RE: Gandi Kahaniya एक आहट जिंदगी की
मेरे होंटो मे भी सरसराहट होने लगी….जब मेरे होंटो को चूसना छोड़ता, तो खून का दोरा होंटो मे तेज होता, और तेज सरसहराहट होने लगती…..दिल करता कि राज फिर से मेरे होंटो को चूसे…..मेरी चुचियों और दोनो निपल्स का भी यही हाल था….नीचे मेरी फूदी सुबक रही रही थी….मैं इतनी मस्त हो गयी थी…..मेरी फुदी ऐंठने लगी….जब कि अभी तक राज ने एक भी बार अपने मुनसल लंड से मेरी बुर मे वार नही किया था….वो मेरे मम्मों को चूस्ता गया….और मैं आँखे बंद किए हुए चुस्वाती रही…और फिर मेरी बुर के सबर का बाँध टूट गया….मैं काँपते हुए झड़ने लगी…..पर राज तो अभी मेरे मम्मों का स्वाद लेने मे ही मगन था…वो भी जान चुका था कि मैं एक बार झाड़ चुकी हूँ….
फिर वो उठा और घुटनो के बल बैठ गया…..और अपने लंड को सुपाडे तक मेरी बुर से बाहर निकाल-2 कर अंदर बाहर करने लगा…..लंड बुर के पानी से चिकना होकर ऐसे अंदर जाने लगा. जैसे मक्खन मे छुरी……”नजीबा देखो ना तुम्हारी बुर मेरे लंड को कैसे चूस रही है आह देखो ना…..” मैं शरम के मारे पानी -2 हो रही थी……मैं पूरी रोशनी मे उसके सामने अपनी टाँगे फेलाए हुए एक दम नंगी होकर उसका लंड अपनी बुर मे ले रही थी…. और वो मेरी बुर मे अपने लंड को अंदर बाहर कर रहा था…..”आह देखो ना नजीबा…. तुम्हारी बुर कैसे मेरे लंड को चूम रही है…..देखो आह सच नजीबा तुम्हारी बुर बहुत गरम है……” राज ने झटके मारते हुए कहा……
मेरे 36 साइज़ के पर्वतों की तरहा तनी हुई चुचियाँ उसके धक्कों के साथ ऊपेर नीचे हो रही थी…..मैं जब भी अपनी चुचियों को छुपाने के कॉसिश करती, तो राज मेरे हाथो को झटक देता…….”ऐसे ना कहिए राज मुझे शरम आती है…..” राज ने मेरी ये बात सुन कर दो तीन ज़ोर दार झटके मारे…..और अपना लंड मेरी बुर से बाहर निकाल लिया…..”देखो ना नजीबा….तुम्हारी बुर की गरमी ने मेरे लंड के टोपे को लाल कर दिया है……” राज की ये बात सुन कर मैं और शरमा गयी……और मन ही मन सोचने लगी कि, सच मे बुर की गरमी से उसके लंड का टोपा लाल हो सकता है…..”देखो ना प्लीज़ एक बार….”
मेने अपनी मस्ती से भरी हुई आँखो को खोल कर राज की जाँघो की तरफ नज़र डाली, तो मुझे उसके लंड का सुपाडा नज़र आया, जो किसी टमाटर की तरहा फूला हुआ एक दम लाल हो रखा था….”या खुदा हइई माँ मुझे शरम आती है…..” ये कह कर मेने फिर से आँखे बंद कर ली “नजीबा तुम्हे मेरी कसम…अब अगर तुमने आँखे बंद करी तो…” राज की बात ने तो जैसे मेरे दिल पर ही छुरी चला दी हो…..”राज ये क्या कह रहे है आप….मुझसे नही होगा. अपनी कसम तो ना दो…..”
राज: तो फिर अपनी आँखे खोलो…..
मेने बड़ी मुस्किल से अपनी आँखे खोली……राज अभी भी मेरी बुर की फांको पर अपने लंड को रगड़ रहा था….राज के लंड का सुपाडा मुझे सॉफ नज़र आ रहा था…फिर राज ने अपने लंड को हाथ से पकड़ा और मेरी आँखों मे झाँका……और फिर लंड को बुर के छेद पर टिकाते हुए जोरदार झटका मारा……”हाईए सामीएर धीरे करो ना.,……..” फुद्दि की दीवारे जैसे मस्ती मे झूम उठी हों….मर्द क्या होता है…..ये आज मुझे पता चल रहा था…मेने राज को अपने ऊपेर खेंचा….और उसके फेस को अपने हाथों मे लेकर बोली……”राज मुझे प्यार करो…….इतना प्यार करो कि मेरा बदन पिघल जाए….” ये कहते हुए मेरे होंठ थरथराए, और बुर ऐंठी…..जैसे आज बुर ने अपने अंदर समाए लंड को अपना मान लिया हो….
मैं चाहती थी कि राज मेरे होंटो को बुरी तरह से चूसे….और ये सोच कर मेरे होंटो कांप रहे थे….शायद राज भी मेरे दिल की बात समझ गया था…..वो मेरे होंटो पर टूट पड़ा……और अपने . से चबाने लगा हल्के-2 धीरे कभी चूस्ता तो कभी होंटो से काटता….दर्द होता तो होता…..और मज़े की लहर बुर मे दौड़ जाती….मैं उससे चिपकी हुई, उसके बदन मे घुसती जा रही थी दिल कर रहा था कि दोनो बदन एक हो जाए….एक दो ना हो.. लंड फिर मेरी बुर की गहराइयों को नापने लगा था…..लंड के सुपाडे का घर्षण कितना सुखदाई होता है…..ये मैने पहले नही महसूस किया था…..मेरी सिसकियाँ और बढ़ने लगी.
मैं अब खुद अपनी टाँगों को उठाए हुए उससे चुदवा रही थी…..मस्ती के पल एक के बाद एक आते जा रहे थे…..राज के धक्कों से मेरा पूरा बदन हिल रहा था…और फिर से वही मुकाम बुर ने लंड को चारो ओर से कस लिया…..और अपना प्यार भरा रस लंड पर चढ़ाने लगी….राज के वीर्य ने भी मानो मेरी बंजर बुर की ज़मीन पर बारिश कर दी हो… पूरा बदन झटके खाने लगा….मुझे राज का वीर्य अपनी बच्चेदानी की तरफ जाता हुआ महसूस होने लगा….कैसा सुखद अनुभव था…..क्यों मेने आज तक अपनी जवानी जाया की…..
मैं दो बार झाड़ चुकी थी…..राज अब मेरे बगल मे लेटा हुआ मेरे अंगो को सहला रहा था…..मैं चारपाई से उठने लगी तो उसने मेरा हाथ पकड़ कर रोक लिया…..”कहाँ जा रही हो ?” उसने मुझे अपनी तरफ खेंचते हुए पूछा….”अब हो गया ना…मुझे जाने दो….सन्नी उठ ना जाए…..”
राज: एक बार और करने दो ना ?
मैं: (इनका एक बार मे मान नही भरता मैने मन मे सोचा….) उफ्फ मुझे पेशाब लगी है….पेशाब तो करके आने दो ना……
राज: यही मोरी पर ही मूत लोना…..
मैं: हाए खुदा तोबा मुझे शरम नही आएगी…..
राज: अभी शरमाने के लिए बचा ही क्या है……
मैं: पर तुम दूसरी तरफ मूह करो मुझसे नही होगा…..
राज मुस्कुराया और दीवार की तरफ मूह करके लेट गया…..मुझे बहुत तेज पेशाब आया था…दो बार झड़ी जो थी…..मैं मोरी के पास गयी….और मूतने बैठ गयी……और जैसे ही मेरी बुर से मूत की धार निकली, तो बहुत तेज आवाज़ हुई…..”तोबा” मेने अपने चेहरे को हाथो मे छुपा लिया…..राज भी तो रूम मे है….इतनी तेज आवाज़ वो ज़रूर सुन रहा होगा….मेरी रूह जैसे कांप गयी हो….एक दम शर्मसार होकर मूतति रही…..करीब 1 मिनिट तक मेरी बुर से मूत के धार बहती रही….आज तक कभी इतना नही मूता था…..
जब मूतना ख़तम हुआ तो चैन के साँस ली….फिर मैं धीरे-2 चारपाई पर गयी. और अपनी पैंटी से ही अपनी बुर को सॉफ किया….राज मेरी तरफ पलटा और मेरा हाथ पकड़ कर ऊपेर खेंच लिया…..उस रात उसने मुझे फिर से चोदा…..रात को 1 बजे मैं अपने रूम मे आई और सो गयी….सुबह उठी तो बदन मे मीठा-2 दर्द हो रहा था…..सुबह राज नाश्ता कर चला गया…सन्नी की मम्मी भी आ गयी…..और सन्नी को ले गयी…दोपहर का वक़्त था कि, डोर बेल बजी…..
मेने जाकर गेट खोला तो बाहर नाजिया और उसके मामा खड़े थे….मेने सलाम किया और उनको अंदर आने को कहा….नाजिया के मामा और उनके घर का हाल चाल पूछने के बाद मेने उनके लिए चाइ नाश्ते के इंतज़ाम किया…..चाइ नाश्ते के बाद नाजिया के मामा ने वापिस जाने को कहा तो मेने कहा कि, वो आज रात रुक जाए….पर वो नही माने……उन्होने कहा कि वो स्पेशली नाजिया को छोड़ने आए थे….क्योंकि नाजिया की जून की छुट्टियाँ ख़तम हो गयी थी…. और कल से उसकी क्लासस भी स्टार्ट होने वाली थी…………
नाजिया अभी 11थ क्लास मे हुई थी….जवानी भी उस पर खूब आई थी…..पर अभी कच्ची थी…. नाजिया के आने से घर मे रोनक सी आ गयी थी……पर एक दुख था कि, अब मुझे राज को मोका आसानी से नही मिलेगा…दो रातो मे चार बार चुदने के बाद, मुझे तो जैसे राज के लंड की आदत सी लग गयी थी…..शाम को जब बाहर डोर बेल बजी तो जाकर नाजिया ने डोर खोला, नाजिया ने राज को सलाम कहा….और फिर अंदर आ गयी…..राज ने बाइक अंदर की, और ऊपेर चला गया……उस दिन कुछ ख़ास ना हुआ…..नाजिया का स्कूल घर से बहुत दूर था…..उसे बस से जाना पड़ता था……कई बार वो लेट भी हो जाती थी….
उस दिन कुछ ख़ास ना हुआ….अगले दिन राज सुबह जब नाश्ता करने नीचे आया तो, मेने गोर क्या कि, नाजिया बार-2 चोर नज़रों से राज को देख रही थी….नाजिया उस समय स्कूल यूनिफॉर्म मे थी…..उसने वाइट कलर की शर्ट और ब्लू कलर की स्कर्ट पहनी हुई थी..जो उसके घुटनो तक आती थी….उसके गोरी टाँगे देख किसी का भी मन उस पर फिदा हो जाए….
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