RE: Gandi Kahaniya एक आहट जिंदगी की
इससे पहले कि मैं नाजिया से कुछ पूछ पाती, वो खुद ही बोल पड़ी…..”अम्मी आज अबू घर नही आएँगे….वो राज बोल रहे थे कि, आज उनकी नाइट ड्यूटी है….” नाजिया सब्जी काटने मे मेरी मदद करने लगी…..मैं सोच मे पड़ गयी कि, आख़िर मुझे हो क्या गया है…..राज तो शायद इसलिए नाजिया से बात कर रहा था कि, आज अंजुम घर पर नही आएँगे….यही बताना होगा उसे…..पर मुझे क्या हुआ था कि मैं इस कदर बेचैन हो उठी….अगर वैसे भी नाजिया और राज आपस मे कुछ बात कर भी लेते है तो इसमे हर्ज ही क्या है….वो दोनो तो हम उम्र है, कुंवारे है और मैं एक शादीशुदा औरत हूँ…..
मुझे नाजिया और राज का बात करना इस लिए भी अच्छा नही लगा था कि, जब से राज हमारे यहाँ रहने आया था. तब से नाजिया की चाल चलन बदल गयी थी…..कहाँ तो मुझे उसके पीछे घूम घूम कर उसके बालो को संवारना पड़ता था…और कहाँ वो अब कितनी-2 देर तक आयने के सामने से नही हटती थी….राज के आने के बाद से उसका पहनावा भी बदल गया था…वो अब अपने आप को बहुत सवार कर रखती थी….यही सब करना था कि, मुझे नाजिया के ऊपेर शक सा होने लग गया था……
खैर मैने सोच लिया था कि, राज एक अच्छा लड़का है…..अगर हमारी नाजिया उसे पसंद करती भी है तो उसमे नाजिया की क्या ग़लती है…..राज था ही इतना हॅंडसम लड़का कि, जो भी लड़की उसे देखे उस पर फिदा हो जाए…..मैने उठी और नाजिया को सब्जी काट कर किचन मे रखने के लिए कहा…और फिर एक ग्लास मे पानी लेकर ऊपेर चली गयी…..सोचा कि गरमी बहुत है…राज को प्यास लगी होगी…..मैं जैसे ही ऊपेर राज के रूम के डोर पर पहुची, तो राज अचानक से बाहर आ गया….उसके बदन पर सिर्फ़ एक टवल था..जो उसने कमर पर लपेट रखा था…..शायद वो नहाने के लिए बाथरूम मे जा रहा था……
मैने उसकी तरफ पानी का ग्लास बढ़ाया…..और उसने पानी का ग्लास लेते हुए पानी पीना शुरू कर दिया…..मेरी नज़र फिर से राज की चौड़ी छाती पर अटक गयी…..पसीने की कुछ बूंदे उसकी छाती से बह कर उसके पेट की तरफ बह रही थी…..जिसे देख मेरे होंठ थरथराने लगी…. राज ने पानी ख़तम किया, और मेरी तरफ ग्लास बढ़ा दिया…..मेने नोटीस किया कि, राज मेरे कांप रहे होंटो को बड़ी ही हसरत भरी निगाहों से देख रहा है….मेने अपने सर को शरमा कर झुका लिया….और ग्लास लेकर नीचे आ गयी…..
जब मैं नीचे पहुची तो नाजिया खाना तैयार कर रही थी….नाजिया को पहले कभी इतनी लगन और प्यार से खाना बनाते मेने कभी नही देखा था….वो भी इतनी गरमी मे….नाजिया का चेहरा गरमी के कारण लाल होकर दहक रहा था…..थोड़ी देर मे ही खाना तैयार हो गया. मैने राज के लिए खाना थाली मे डाला, और मेने सोचा क्यों ना आज राज को खाने के लिए नीचे ही बुला लूँ…..पता नही उसे अकेले मे खाना खाने की आदत है भी या नही… मैने नाजिया से कहा कि, वो खाना टेबल पर लगा दे, मैं ऊपेर से राज को बुला कर लाती हूँ. मेरी बात सुन कर नाजिया एक दम चहक से उठी……
नाजिया: अम्मी स्मीर आज खाना नीचे खाएँगे ?
मैं: हां मैं बुला कर लाती हूँ…..
मैं ऊपेर की तरफ गयी…..ऊपेर सन्नाटा पसरा हुआ था….बस राज के रूम से उसके गुनगुनाने की आवाज़ सुनाई दे रही थी….मैं धीरे-2 कदमो के साथ राज के रूम की तरफ बढ़ी…..और जैसे ही मैं राज के रूम के डोर पर पहुची, तो मेरी तो साँस ही अटक गयी….राज बेड के सामने एक दम नंगा खड़ा हुआ था…..उसका बदन बॉडी लोशन के कारण एक दम चमक रहा था……और वो अपने लंड को बॉडी लोशन लगा कर मूठ मारने वाले अंदाज़ मे हिला रहा था…..राज का 8 इंच लंबा और मोटा लंड देख मेरे साँसे अटक गयी. उसके लंड का सुपाडा किसी साँप कर तरफ फूँकार रहा था….
क्या सुपाडा था उसके लंड का एक दम लाल टमाटर की तरह इतना मोटा सुपाडा उफ्फ हाई मेरी बुर तो जैसे उसी पल मूत देती….मैं बुत सी बनी राज के लंड को हवा मे झटके खाते हुए देखने लगी….इस बात से अंजान कि मैं पराए जवान लड़के के सामने उसके रूम मे खड़ी हूँ….जो इस वक़्त एक दम नंगा खड़ा है…..तभी राज एक दम मेरी तरफ पलटा, और उसके हाथ से लोशन की बोतल नीचे गिर गयी….एक पल के लिए वो भी सकते मे आ गया…..फिर जैसे उसे होश आया, उसने बेड पर पड़े टवल को पकड़ कर जल्दी से कमर पर लपेट लिया….और बोला “सॉरी वो मैं डोर बंद करना भूल गया था….” अभी तक यूँ बुत बन कर खड़ी थी. राज की आवाज़ सुन कर मैं इस दुनिया मे वापिस लॉटी, “तोबा “ मेरे मूह से निकाला और मैं तेज़ी से बाहर की तरफ भागी और वापिस नीचे आ गयी……
मैं नीचे आकर चेर पर बैठ गयी…..और तेज़ी से साँसे लेने लगी…..जो कुछ मेने थोड़ी देर पहले देखा था…..मुझे यकीन नही हो रहा था…..मुझे अब राज की नियत पर भी शक होने लगा था….जिस तरह से वो अपने लंड को हिला रहा था….उसे देख कर तो मेरे रोंगटे ही खड़े हो गये थे……तभी नाजिया अंदर आई, और मेरे साथ वाली चेर पर बैठते हुए बोली. “अम्मी राज नही आए क्या ……”
मैं: नही वो कह रहा है की, वो ऊपेर ही खाना खाएगा…..
नाजिया: ठीक है अम्मी मैं खाना डाल देती हूँ…..आप खाना दे आओ…..
मैं: नाजिया तुम खुद ही देकर आ जाओ….मेरी तबीयत ठीक नही है…..
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