RE: Gandi Kahaniya एक आहट जिंदगी की
वो एक स्पीड से बिना रुके अपने लंड को अंदर बाहर करता रहा…..ना ही उसने मेरे मम्मोन से खेला और ना ही कोई चूमा चाटी की, 10 मिनिट बाद मुझे ऐसा लगा जैसे मेरी बुर की नसें टाइट होने लगी हों…..मुझे अपनी बुर की दीवारे राज के लंड के इर्द गिर्द कस्ति हुई महसूस होने लगी…..और फिर मेरी बुर से पानी की नदी बह निकली…..मैं झाड़ कर बहाल हो गयी…”ओह्ह मेरे राजा अहह” मेने राज को अपनी बाहों मे कस लिया…..राज ने मेरी बुर मे अपना लंड पेलते हुए कहा…..”क्या कहा नजीबा तुमने….” आह्ह्ह्ह मैं अभी भी झाड़ रही थी….बुर मे अभी भी सकुंचन हो रहा था…..
मैं उस आनंद के चर्म पर थी……मेने मस्ती मे आकर उसके होंटो को चूम लिया….”मेरा राजा…..” मैं उसके सीने मे सिमटती चली गयी….” उसने फिर तेज़ी से धक्के मारे, और मेरी बुर के अंदर अपने वीर्य की बोछार करने लगा….झड़ते हुए उसने झुक कर मेरे एक मम्मे को मूह मे भर लिया….राज के मूह और जीभ का सपर्श अपने मम्मे अंगूर के दाने जितने बड़े निपल पर पाकर एक बार फिर से मेरी बुर ने झड़ना शुरू कर दिया…..मेरी बुर ने पता नही उसके लंड पर कितना पानी बहाया…..हम दोनो उसी तरह नज़ाने कितनी देर लेटे रहे…..
राज मेरे नंगे अंगो को सहलाता रहा….और मैं उससे सहल्वाती रही…..मैं खाट से उठी, और अंधेरे मे अपने कपड़े ढूँढ कर लाइट ऑन की, और कपड़े पहनने लगी……राज चारपाई से उठा…और मेरा हाथ पकड़ कर बोला…..”क्या हुआ”….मेने उसकी तरफ देखा और फिर शरमा कर नज़रें झुका ली……”सन्नी अकेला है मुझे जाने दो……”
राज: थोड़ी देर और रूको ना……
मैं: नही मुझे जाने दो…….अगर वो उठ गया तो…..
राज चुप हो गया…..मैं अपने कपड़े पहने बिना रूम से बाहर निकली और अपने रूम का डोर खोल कर अंदर झाँका अंदर सन्नी अभी भी सो रहा था…..मैं रूम मे आई, और डोर लॉक किया….और अपने कपड़े पहन कर लेट गये……रात कब नींद आई पता नही चला…सुबह जब उठी तो नाश्ता तैयार किया…..राज नाश्ता करने नीचे आया…..मैं अभी भी उसके साथ नज़रें नही मिल पा रही थी, और सन्नी की मज़ूदगी मे वो कुछ बोला भी नही बस चुपचाप नाश्ता किया, और चला गया….
पूरा दिन सन्नी की बच्कानी बातें सुन कर हँसते खेलते निकल गया…शायद आज मेरे खुश होने का कारण और भी था….मुझे नही पता था कि, मेरा ये उठाया हुआ कदम मुझे किस मुकाम की और ले जाएगा…..या आने वाले वक़्त मे मेरी तक़दीर मे क्या लिखा हुआ है…..शाम को किसी ने गेट के सामने हॉर्न बजाया….मेने सोचा ये कॉन है जो हमारे घर गाड़ी ले कर आया. जब मेने बाहर जाकर गेट खोला तो देखा कि, बाहर राज बाइक पर बैठा था….वो मेरी तरफ देख कर मुस्कुराया….और उसने बाइक घर के अंदर की स्टॅंड पर लगाई…..मैं अभी कुण्डी लगा ही रही थी कि, उसने मुझे पीछे से बाहों मे दबोच लिया……”आह क्या करते हो…कोई देख लेगा….” मैं कस्मसाइ…..”कॉन देखेगा हमे यहाँ….” राज ने मुझसे अलग होते हुए कहा.
मैं: सन्नी है ना घर पर……
राज: उसे क्या समझ वो तो बच्चा है…….
मैं: नही मुझे डर लगता है…..कुछ गड़बड़ ना हो जाए……
राज: अच्छा रात को आऊगा ना…..बैठक मे…..
मैं: ये बाइक किसकी है……
राज: आज ही खरीदी है नयी है……
मैं: हां वो तो देख ही रही हूँ……
मैं चुप रही….राज ने हाथ मे खाना पकड़ा हुआ था….जो वो ढाबे से लेकर आया था… “अब मैं ठीक हूँ…घर पर बना लेती इसकी क्या ज़रूरत थी……” मेने राज के हाथों से खाने के पॅकेट लेते हुए कहा…..”तुम बना तो लेती…….पर मैं तुम्हे काम करके थकाना नही चाहता था…….रात को तुम्हे और मेहनत करनी पड़ेगी…..” ये सुनते ही मेरे गाल शरम से लाल होकर दहकने लगे….मैं दौड़ती हुई किचन मे चली गयी…सन्नी टीवी पर कार्टून देख रहा था…..राज सीधा पहले अपने रूम मे ऊपेर चला गया…… वो काफ़ी देर ऊपेर ही रहा…….रात के करीब 9 बजे राज नीचे आया…..और मेने खाना गरम टेबल पर लगाया…..राज सन्नी के साथ वाली चेर पर बैठा था…..”आज बड़ी देर कर दी नीचे आने मे” मेने राज की ओर देखा और फिर नज़रें झुका ली…..”वो रात को जागना है तो सोचा कुछ देर सो लेता हूँ………”
फिर कुछ ख़ास बात ना हुई, राज खाना खा कर ऊपेर चला गया…..मैं सन्नी के साथ अपने रूम मे जाकर लेट गये……सन्नी थोड़ी देर मे ही सो गया….आधे घंटे बाद डोर पर नॉक हुई….मैं जानती थी कि ये राज ही है……मेरा दिल फिर से जोरो से धड़कने लगा…..मैं धीरे से बेड से नीचे उतरी….और डोर खोला…..बाहर राज खड़ा था……मुझे देखते ही, उसने मेरा हाथ पकड़ा और खेंचते हुए, बैठक की तरफ लेजाने लगा……मैं भी बिना किसी ना नुकर के खिंचती चली गयी…….रूम मे पहुँचने के बाद राज ने डोर लॉक किया, और मुझे बाहों मे भर लिया……मेरे तनी हुई चुचियाँ राज के सीने मे दबने लगी..
मैं: उनन्ं क्या कर रहे हो लाइट तो बंद कर दो ना ?
राज ने बेमन से मुझे छोड़ा और लाइट ऑफ कर दी, और फिर से मुझे बाहों मे भर कर मेरी पीठ को सहलाते हुए, मुझे अपने से चिपका लिया…….मैं भी उसके बदन से साँप की तरफ लिपटती चली गयी……सरूर मे मस्त हो चुकी थी….उसके हाथ मेरे बदन पीठ हर हिस्से को जैसे जाँच रहे थे……एक पराए मर्द के हाथों से ऐसा सकून मिलेगा….जिंदगी मे कभी सोचा नही था….फिर वही….उसने मेरे कपड़े उतारने शुरू कर दिए…..इस बार खड़े खड़े ही, मैं फिर से ना ना करती रही…..पर उसने मुझे एक दम नंगी कर छोड़ा……फिर वो मुझसे अलग हुआ, फिर कुछ सरसराहट सुनाई देने लगी…..दिल सोच कर धोन्कनि की तरहा बजने लगा कि राज अपने कपढ़े उतार रहा है…..फिर एक सख़्त सी चीज़ मुझे अपनी जाँघो पर चुभती हुई महसूस हुई…..मेरा बदन एक दम से थरथरा गया……ये सोच कर राज का लंड मेरी जाँघो से रगड़ खा रहा था…..
पर फिर अचानक से पता नही क्या हुआ, मेने अंधेरे बंद कमरे मे अपने आप को अकेला पाया… मुझे समझ मे नही आया आख़िर हुआ क्या है…..”राज” मैं धीरे से फुस्फुसाइ… पर कोई आवाज़ आ नही आई…..एक अजीब सा डर मेरे जेहन मे उतरने लगा…..तभी जैसे मेरे ऊपेर फाड़ टूट पड़ा हो…..रूम की लाइट ऑन हो गयी…..और मैं रूम मे ठीक बीचो-2 एक दम मादरजात नंगी खड़ी थी…राज लाइट के स्विच के पास खड़ा मेरी ओर देखते हुए अपने मुनसल जैसे लंड को हाथ मे लेकर मूठ मार रहा था…..मैं शरम से पानी-2 हो गयी….और अपनी चुचियों को अपने हाथों से छुपाती, तो कभी अपनी हथेली फेला कर अपनी झान्टो से भरी बुर को…..फिर जब मेरी शरम की इंतिहा ना रही तो…..मैं पैरों के बल नीचे बैठ गयी… अपने घुटनो को अपनी छाती से चिपका कर….और सर को घुटनो के बीच मे छुपा लिया……
राज मेरी तरफ बढ़ा……मेरी बुर मेरी जाँघो और टाँगों के बीच दबी हुई धुनक-2 करने लगी…..राज मेरी तरफ बढ़ रहा था…..पर मैं उसकी तरफ देख भी नही पा रही थी….राज मेरे पास आया…और उसने मुझे एक बार फिर से गोद मे उठा लिया…..मेने राज के सीने मे अपना चेहरा छुपा लिया….उसने मुझे खाट पर पटका…..और मेरे ऊपेर छाता चला गया…..थोड़ी देर मे ही वो मेरी टाँगों के बीच मे था….मेरी टाँगें उसकी जाँघो के ऊपेर थी….उसने अपनी हथेली मेरी बुर पर रखी, तो मेरे मूह से आह निकल गयी….मेने अपनी बुर को छुपाने की कॉसिश के तो, उसने मेरे हाथों को हटा दिया….
उसका स्पर्श इतना उतेजक था कि, मेने खाट पर पड़ी चद्दर को दोनो हाथों मे थाम लिया…. नीचे से मेरी बुर भी पानी -2 हो गयी थी…..राज का लंड मेरी बुर की फांको पर रगड़ खा रहा था……”नजीबा तुम्हारी बुर बहुत खूबसूरत है…..” उसने मेरी बुर की फांको को हाथों से फैलाया…..तो मुझे ऐसा लगा कि, मैं शरम के मारे ज़मीन मे गढ़ जाउन्गी…..खुदा के लिए ऐसी बातें ना करे राज…..” मेने बंद आँखें किए हुए लड़खड़ाती ज़ुबान मे कहा
…”क्यों ना करूँ……ऐसी बातें सुन कर ही तो चुदाई का मज़ा आता है…..” उसने अपने लंड के सुपाडे से मेरी बुर की फांको के बीच मे रगड़ा, तो मुझे ऐसा लगा जैसे मेरा दिल अभी धड़कना बंद कर देगा…..”उफ़फ्फ़ “ राज के मूह से निकाला…पर मैं कुछ ना बोली……राज ने अपने लंड के सुपाडे को ठीक मेरी बुर के ऊपेर रखा……
और मेरे ऊपेर झुकते हुए मेरे गालो को चूमा………”सीईइ मेरे तो रोम-2 मे मस्ती की लहर दौड़ गयी……फिर वो मेरे गालो को चूमते हुए, मेरे होंटो पर आ गया……ये पहला मोका था जब राज मेरे होंटो को चूमने वाला था….ये सोचते ही, मेरी बुर फुदकने लगी. लंड को जैसे अंदर लेने के लिए मचल रही हो…..फिर तो जैसे राज मेरे होंटो पर टूट पड़ा……और मेरे होंटो को चूसने लगा….आज तक मुझे इतना मज़ा कभी नही आया था…..सेक्स सिर्फ़ लंड बुर तक नही सिमटता…..पर ये बात मुझे आज पता चल रही थी….क्यों कि अंजुम के साथ मेने सेक्स तो ज़रूर किया था…..उन्होने मेरे होंटो को भी चूसा था….पर उनके मूह से हमेशा बीड़ी जरदे और दारू की स्मेल आती रहती थी….मेरा तो दम घुटने लगता था…
पर आज राज ने मुझे ये सुख दिया था….मैं भी बहाल होकर उससे लिपटती चली गयी….और राज का लंड धीरे-2 मेरी बुर की गहराइयों मे उतरता चला गया…..जैसे ही राज का लंड मेरी बुर की गहराइयों मे उतरा…..उसने मेरे होंटो को छोड़ दिया…..और फिर झुक कर मेरे राइट मम्मे की निपल को मूह मे भर लिया….और ज़ोर-2 से चूसने लगा…..मैं एक दम मस्त हो गयी…..मेरी बाहें राज की पीठ पर थिरकने लगी…..राज कल की तरह जल्दबाज़ी मे नही था……वो कभी मेरे होंटो को चूस्ता तो कभी मेरे मम्मों को उसने मेरे निपल्स को निचोड़-2 कर लाल कर दिया…..
|