मेने अपने हाथों मे बेडशीट को दोबचते हुए कहा……और अगले ही पल “गच” एक तेज आवाज़ के साथ उसका लौडा मेरी गान्ड के छेद को चीरता हुआ, आधे से ज़्यादा अंदर घुस गया…..दर्द के मारे मेरा पूरा बदन ऐंठ गया….आँखे जैसे पथरा गयी….मूह खुल गया….और मैं साँस लेने के लिए तड़पने लगी. मुझे यकीन नही हो रहा था कि, राज मेरे साथ इतनी वहसियत से पेश आएगा…

“बस नजीबा हो गया……..बस हो गया……..” और उसने उतने ही लंड को मेरी गान्ड के छेद के अंदर बाहर करना शुरू कर दिया….उसके हर धक्के के साथ मुझे अपनी गान्ड के छेद का माँस भी अंदर बाहर खींचता हुआ महसूस हो रहा था……पर उसका लंड तैल और मेरी बुर के पानी से एक दम भीगा हुआ था…..इसलिए गान्ड का छेद थोड़ा नरम हो गया था… 1 मिनिट 2 मिनिट 3 मिनिट बीते किसी तरह और मेरी गान्ड मे उठा दर्द अब ना के बराबर रह गया था…..अब उसके लंड के सुपाडे की रगड़ मुझे अपनी गान्ड के अंदर की दीवारो पर सुखद अहसास कराने लगी थी…..मैं आहह ओह्ह करने लगी….

.”दर्द हो रहा है अभी भी….” उसने अपने लंड को और अंदर की ओर धकेलते हुए कहा

……”आह थोड़ा सा हो रहा है……तुम जल्दी करो…..” मेने उसे जल्द से पानी छोड़ने के लिए कहा…..धीरे-2 अब उसका पूरा लंड मेरी गान्ड के छेद के अंदर बाहर होने लगा….दर्द और मस्ती की तेज लहर बदन मे दौड़ रही थी……ढेरे-2 उसके धक्को की रफतार बढ़ने लगी….और फिर वो मेरी गान्ड के छेद में झड़ने लगा….. पिछला एक घंटा बहुत मुस्किल से बीता था…..राज ने अपना लंड बाहर निकाला….और मेरी सलवार से सॉफ करके बाहर चला गया…..

मैं किसी तरह उठी, और बाथरूम मे गयी…..अपनी बुर और गान्ड को अच्छे से धोया…और फिर कपड़े पहन कर बाहर आई…..राज वापिस चला गया….अब राज जब स्टेशन पर पहुँचा तो 3 बजे चुके थे……राज ने टिकेट काउंटर खोला और काम मे बिज़ी हो गया. स्टेशन पर सिर्फ़ एक टिकेट विंडो थी…..जो मेन कंट्रोल रूम मे ही थी…


राज से कुछ ही दूरी पर एक टेबल अनीता नाम की औरत का था…..उसकी उम्र उस समय लगभग 40 साल की थी….उसके बच्चे अब्रॉड मे स्टडी कर रहे थे…..और हज़्बेंड की पोस्टिंग दूसरे सहर के स्टेशन पर थी……अनीता अपनी साँस के साथ रेलवे कॉलोनी मे बने फ्लॅट मे रहती थी. उसके पास 3 रूम का फ्लॅट था……

उसके हज़्बेंड महीने मे दो बार आते थे…..अनीता पढ़ी लिखी और खुले विचारो वाली औरत थी….और बेहद रंगीन मिज़ाज थी…..शादी शुदा जिंदगी के 20 सालो मे वो 5-6 लंड तो ले ही चुकी थी….पर वो हरकीसी ऐरे गैरे के साथ ही संबंध नही बनाती थी….
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