RE: Gandi Kahaniya एक आहट जिंदगी की
मेने गौर क्या कि राज की नज़र मेरी चुचियों पर बार-2 रुक जाती…ब्लॅक कलर की कमीज़ मे मेरे गोरे रंग की चुचियाँ गजब ढा रही थी…बड़ी-2 और गोल-2 गुदाज चुचियाँ…..इसका अहसास तब मुझे हुआ जब मेने उसके पयज़ामे मे तन रहे लंड की हल चल को देखा….. खैर राज ने जैसे तैसे खाना खाया…..और हाथ धोने के लिए बाथरूम मे चला गया…..जब वो बाथरूम मे गया, मेने बर्तन उठाए और नीचे आ गयी….नीचे आकर मेने बर्तन किचिन मे रखे और अपने बेड पर आकर लेट गयी….ओह्ह्ह्ह आज नजाने मुझे क्या हो रहा है…. ऐसी बेचैनी मेने कभी जिंदगी मे महसूस नही की थी…बेड पर लेटे हुए मेने जैसे ही अपनी आँखे बंद की, तो राज का चेहरा और उसकी चौड़ी छाती और बालिस्ट बाइसेप्स मेरे आँखो के सामने आ गये…..पेट के नीचले हिस्से मे कुछ अजीब सा महसूस होने लगा था….रह-2 कर राज की छवि आँखों के सामने से घूम जाती….
मैं पेट के बल लेटी हुई, अपनी चूत को अपनी टाँगो में दबा कर अपनी उमँगो को दबाने की कॉसिश कर रही थी…..पर ये करना इतना आसान नही था…..तभी मैं सपनो की दुनिया से बाहर आई, तब जब नाजिया रूम मे अंदर आई और बोली…..”मम्मी क्या हुआ खाना नही खाना क्या” मैं एक दम से बेड पर उठ कर बैठ गयी….और अपनी सांसो को संभालते हुए अपने बिखरे हुए बालो को ठीक करने लगी….नाजिया मेरे पास आकर बेड पर बैठ गयी…..और मेरे माथे पर हाथ लगा कर देखते हुए बोली…..”अम्मी आप ठीक तो हो ना ?”
मैं: हां ठीक हूँ….मुझे क्या हुआ है ?
नाजिया: नही आपका बदन बहुत गरम है…..और ऊपेर से आपका चेहरा भी एक दम लाल है.
मैं: नही कुछ नही हुआ….वो शायद गरमी की वजह से है….तू चल मैं खाना लगाती हूँ.
फिर मेने और नाजिया ने मिल कर खाना खाया….और बर्तन वेघरा सॉफ करने लगी, तभी अंजुम भी आ गये….जब मेने उनसे खाने का पूछा तो, उन्होने कहा कि, वो बाहर से ही खाना खा कर आए है…..अंजुम शराब के नशे मे एक दम धुत बेड पर जाकर लेट गये..और बेड पर लेटते ही सो गये…..मैने अपना काम ख़तम किया और मैं भी सो गयी….
खैर करवटें बदलते कब नींद आई पता नही चला….सुबह-2 अंजुम ने ऊपेर जाकर राज का रूम का डोर नॉक किया…..राज ने डोर खोला तो अंजुम शर्मिंदगी से सर झुकाए बाहर खड़ा था….राज को देखते हुए अंजुम बोला…”बाबू जी मुझे माफ़ कर दीजिए….कल आप का यहा पहला दिन था….और मेरी वजह से…”
राज : अर्रे अंजुम भाई कोई बात नही….अब जबकि मैं आपके घर रह रहा हूँ. तो मुझे बेगाना ना समझे…..
अंजुम: अच्छा आप तैयार होकर आ जाइए…आज नाश्ता नीचे मेरे साथ कीजिए..
अच्छा : अच्छा ठीक है मैं तैयार होकर आता हूँ…..
अंजुम नीचे आ गये, और मुझसे जल्दी खाना तैयार करने को कहा….थोड़ी देर बाद राज तैयार होकर नीचे आ गया……मेने नाश्ता टेबल पर रखा और राज की ओर देखा तो उसने मुझे सलाम किया…मेने नाश्ता रखा और फिर से किचन मे आ गयी…..नाश्ते के बाद राज और अंजुम स्टेशन पर चले गये…..शाम के 6 बजे डोर बेल बजी….मेने सोचा कि राज और अंजुम आ गये है….मैने नाजिया को आवाज़ लगा कर कहा कि, तुम्हारे अबू आ गये है, जाकर डोर खोल दो….
नाजिया बाहर डोर खोलने चली गयी……मुझे याद है कि नाजिया ने उस दिन पिंक कलर का सलवार कमीज़ पहना हुआ था….जो उसके गोरे रंग पर कहर ढा रहा था….गरमी होने की वजह से वो अभी थोड़ी देर पहले नहा कर आई थी…..उसके बाल खुले हुए थे….बला की कयामत लग रही थी मेरी नाजिया उस दिन…..मुझे यकीन है कि, जब राज ने उसे देखा होगा, तो उसके दिल पर भी नाजिया के हुश्न ने कहर बरपाया होगा……
नाजिया डोर खोलने चली गयी…..मैं रूम मे बैठी सब्जी काट रही थी……और आँखे रूम के डोर पर लगी हुई थी….तभी मुझे बाहर से राज की हल्की सी आवाज़ सुनाई दी….वो शायद नाजिया को कुछ कह रहा था….पता नही मुझे नाजिया का इतनी देर तक राज के साथ बातें करना खलने लगा…..मैं उठ कर बाहर जाने ही वाली थी, कि राज डोर के सामने से गुज़रा, और ऊपेर चला गया……उसके पीछे नाजिया भी आ गयी, और सीधा मेरे रूम मे चली आई..
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