RE: Gandi Kahaniya एक आहट जिंदगी की
मेने शरम के मारे अपने चेहरे को तकिये मे छुपा लिया…..और अपने होंटो को अपने दांतो में भींच लिया….ताकि कही मैं मस्ती मे आकर सिसक ना उठु…..और उसे मेरी बढ़ती हुई कामुकता अहसास हो….वो मेरे दोनो गोरे-2 चुतड़ों को बॉम लगाने के बहाने से सहला रहा था….बॉम कम लगाया….और सहला ज़्यादा रहा था….जब मेने फिर भी विरोध नही किया तो वो और नीचे बढ़ा….यहाँ चोट नही लगी थी वहाँ भी सहलाने लगा…थोड़ी देर बाद उसके हाथों की उंगलियाँ मेरी गान्ड की दरार मे थी….फिर उसने अचानक से मेरी उसने मेरे दोनो चुतड़ों को हाथों से छोड़ा कर फेला कर बीच के जगह देखी, तो मैं साँस लेना ही भूल गयी….शायद उसने मेरे चुतड़ों को फेला कर मेरी गान्ड का छेद और बुर तक देख ली होगी. अब मैं क्या बताऊ उसके हाथों के सपर्श से मैं बहुत ज़्यादा कामुक हो गयी थी…और मेरी बुर गीली और गीली होती चली जा रही थी….मैं ये सोच कर और शरमा गयी कि, वो मेरे काली घनी झान्टो को देख रहा होगा…..जिन्हे मेने पिछले तीन सालो से नही बनाया था…..
आख़िर था ही कॉन जिसके लिए मैं अपनी बुर को सॉफ चिकना रखती…..मेरे घर मे रहने वाला किरायेदार मेरे सभी गुप्तांगो को देख रहा था….और मैं पड़े-2 दिखा रही थी…पर जब उसने जानबूजकर या अंजाने मे मेरी गान्ड के छेद को अपनी उंगली से छुआ तो मैं एक दम से उचक पड़ी…बदन मे जैसे करेंट लग गया हो….जैसे तन्बदन मे आग लग गयी हो….मेने एक दम से उसका हाथ पकड़ कर झटक दिया….और कह उठी….”हाए तोबा क्या करते हो….” साथ ही उससे दूर होते हुए उठ बैठी…..मैं एक दम से घबरा गयी थी….और राज मुझसे भी ज़्यादा घबरा गया था….. मुझे उसका इरादा ठीक नही लगा…..और मैं एक दम से बेड से नीचे उतर कर खड़ी हो गयी…..
पर मेरे खड़े होने का नीतज़ा ये हुआ कि गजब हो गया….मेरी साड़ी और पेटिकोट कमर से खुला हुआ था…..खड़ी हुई तो साड़ी और पेटिकोट दोनो सरक कर पावं मे जा गिरे….मैं नीचे से एक दम नंगी हो गयी…..इस तरह से अपने किरायेदार और 20 साल के जवान लड़के के सामने नंगी होने मे मेरी शरम की कोई इंतिहा ना रही….मुझे कुछ नही सूझा….दिमाग़ ने काम करना बंद कर दिया….साँस जैसे अटक गयी थी….मैं घबराहट मे वही ज़मीन पर बैठ गयी…
इससे पहले कि मुझे कुछ समझ आता….तब तक उसने मुझे गोद मे उठा कर बेड पर डाल दिया. और अगले ही पल वो हुआ जिसकी मेने कल्पना तक नही की थी कि, आज मेरे साथ ये सब होगा. मुझे पलंग पर पटकते ही वो खुद मुझ पर चढ़ गया….अगले ही पल मैं उसके नीचे थी और वो मेरे ऊपेर था…..उसके बाद अगले ही पल उसने मेरी टाँगों को हवा मे उठा दिया…मुझे वो कुछ भी सोचने समझने का मोका नही दे रहा था…..उसके अगले ही पल वो मेरी टाँगों के बीच मे जगह बना चुका था…..पाँचवे सेकेंड मे ही उसका हाफ पेंट और अंडरवेर उसके बदन से अलग हो गये….और उसके अगले ही पल उसने अपने लंड को हाथ मे लेकर अपने लंड का मोटा सुपाडा मेरी बुर के छेद पर लगा दिया……एक मोटी सी गरम सी कड़क सी चीज़ मेरी बुर के अंदर जाती हुई महसूस हुई…..
बस फिर क्या था शाम के समय मैं मेरे ही रूम मे किरायेदार और मालकिन औरत और मर्द बन गये थे….मेरी तो साँसे उखाड़ने लगी थी….बदन ऐंठ गया था…आँखे झपकना भूल गयी थी….और जीभ सूखने लगी थी…मुझे कुछ होश नही क्या हो रहा है….वो कर रहा था….और मैं चुप चाप पड़ी थी…….मैं ना तो उसका विरोध कर रही थी और ना ही उसका साथ दे रही थी…..मैं बिना कुछ बोले अपनी टाँगों को उठाए लेटी रही….उसका मोटा मुन्सल जैसे लंड मेरी बुर को रौन्दता रहा रगड़ता रहा….पता नही कब तक मुझे चोदता रहा….ये नही था कि मुझे मज़ा नही आ रहा था….पर मैं जैसे सकते मे थी….फिर उसने मेरी बुर को अपने गाढ़े वीर्य से भर दिया….मैं अपने किरायेदार के लंड के पानी से तरबर्तर हो चुकी थी…..
जैसे ही वो मेरे ऊपेर से उठा….मैं काँपती हुई उठी और नंगी ही बाथरूम मे चली गयी.. मेरे मन उलझने बढ़ने लगी….”हाए ये मेने क्या कर दिया…..शादी शुदा होकर दूसरे मर्द से चुदवा लिया….वो भी नाजिया की उम्र के लड़के से नही ये ग़लत है….सरासर ग़लत है.. जो हुआ नही होना चाहिए था…..अब क्या होगा…..मैं बाथरूम मे गयी, और बैठ कर मूतने लगी….बहुत तेज पेशाब लगी थी…मेने झुक कर देखा तो मेरी झान्टे मेरी बुर के पानी और उसके वीर्य से चिपचिपा रही थी…..मूतने के बाद मेने अपनी बुर की फांको को फेलाया, और बुर की मसपेशियों पर ज़ोर लगाया….तो राज का वीर्य मेरी बुर से बाहर टपकने लगा……एक के बाद एक कई बड़ी-2 बूंदे वीर्य की मेरी बुर से बाहर नीचे फरश पर गिरती रही…..फिर मेरे अपनी झान्टो और जाँघो को पानी सॉफ किया……क्योंकि मेरे मेन्स चार दिन बाद आने वाले थे…….
इसीलिए बच्चा ठहरने का भी डर नही था…..मैं नहाई और फिर सलवार सूट पहन लिया… फिर मैं बातरूम से निकल कर बाहर आई, और अपने बेड पर जाकर गिर पड़ी…..राज ऊपेर जा चुका था. शाम के 6 बज रहे थी…..खुमारी मे नींद आ गयी….मैं आज पूरे 4 साल बाद चुदि थी…चुदाई अंजाने और बेमन से हुई थी….पर चुदाई तो चुदाई है……मैं ऐसी सोई कि रात के 9 बजे बाहर मैन गेट पर हुई नॉक की आवाज़ से उठी….मैने घड़ी मे देखा तो 9 बज रहे थे…..हाए ये क्या 9 बज गये…..मैं जल्दी से उठी और बाहर जाकर गेट खोला तो बाहर विमला भाभी भी खड़ी थी…..उनके साथ मे उनका बेटा सन्नी था…..जो महज ** साल का था….
मैं: विमला आंटी आप इस समाए…खैरायत तो है ना ?
विमला: नजीबा मेरे पिता जी की तबयत बहुत ज़्यादा खराब हो गई है….अभी फोन आया है….मैं और ये (विमला भाभी के हज़्बेंड) अभी वहाँ के लिए रवाना हो रहे है…..तुम सन्नी को दो दिन के लिए अपने पास रख लो……हम दो दिन बाद वापिस आ जाएगे..
मैं: कोई बात नही भाभी ये भी तो आपका अपना ही घर है….आप इसे छोड़ कर बेफिकर होकर जाए……
उसके बाद विमला आंटी सन्नी को हमारे घर छोड़ कर चली गयी…..मैने गेट लॉक किया. और सन्नी के साथ रूम मे आ गयी….मेने एक बार फिर से घड़ी की तरफ नज़र डाली 9::05 हो रहे थे…..मेने टीवी ऑन किया और सन्नी को कहा कि तुमने खाना खाया है कि नही…तो बोला…नही आंटी अभी नही खाया……मेने कहा कि तुम टीवी देखो मैं खाना गरम कर के लाती हूँ…. मैं रूम से बाहर निकल कर किचन मे गयी, और खाना गरम करने लगी….खाना काफ़ी था…इसीलिए किसी बात की परेशानी नही थी….. मेने खाना गरम किया…और फिर डाइनिंग टेबल पर लगा दिया…..और सन्नी को खाना परोस कर उसके साथ चेर पर बैठ गयी….
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